#हरदुआगंज में मजदूरों की जान ली जीएम ने सरकार ने बना दिया निदेशक.
#संजय अग्रवाल नें बख्शा बीएस तिवारी को और ईनाम में दिया ऊंचा ओहदा.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान। अगर खुदा यूपी सरकार हो तो निर्दोष मजदूरों की हत्या के दोषी अधिकारी को ईनाम में और भी ऊंचा पद देकर लूट की छूट मिल जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ है बिजली विभाग के अधिकारी बी.एस. तिवारी के साथ जिसे लापरवाही से आधा दर्जन मजदूरों की जान लेने के आरोप से बाइज्जत बरी करते हुए प्रदेश सरकार ने और ऊंचे पद पर बैठाते हुए लूट की मनमानी छूट दे दी. ऐसे में सवाल यह उठता है कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी बचने नहीं पायेंगे की बात कहने वाली योगी सरकार और उसके ईमानदार मंत्री को क्या इसके कारनामों की जानकारी नहीं है. जानकारी में तो यह आया है कि अखिलेश सरकार के बाद योगी सरकार में भी तिवारी ने अपना सिक्का फिट कर लिया है और अपनी सियासी पकड़ मजबूत कर ली है और आज भी धनोपार्जन में पूर्णतया लिप्त हैं.
बनारस में अधिकारियों की लापरवाही, मनमाने रवैये और भ्रष्टाचार के चलते 18 लोगों की मौत हो गयी. बीते साल इसी तरह एनटीपीसी उंचाहार में ब्वायलर फटने से करीब 50 की जान गयी और हरदुआगंज में तत्कालीन महाप्रबंधक बी.एस. तिवारी की लापरवाही से आधा दर्जन मजदूरों की जान गयी लेकिन कारवाई सिफर. एनटीपीसी मामले में जहां नामजद एफआईआर तक नही हुयी वहीं बनारस में दो दिन पहले हुए हादसें में खानापूरी के नाम पर महज कुछ अदना इंजीनियरों को सस्पेंड किया गया है. इन सबसे बढ़कर हरदुआगंज का मामला है जहां आरोपी न केवल बरी किया गया बल्कि ईनाम से भी नवाजा गया.
पिछली अखिलेश सरकार में लम्बे अर्से तक एक ही जगह जमे और सितम्बर 2015 तक हरदुआगंज अलीगढ में जीएम उत्पादन निगम रहे बीएस तिवारी के कारनामे वैसे तो बहुत हैं लेकिन जो सबसे अतिसंवेदनशील वाकया है वह अलीगढ के हरदुआगंज पावर स्टेशन का है जिसमें 04 वर्करों की मौत हो गयी थी और 15 घायल हुए थे. जांच के बाद कमीशनखोरी का शिकार हिन्दुआगंज पावर हाउस की इस घटना के जिम्मेदार बीएस तिवारी और नजमुल हसन को ठहराया गया था. लेकिन इन सबके बावजूद जुगाड़ और सेटिंग का खिलाड़ी होने के चलते बीएस तिवारी प्रमोशन लेकर निदेशक तकनीकी और कार्मिक दो-दो प्रभार हासिल कर लिया. सपा सरकार में इलाहाबाद के एक सांसद से जुगाड़ लगाकर आरोपी होने के बावजूद अभी तक सजा से बचता रहे और पिछली अखिलेश सरकार में तरक्की लेकर अभी तक विद्युत् उत्पादन निगम के निदेशक तकनीकी बन कर बैठे हैं. जानकारी में आया है कि यह प्रकरण विभाग में उपर से नीचे तक सभी के संज्ञान में है लेकिन इन सबके बावजूद ये जनाब जीरो टोलरेंस वाली योगी सरकार के उर्जा विभाग में निदेशक के पद पर बैठकर अभी भी तमाम कारनामों में लिप्त है. इनके खिलाफ तमाम तरह की और भी शिकायतें शासन और विभाग में लंबित हैं लेकिन उनपर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पायी है और फाईल दबी हुई है.
बताते चलें कि अलीगढ के हरदुआगंज पावरहाउस में जिसके बीएस तिवारी जीएम थे 2 मई 2015 को एक भयंकर बिस्फोट हुआ जिसमें करीब 04 बिजली वर्कर मारे गए थे और 15 गायल हुए थे. वर्करों की मौत के बाद श्री तिवारी खिलाफ FIR संख्या 91/2015 दर्ज हुई और इस दुर्घटना की जांच उपनिदेशक कारखाना आगरा संभाग द्वारा किया गया और ये दोषी पाए गए. जानकारी में तो यह भी आया है कि इस घटना के पहले 22 अप्रैल 2015 को एक घटना और हो चुकी थी जिसमें इनकी प्रताड़ना के चलते एक वर्कर की जान चली गयी थी जिसको यह जनाब पैसा और प्रभाव के बल पर दबा ले गए थे.
निदेशक कारखाना ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि कारखाने में कार्यरत कर्मकार की समुचित सुपरविजन न होने, इन खतरनाक कार्यों के करने हेतु वर्क परमिट की व्यवस्था न होने और मशीनरी को को सुरक्षित रूप से मेंटेन न किये जाने के कारण यह दुर्घटना हुई है जिसकी सीधी जिम्मेदारी परियोजना के जीएम होने के नाते बीएस तिवारी और प्रबंधक नजमुल हसन की है. इस घटना में बीएस तिवारी ने कमीशन के खेल में वर्करों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया और 04 लोगों की मौत का जिम्मेदार बना. जांचोपरान्त निदेशक कारखाना एवं श्रम आयुक्त शालिनी प्रसाद ने प्रमुख सचिव श्रम को 07 अक्टूबर 2015 को पत्र लिखकर बीएस तिवारी पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी. चूंकि यह दोनों ही लोकसेवक की परिधि में आते थे इसलिए विभागीय प्रमुख सचिव की अनुमति आवश्यक थी.
जिसके पश्चात तत्कालीन प्रमुख सचिव श्रम अनिता जैन भटनागर ने बीएस तिवारी के खिलाफ मुक़दमा चलाने के लिए प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्रवाल से अनुमति लेने के लिए पत्र दिनांक 16 मई 2016 को लिखा. लेकिन अनिता भटनागर का वह पत्र कहीं दबा दिया गया और अनुमति नहीं मिली. बल्कि इलाहाबाद के सांसद से अपनी नजदीकियों के चलते अक्टूबर 2015 में बीएस तिवारी उत्पादन निगम के निदेशक तकनीकी के साथ ही साथ निदेशक कार्मिक बना दिए गए. नेता जी की कृपा इनपर इतनी रही की जहां यह केवल एक परियोजना के इंचार्ज थे वहीँ अब पांच परियोजनाओं के इंचार्ज हो गए और तब से अभी तक बीएस तिवारी निदेशक के पद पर तैनात हैं अंतर बस इतना आया है कि अब इनसे निदेशक कार्मिक का प्रभार ले लिया गया है, यानी सरकार किसी की भी हो जलवा तिवारी जी का है.