#मौत का सौदागर बीएस तिवारी का हरदुआगंज प्रेम हो रहा उजागर.
#कथित दामाद सहित व्यवसायी अमित जादौन और दलाल अतिन टंडन, सबका हरदुआगंज कनेक्शन हो रहा उजागर.
#कथित दामाद दीपक गांधी को सीमेंट कंपनी में नौकरी और बिजली विभाग के हास्टल में दिलवाया आवास.
#हरदुआगंज में बिजली विभाग के बने इरेक्टर हॉस्टल का रूम नंबर 7 है कथित दामाद का पता.
#फिलहाल मंगलम सीमेंट का HR का काम देख रहा है बीएस तिवारी का कथित दामाद.
#कथित दामाद दीपक, व्यवसायी अमित जादौन और दलाल अतिन टंडन मिलकर करते हैं तिवारी के कारनामों को मैनेज.
#बीएस तिवारी के कारनामों से परेशान सीमेंट कम्पनी ने भी किया था पूर्व एमडी अमित गुप्ता से शिकायत.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : हरदुआगंज में हुई मौतों के जिम्मेदार बीएस तिवारी ने मंगलम सीमेंट को राख बेचकर, राख से काली कमाई तो किया ही, साथ ही साथ अपने कथित दामाद दीपक गांधी को सीमेंट कंपनी में नौकरी भी दिलवाया. मंगलम सीमेंट को 7 नंबर यूनिट की राख को बेचकर काली कमाई करने वाले बीएस तिवारी ने पहले कंपनी के अफसरों से माल बटोरा और फिर उसी सीमेंट कंपनी में अपने दामाद को नौकरी भी दिलवाया. फिलहाल बीएस तिवारी का दामाद दीपक गांधी मंगलम सीमेंट में एचआर का काम देख रहा है.
इससे भी ज्यादा मजे की बात यह है की वर्ष 2015 में हरदुआगंज में GM पद पर रहते हुए बीएस तिवारी जिस मकान में रहता था उसी जीएम हाउस को पिछली सपा सरकार में जुगाड़ से प्रमोशन लेने के बाद अपने इसी कथित दामाद को रहने के लिए छोड़ दिया और लखनऊ निदेशक टेक्निकल के पद पर चला आया.
इसके बाद बीएस तिवारी का दामाद दीपक गांधी कई महीने उसी सरकारी मकान में रहा. लेकिन बाद में हरदुआगंज में ही बिजली विभाग के बने इरेक्टर हॉस्टल के रूम नंबर 7 को बीएस तिवारी ने अपने इस कथित दामाद को एलाट कराया और आज भी वह उसी Room No. 7 में रह रहा है जहां का एसी, फ़र्निचर सब विभाग के लोग लगवाए हैं. अधिकारियों वाले इसी एरेक्टर हाउस में रहकर कथित दामाद दीपक गांधी अपने कथित ससुर बीएस तिवारी के कारनामों को विकास जादौन व अतिन टंडन के साथ मिलकर मैनेज करने का काम करता है.
बीएस तिवारी के कारनामों से आहत हरदुआगंज में मंगलम सीमेंट के यूनिट हेड ओसवाल अपनी टीम के साथ पूर्व एमडी अमित गुप्ता से कर चुके है बीएस तिवारी की शिकायत…….
बताते चलें कि मंगलम सीमेंट से लाखों की डील कर मोटी कमाई और अपने कथित दामाद को स्थापित करने की शर्त पर यूनिट 8 और 9 से राख की सप्लाई का आदेश बीएस तिवारी ने पारित किया था, जिसमें राख की कीमत में भी घालमेल कर निगम को चूना लगाने का काम बीएस तिवारी ने किया था.
विश्वस्त सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि मंगलम सीमेंट ने बीएस तिवारी की शर्तों को मानकर राख का एग्रीमेंट किया और अपना सीमेंट का प्रोजेक्ट लगाया और उसके दामाद दीपक गांधी को अपने यहां नौकरी भी दिया. लेकिन बाद में यूनिट 7 से राख की सप्लाई कम होने के चलते मंगलम सीमेंट की इकाई का काम लगभग ठप होने लगा. इससे परेशान हरदुआगंज में मंगलम सीमेंट के यूनिट हेड ओसवाल व अन्य ने प्रबंध निदेशक रहे अमित गुप्ता से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई कि हमने पैसे भी दिए, बीएस तिवारी के रिश्तेदार को अपने यहां नौकरी भी दी, फिर भी हमारी यूनिट बंद होने की कगार पर है क्योंकि राख की पूरी सप्लाई नहीं मिल पा रही है. चूंकि हमारा आपके साथ एग्रीमेंट है इसलिए हमको राख मिलनी चाहिए.
मंगलम सीमेंट के अधिकारियों ने तत्कालीन प्रबंध निदेशक अमित गुप्ता से आर्बिट्रेशन व कोर्ट जाने की धमकी भी दिया. बताया जाता है कि जिसके बाद दबाव में आये बीएस तिवारी ने दूसरी कंपनी ऐश टेक को 710 रूपये प्रति टन में दिए जाने वाली वाली राख को ₹206 मात्र में मंगलम सीमेंट को दिया. इससे करीब 700 टन राख देने से 3.5 लाख रुपये हर दिन नुकसान होने का अनुमान है, जिससे सीधे राजकीय धन हानि हुई है और यह पूरा काम बीएस तिवारी की कृपा के चलते यह एक कंपनी के पास चला जाएगा व कीमतों की प्रतिस्पर्धा भी नहीं रही.
इस तरह बीएस तिवारी के हरदुआगंज प्रेम की वजह साफ़ हो जाती है और बीएस तिवारी ने हर उस जगह हाथ साफ करने का काम किया जहां पर उसको संभावना नजर आई. फिलहाल बीएस तिवारी पर जांच का शिकंजा बढ़ता जा रहा है और वह इससे बचने के लिए अपनी सक्रियता को बढ़ा चुका है लेकिन जब पाप का घड़ा भर जाता है तो सारे प्रयास भी विफल हो जाते हैं. बेईमानी का फल, आज नहीं तो निश्चित कल.
आगे-आगे देखिये होता है क्या…..और क्या है नैश पम्प खरीद की हकीकत पढ़िए अफसरनामा में.
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