31 पीसीएस अफसरों के प्रमोशन का अपडेट……..
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31 पीसीएस अफसरों के प्रमोशन का मामला फिलहाल कानूनी दांवपेंच में पड़ गया है.
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उदयराज बनाम 31 में फंसे इस मामले की सुनवाई सुप्रीमकोर्ट में चल रही है और जिस तरह से हर तारीख पर किसी न किसी वजह से कानूनी अडंगा लगता जा रहा है उससे लगता है कि यह मामला जल्दी सुलझने वाला नहीं है.
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बढती कानूनी अडचनों को लेकर अब प्रमोशन के इन्तजार में बैठे अफसरों में चिंता के साथ ही साथ गुस्सा भी है.
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अब फिलहाल इस मामले की सुनवाई सोमवार यानी 24 सितम्बर 2018को होनी है.
#पहले अखिलेश फिर योगी सरकार में लखनऊ नगर निगम का कल्याण करने वाले उदयराज सब पर भारी.
#नियुक्ति विभाग की मेहरबानी से पीसीएस वर्ग के 31 अफसरों पर 1 अफसर भारी.
# दोनों कैडर का मामला सुप्रीमकोर्ट में, आपसी मान-मनौवल से भी नहीं बनी बात.
#आरोप तो यह भी है कि पीसीएस अफसरों की आपसी खींचतान भी इसकी जिम्मेदार.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अभी पिछले दिनों एक कर्नल और एक पीसीएस अफसर के बीच का विवाद काफी चर्चा में रहा था. उक्त प्रकरण ने स्थानीय प्रशासन की लापरवाही व एकतरफा कार्यवाही के चलते इतना बड़ा रूप ले लिया था, जबकि दो अफसरों के बीच के इस झगड़े को स्थानीय प्रशासन के बड़े अफसरों द्वारा दोनों पक्षों को सम्मानपूर्वक बैठाकर पूरे मामले को हल किया जा सकता था. लेकिन प्रशासन की एकतरफ़ा कार्यवाही ने मामले को उलझा कर रख दिया था.
कुछ इसी तरह का मसला फिलहाल पीसीएस संवर्ग के अफसरों की प्रोन्नति को लेकर उनके अपनों के ही बीच बना हुआ है जिसमें नोएडा के स्थानीय प्रशासन की भूमिका में उत्तर प्रदेश का नियुक्ति विभाग है. जिसके चलते पीसीएस अफसरों की डीपीसी होते-होते रूक गयी और अब यूपी बनाम यूके व अन्य के बीच तलवारें खिंच गयी हैं व मामला सुप्रीमकोर्ट में है.
पीसीएस संवर्ग के उत्तराखंड कैडर के 1996 बैच के विवादित अफसर पूर्व नगर आयुक्त लखनऊ के पद पर सपा सरकार से विराजमान रहे उदयराज सिंह फिलहाल प्रमोशन के इस पूरे प्रकरण में मुख्य किरदार बन गए हैं और उनका एजेंडा प्रमोशन के इस पूरे मामले को उलझाए रखना है. उनके इस काम में नियुक्ति विभाग के उस पत्र का भी योगदान है जिसको उसने 9 अगस्त 2018 को चुपचाप DOPT को दिया था. पत्र से लगता है कि लखनऊ नगर निगम का कल्याण करने वाले उदयराज सिंह के प्रभाव से नियुक्ति विभाग भी अछूता नहीं है.
उत्तर प्रदेश कैडर के 1996-97 बैच के कुल 32 पीसीएस अफसरों की डीपीसी 20 अगस्त को होनी थी. लेकिन नियुक्ति विभाग के एक पत्र ने इन अफसरों के प्रमोशन को उलझा दिया और पीसीएस अफसरों को दो भागों में बाँट दिया है. नियुक्ति विभाग द्वारा PCS संवर्ग के इन अफसरों के प्रमोशन के लिए पहले जो प्रस्ताव पहले भेजा गया था उनमें यूपी में तैनात उन पांचों अफसर जिनको बंटवारे के समय उत्तराखंड कैडर मिला था, का नाम नहीं था. लेकिन 9 अगस्त 2018 को नियुक्ति विभाग द्वारा चुपचाप DOPT को लिखे गये पत्र में उन पाँचों अफसरों का नाम भी जोड़ दिया गया. अगर नियुक्ति विभाग मामले को सुलझाना चाहता तो इस पत्र को भेजने की जरूरत ही नहीं थी और 1 के चक्कर में 31 का प्रमोशन नहीं बाधित होता.
अब सवाल यह है कि क्या 1 PCS अफसर के कारण IAS में प्रोन्नत होने वाले बाकी 31 PCS अफसरों की DPC अधर में लटकना कहाँ तक उचित है जबकि उनका कैडर अलग है. इस सवाल को लेकर अधिकारियों में सरकार के प्रति आक्रोश ये है कि एक अधिकारी के चलते और नियुक्ति विभाग की अड़ंगेबाजी का शिकार बन रहे बाकी के अफसरों के हितों का सरकार संज्ञान क्यूँ नहीं ले रही. इसके अलावा पीसीएस संघ के कुछ जिम्मेदार अफसरों द्वारा इस पूरे मसले को आपस में बैठकर सुलझाने का भी प्रयास किया गया लेकिन कोई हल नहीं निकल सका है. पिछले दिनों PCS संघ के एक उपाध्यक्ष ने उदयराज सिंह को नियुक्ति विभाग में बुलाकर कई अन्य PCS अफसरों के साथ काफी समझाया और निवेदन किया लेकिन निष्कर्ष शून्य रहा. ऐसे में यदि सरकार इस पूरे मसले को संज्ञान में लेकर बीच का रास्ता निकालने का कोई उपाय नहीं करती है तो आने वाले समय में इससे अफसरों में असंतोष और बढेगा.
बताते चलें कि वर्ष 2000 में यूपी से उत्तराखंड के अलग होने के बाद प्रदेश के कुछ अफसरों को उत्तराखंड कैडर आवंटित हुआ था. उनमें कई अफसर उत्तराखंड चले गये और कई आज भी उत्तर प्रदेश में ही विभिन्न तरह की कानूनी अड़चने लगाकर मलाईदार पदों पर बैठे हुए हैं. जिनमें एक नाम 1996 बैच के विवादित पूर्व नगर आयुक्त लखनऊ के पद पर सपा सरकार से विराजमान रहे उदयराज सिंह भी हैं. जोकि इस मसले को लेकर करीब 2-3 वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट चले गए थे.
उत्तराखंड कैडर पाए इन पाँचों अफसरों के प्रमोशन के सन्दर्भ में DOPT ने इनकी डीपीसी कराने से मना कर दिया था. उसका कहना था कि जब इनको उत्तराखंड कैडर आवंटित है तो ये वहीँ जाकर प्रमोशन लें. लेकिन इसी बीच 23 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया जिसमें कोर्ट ने याची उदयराज के सन्दर्भ में लिफाफा बंद करने को कहा और 1996-97 बैच के अफसरों की प्रस्तावित डीपीसी का कोई जिक्र ही नहीं किया. मजे की बात और कि इन बीच के वर्षों में अन्य बैच के अफसरों की डीपीसी हुई और वह प्रमोशन पाकर आईएएस बन गए. इस तरह कायदे से 32 में से 30 अफसरों का आईएएस में प्रमोशन होना था जबकि याची उदयराज के संदर्भ में कोर्ट का आदेश लिफाफा बंद करने के लिए था. इसके बावजूद मुख्यमंत्री योगी के अधीन नियुक्ति विभाग ने मामले को सुलझाने के बजाय उलझाते हुए और अपनी मनमानी दिखाते हुए 9 अगस्त 18 को एक पत्र डीओपीटी को भेजा.
फिलहाल अब यह पूरा प्रकरण सुप्रीमकोर्ट में विचाराधीन है. जिसमें एक पक्ष उत्तराखंड कैडर प्राप्त अधिकारी उदयराज सिंह के केश में कोर्ट ने 6 अगस्त तारीख दिया हैं, तो दूसरे पक्ष यूपी कैडर के उन 31 अधिकारियों जिनका प्रमोशन रुका हुआ है को कोर्ट ने सुनवाई की तारीख 10 अगस्त तय की है.
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