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छोटों पर मार,बड़ों को अभयदान,आलोक कुमार का फरमान   

#मामूली तनख्वाह पर काम करने वाले संविदाकर्मी अब मूलनिवास से इतर दूसरी तहसील में करेंगे काम.

#बिजली विभाग के मुखिया का नया आदेश साबित हो रहा तुगलकी फरमान.

#बिजली विभाग में छोटे कर्मचारियों पर चाबुक और बड़ों को संरक्षण देने का काम जारी.

#भ्रष्टाचारी बीएस तिवारी जैसों पर मेहरबानी और छोटे कर्मचारियों पर हंटर.   

#कंपनियों को स्थापित करने के लिए संविदा पर रखे गए मजदूरों को विस्थापित करने का हो रहा प्रयास.

अफसरनामा ब्यूरो  

लखनऊ :  रोजगार को लेकर दावों, वादों मे उलझी योगी सरकार की उलझने प्रमुख सचिव ऊर्जा ने और बढ़ा दी हैं. कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे पावर कारपोरेशन के लिए संविदा कर्मियों को लेकर आलोक कुमार का ताजा फरमान मुसीबतों को और बढ़ाने वाला है. मामूली तनख्वाह पर काम करने वाले संविदा कर्मियों को आलोक कुमार ने मूलनिवास से इतर दूसरी तहसीलों मे भेज देने के लिए कह दिया है. आलोक कुमार के इस तुगलकी फरमान से पावर कारपोरेशन की मुसीबत और बढ़ने जा रही है. बिजली विभाग के मुखिया का यह कदम एकदम तानाशाही वाला माना जा रहा है जहाँ छोटे कर्मचारियों पर चाबुक और बड़ों को संरक्षण देने का काम किया जा रहा है.

दरअसल शासन में पावर कारपोरेशन प्रबंधन को विभिन्न स्रोतों से शिकायतें मिल रही थी कि तहसील में तैनात आउटसोर्स श्रमिक बिजली कंपनियों के हितों के विपरीत काम कर रहे हैं और स्थानीय प्रभाव के चलते यह श्रमिक पक्षपात पूर्ण तरीके से काम करते हैं.  जिसके मद्देनजर निर्णय किया गया कि आउट आउटसोर्स श्रमिकों की तैनाती उनकी गृह तहसील से बाहर किया जाए.

भाजपा पर औद्योगिक घरानों को संरक्षण देने का आरोप विपक्ष शुरू से ही लगता आ रहा है. ऐसे में उत्तर प्रदेश विद्युत वितरण निगम के प्रमुख सचिव व चेयरमैन आलोक कुमार का यह पत्र विपक्ष को बैठे बैठाए मुद्दा प्रदान करने वाला है. बताते चलें कि आलोक कुमार द्वारा जारी नए आदेश के अनुसार अब विभाग के संविदाकर्मी एक तहसील में काम नहीं कर सकेंगे जिसको लेकर कर्मचारी संगठनों में काफी आक्रोश है. जानकारों की मानें तो मीटर रीडिंग व  बिल कलेक्शन के लिए मैदान में उतरी बड़ी कंपनियों को स्थापित करने के लिए संविदा पर रखे गए दिहाड़ी मजदूरों को विस्थापित करने का यह एक प्रयास है.

जबकि इसके विपरीत खुद प्रमुख सचिव चेयरमैन आलोक कुमार की नाक के नीचे तैनात निदेशक तकनीकी बीएस तिवारी के कारनामे उनको नजर नहीं आ रहे. भ्रष्टाचार और घोटाले के जनक उत्पादन निगम के तकनीकी निदेशक बीएस तिवारी पर मेहरबानी और छोटे कर्मचारियों पर हंटर चलाने के पीछे आखिर क्या वजह है. आलोक कुमार का यह कदम शासन की पारदर्शिता को कितना सटीक व उचित ठहराता है, फिलहाल अब यह चर्चा का विषय बन रहा है. लोगों का मानना है कि इस तरह के फैसले लेने के बजाय अगर निगम मैं बैठे जिम्मेदार लोग जोकि निगम को खोखला करते आये हैं और आज भी अनवरत अपने काम को अंजाम देने में लगे हैं पर कार्यवाही जरूरी है.

आलोक कुमार की नाक के नीचे बैठे बीएस तिवारी के कारनामों की फेहरिस्त……. 

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