#अब सरकारी खजाना लूटने को दिया बिहार की फर्म को न्यौता.
#मौत की जांच दबा बन बैठा बिजली विभाग में निदेशक.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : हरदुआगंज में लापरवाही बरत मजदूरों को मौत की नींद सुलाने वाले उत्तर प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम के निदेशक बीएस तिवारी का जलवा योगी राज में भी बरकार है. हरदुआगंज हादसे से साफ बच निकले बीएस तिवारी ने बुलंद हौसलों के साथ सोनभद्र में चहेती फर्मों को सरकारी खजाने के बंदरबांट में लगा दिया है. बड़े-बड़ों को हिला देने वाली सीएजी की रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल इस बेअंदाज निदेशक ने सोनभद्र में बिजलीघरों का काम अपने चाहने वालों को सौंप डाला है. बिहार के मूलनिवासी बीएस तिवारी ने बंदरबांट के काम के लिए दागी फर्म श्यामा बिल्डकान कैमूर विहार को भी बिहार सूबे से आयात कर योगी सरकार का खजाना लूटने का काम दे दिया है.
पत्र तत्कालीन प्रमुख सचिव श्रम का मुकदमा चलाये जाने की अनुमति के सन्दर्भ में.
कभी प्रमुख सचिव ऊर्जा रहे संजय अग्रवाल की छत्रछाया तो अब खुद को सीधे ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का सबसे खास ख्वास बताने वाले बीएस तिवारी की नजर में बिजली विभाग घर की खेती से बढ़कर कुछ नही है. हाल ही में वाराणसी में फ्लाईओवर हादसे के बाद हुयी डेढ़ दर्जन मौतों के बाद उत्तर प्रदेश में इस तरह के सरकारी हादसों और उनमें हुयी कारवाई की चर्चा हुयी तो सबसे उपर नाम बीएस तिवारी का आया. तिवारी के हरदुआगंज पावर हाउस की परियोजना का प्रबंधक रहते एक दर्दनाक हादसे में चार मजदूर मरे थे और 15 घायल हुए थे. ऊंची पहुंच के चलते तिवारी का बाल बांका तक नही हुआ और बदले में उसे तत्कालीन सरकार ने मजदूरों की हत्या के एवज में ईनाम से नवाजते हुए विद्युत उत्पादन निगम का निदेशक तक बना डाला और तब से अभी तक योगी सरकार में भी वह प्रभावी बना हुया है.
रिपोर्ट निदेशक कारखाना……
अलीगढ के हरदुआगंज में हुई मजदूरों की मौत के जिम्मेदार बीएस तिवारी आज भी निदेशक तकनीकी विद्युत् उत्पादन निगम बने बैठे हैं. बीएस तिवारी हरदुआगंज में केवल एक परियोजना के इंचार्ज रहे थे जब इनकी लापरवाही के चलते चार मजदूरों को जान से हाथ धोना पड़ा था और पंद्रह घायल हुए थे. हादसे के बाद हुए विभागीय जांच और मजिस्ट्रेटी जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद भी तत्कालीन प्रमुख साचिव की मेहरबानी और राज्यसभा सदस्य रेवती रमण सिंह की अपनी नजदीकियों के चलते महाप्रबंधक से प्रमोशन पाकर विद्युत् उत्पादन निगम के निदेशक कार्मिक और तकनीकी बन गए और पूरे मामले को कार्यवाही के नाम पर महज खानापूर्ति कर दबा दिया गया.
मजिस्ट्रेटी जांच की रिपोर्ट का वह दो पेज जिसमें लापरवाही का जिक्र है .
पिछली सरकार में हरदुआगंज में हुए विस्फोट और मजदूरों की मौत के मामले में बीएस तिवारी के खिलाफ मजिस्ट्रेटी जांच हुई और दोषी करार होने के बावजूद जहां उनको न केवल बरी किया गया बल्कि ईनाम से भी नवाजा गया और योगी सरकार में भी कमोबेश यही सब चल रहा है. जीरो टोलरेंस वाली इस सरकार में भी भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देने का काम उच्च स्तर पर जारी है. हैरत की बात तो यह है कि भाजपा सरकार के शुचिता के नारे का सबसे ज्यादा राग अलापने वाले प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा खुद के विभाग के अधिकारियों के कारनामों पर पानी डालने का काम कर रहे हैं. जिसका परिणाम है कि बीएस तिवारी जैसे भ्रष्ट अफसर अखिलेश सरकार से लेकर आजतक मलाई काटने में लगे हैं.
तत्कालीन प्रमुख सचिव ऊर्जा रहे संजय अग्रवाल जो कि अब योगी सरकार में दोनों उपमुख्यमंत्रियों के चहेते अफसर हैं और दोनों के विभागों का काम देख रहे हैं, ने बीएस तिवारी के मामले को दबाने के लिए प्रमुख सचिव श्रम अनीता भटनागर और उपनिदेशक कारखाना आगरा संभाग के उस पत्र को भी दरकिनार कर दिया जिसमें श्री तिवारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गयी थी. संजय अग्रवाल ने मामले में लीपापोती करते हुए दो अफसरों जिनमें एक बीएस तिवारी के जूनियर और एक सीनियर को जांच सौंप कर क्लीनचिट देने का काम किया. जिसके परिणामस्वरूप श्री तिवारी आज भी विद्युत् उत्पादन निगम में निदेशक तकनीकी के तौर पर मलाई काट रहे हैं. यही नहीं बीएस तिवारी जहां भी रहे वहां कुछ न कुछ कारनामों को अंजाम जरूर दिया. बीएस तिवारी ने संयंत्रों की खरीद और उसके मेंटिनेंस में गड़बड़ किया तो वहीँ अब सोनभद्र में टेंडर प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाने में लगे हैं.