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कोयले से भी काली हैं जीएम यूएस गुप्ता और जेई सुरेंद्र की कारस्तानियां

“घर को लगा दी आग घर के ही चिराग ने”  पार्ट 2.

#हर राज में रहा बुलंद सितारा, JE Surendra रहा है GS Gupta का प्यारा.

#JE Surendra को सिविल इंजीनियर न होते हुए भी GM, Gupta ने दिया सरिया की गुणवत्ता जांचने का काम.

#कम्पनी पर दबाव बना मनमाना करने के लिए अपनाता था हथकंडे, बिल के भुगतान को लटकाया.

#सरिया चोरी में नाम आने पर Doosan कंपनी ने अपने अधिकारी सुषांत मुखर्जी को हटाया.

#हरदुआगंज में इसी कंपनी के बिल को 210 दिन लटकाया जबकि 45 दिन में भुगतान का है एग्रीमेंट.

#हरदुआगंज में AXEN रहे US Gupta की नाक के नीचे यह सब कारनामा करता रहा JE Surendra.

#बिल लटकाए जाने के पूरे प्रकरण की लिखित जानकारी दी गयी थी सुबीर चक्रवर्ती को.

#फिलहाल सरिया चोरी के जांच कर रहे हैं निदेशक परियोजना निर्माण सुबीर चक्रवर्ती.

#फिलहाल बिजली विभाग के कुछ अफसर और एक पार्टी प्रवक्ता GM और JE को बचाने में लगे.    

अफसरनामा ब्यूरो 

लखनऊ : आखिर क्या है सरकारी, सरिया की चोरी कर सरकारी खजानों को चूना लगाने वाले GM, US Gupta और JE, Surendra Singh की पूरी कहानी, और कैसे ये बने इतने ताकतवर कि अपनी हर तैनाती में कारस्तानी करने के बावजूद बचते रहे और साथ ही साथ हर उस जगह जहां कारनामे करने की गुंजाईस रही अपनी तैनाती कराने में भी कामयाब रहे. एटा के जवाहर तापीय विद्युत् परियोजना में JE Surendra को तैनात करा और सरिया की गुणवत्ता जांचने का काम JE Surendra को सिविल इंजीनियर न होते हुए भी GM, US Gupta द्वारा दिया जाना खुद में सरिया चोरी का पूरा मसला समझने के लिए काफी है.

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक़ GM, US Gupta जहां-जहां भी तैनात रहे वहां पर JE, Surendra Singh की भी तैनाती रही. वर्ष 2014 से पहले जब JE, Surendra Singh करीब 10 साल तक हरदुआगंज में JE Store था तब GM, US Gupta वहां AXEN हुआ करते थे.  हरदुआगंज में Surendra Singh के JE Store रहने के दौरान भी काफी चोरियां हुई थीं और स्क्रेब को लेकर मर्डर भी हुआ था, जिसका रिकार्ड आज भी हरदुआगंज में अभिलेखों में दर्ज है. और आज जब एटा की जवाहर तापीय बिजली परियोजना के GM, US Gupta हैं तो यहाँ भी Surendra Singh, इंजीनियर Civil न होते हुए भी JE Civil की हैसियत से तैनात है.

जानकारी में तो यह भी है कि Surendra Singh की जवाहर परियोजना में तैनात कराने के लिए GM, US Gupta ने अपने रसूखों का इस्तेमाल किया था. US Gupta के रसूख का आलम यह है कि वर्तमान में वह दो-दो जगह के GM के चार्ज में हैं. श्री गुप्ता जवाहरपुर में GM हैं तो हरदुआगंज में GM Civil बने हुए हैं. मजे की बात यह है कि हरदुआगंज में GM Civil का पद ही नहीं स्वीकृत है इसके बाद भी इनको वहां तैनाती मिली हुई है जो कि इनके रसूख को समझने के लिए काफी है.

बताते चलें की GM, US Gupta की जवाहरपुर में तैनाती कराने की पैरवी भारतीय जनता पार्टी के एक प्रवक्ता ने की थी. इसके अलावा GM, US Gupta ने अपने मथुरा के एक रिश्तेदार से भी दबाव बनवाकर अपनी तैनाती एटा की जवाहर तापीय बिजली परियोजना के GM पद पर कराई थी. इस बात का जिक्र GM US Gupta ने खुद हाल ही में अलीगढ़ में हुई एक दारू पार्टी में  नशे में धुत होकर स्वयं कहा था कि उसका एक कथित समाधी जिसका मथुरा में बड़ा कारोबार है, उन्होने इनकी तैनाती कराई थी और दोनों परियोजनाओं का चार्ज दिलवाया था. और बाद में अपने इसी रसूखों का इस्तेमाल कर GM, US Gupta ने JE, Surendra Singh को भी एटा में तैनात कराया. और इसके बाद जवाहर परियोजना के GM की हैसियत से US Gupta ने JE, Surendra Singh को निर्मित परियोजना में टी0एम0टी बार की गुणवत्ता व परिवहन सम्बन्धी समस्त कार्यों का भी इंचार्ज बनाया जबकि वह इंजीनियर विद्युत् एवं यांत्रिकी हैं.

JE Surendra के सिविल इंजीनियर न होने के बावजूद GM, US Gupta ने दिया सरिया की गुणवत्ता परखने  का काम …   

  

दरअसल चोरी का यह पूरा खेल एक सिंडिकेट की तरह किया जाता है जिसमें हरदुआगंज में 10 साल तक एक ही जगह JE Store रहने वाले Surendra Singh को महारत हासिल है. इसलिए US Gupta की जहां भी तैनाती हुई वह इसको अपने साथ तैनात कराए और अभी तक निर्भीक होकर अपने चोरी के धंधे को अंजाम देते रहे. लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है और आखिरकार प्रशासन के चंगुल में फंस ही गए. मामला छोटा मोटा होता तो शायद ये यहाँ भी बचने में कामयाब हो जाते. लेकिन यह इतने बेअंदाज हो गए थे कि खुद को नौकरशाह नहीं बल्कि रियाया समझने लगे थे, और यही परिणाम रहा कि आज बेनकाब हो रहे हैं.

गुरूवार को जब lucknow की टीम जांच के लिए साईट पर पहुंची तब JE Surendra भाग गया था और करीब डेढ़ घंटा बाद आया. इस बीच बताते हैं कि JE Surendra ने GM US Gupta से जांच टीम के सामने क्या बयान देना है इसके बारे में फोन पर सलाह लेने गया था. JE Surendra की इस हरकत से निदेशक परियोजना निर्माण Subir chakraverty खासे नाराज भी दिखे थे.

जानिये चोरी के कारनामों के लिए आखिर कैसे बनाता था दबाव JE Surendra   

हरदुआगंज में तैनाती के दौरान JE Surendra ने Doosan कंपनी से चोरी की छूट/मिलीभगत ना होने पर उसका बिल रोक दिए थे. बिल भुगतान के लिए Doosan के अनुबंध में है कि उत्पादन निगम अधिकतम 45 दिनो के भीतर पेमेंट कर देगा. परंतु JE Surendra ने Doosan के बिल सौदेबाजी ना हो पाने के कारण देर से बनाए और तब बनाए जब नगम का लखनऊ निदेशालय Doosan की शिकायत करने पर सख्ती दिखाया. जांच में पता चला कि JE सुरेन्द्र द्वारा 30 दिन में बनने वाले बिलों को बनाने में 210 दिन की देरी की जो कि उसकी बदनीयती को साबित करता है. इस पूरे प्रकरण में मजे की बात यह है कि JE Surendra यह मनमानी तब AXEN रहे US Gupta की नाक के नीचे करता रहा. इस पूरे प्रकरण की लिखित शिकायत वर्तमान में एटा जवाहरपुर सरिया चोरी के प्रकरण की जांच कर रहे सुबीर चौधरी को दी जा चुकी है लेकिन अभी तक उसपर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई. ऐसे में इसबार सुबीर चौधरी कैसी जांच करेंगे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इस बिल भुगतान में हुई देरी से हरदुआगंज परियोजना का निर्माण विलंबित हो गया. यदि कोई अन्य अधिकारी ने ऎसा किया होता तो उसे निगम प्रशासन निलंबित कर देता या हटा देता परंतु वहां भी GM US Gupta थे और उन्होने अपने पैसे व प्रभाव के बल पर कोई कार्यवाही न ही की और न ही होने दी. जाहिर है कि JE Surendra और GM US Gupta की आपसी मिली भगत है और सरिया चोरी GM US Gupta की ही सरपरस्ती में हो रहा था.

हालांकि गुरूवार को जब lucknow की टीम जांच के लिए साईट पर पहुंची तब JE Surendra भाग गया था और करीब डेढ़ घंटा बाद आया. इस बीच बताते हैं कि JE Surendra और  GM US Gupta से जांच टीम के सामने क्या बयान देना है इसके बारे में फोन पर सलाह लेने गया था. JE Surendra की इस हरकत से निदेशक परियोजना निर्माण सुबीर चक्रवर्ती खासे नाराज भी दिखे.

उधर Doosan कंपनी ने अपने अधिकारी सुषांत मुखर्जी जिसका नाम सरिया चोरी के इस पूरे खेल में सामने आ रहा था उसे Doosan कंपनी ने हटा दिया है. बताते हैं कि उक्त अधिकारी ने खुद के बचने के लिए एसडीएम सदर महेंद्र सिंह तंवर को 30 लाख रुपया का ऑफर भी दिया था जिसको SDM द्वारा ठुकराया ही नहीं गया बल्कि डाट कर भगा दिया. घूस के पेशकश की इस रकम से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरिया चोरी की यह रकम एक दो लाख नहीं बल्कि करोड़ों रुपये की है. वहीं दूसरी तरफ बिजली विभाग के कुछ अफसर और पार्टी प्रवक्ता फिलहाल GM, US Gupta और JE, Surendra को बचाने में लगे हैं जिसके चलते अभी तक इन पर किसी तरह की विभागीय कार्यवाही नहीं हो सकी है.

इस बिल भुगतान में हुई देरी से हरदुआगंज परियोजना का निर्माण विलंबित हो गया. यदि कोई अन्य अधिकारी ने ऎसा किया होता तो उसे निगम प्रशासन निलंबित कर देता या हटा देता परंतु वहां भी GM US Gupta थे और उन्होने अपने पैसे व प्रभाव के बल पर कोई कार्यवाही न ही की और न ही होने दी. जाहिर है कि JE Surendra और GM US Gupta की आपसी मिली भगत है और सरिया चोरी GM US Gupta की ही सरपरस्ती में हो रहा था.

एटा की जवाहर परियोजना की सरिया चोरी में जीएम गुप्ता और जेई सुरेंद्र की मिली भगत की बात आ रही सामने  

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