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जिला प्रशासन चुस्त तो उर्जा विभाग सुस्त, जवाहरपुर परियोजना की सरिया चोरी का मामला

#सरिया चोरी प्रकरण की जिला प्रशासन द्वारा जांच की प्रथम रिपोर्ट शासन को भेजी गयी. 

#शासन की मंशा और जिला प्रशासन की रिपोर्ट को दरकिनार करने में जुटा बिजली विभाग.

#कार्यवाही के नाम पर बस तबादला, योगी की आँख में भी धूल झोंकने की कवायद जारी.

#जिला प्रशासन की रिपोर्ट में दोषी गुप्ता व जेई को बचाने के लिए की जा रही विभाग में लाबिंग.

#यूएस गुप्ता को बचाने में एक भाजपा प्रवक्ता सहित कुछ अफसरों के शामिल होने की जानकारी.

#गुप्ता को कार्यवाही से बचाने के लिए एमडी को दिखाया जा रहा है इंजीनियर्स के हड़ताल का काल्पनिक भय.

#बिजली विभाग के जिम्मेदारों द्वारा पूरे प्रकरण की शुरू से की जा रही लीपापोती.

#जुगाड़ से तैनाती पाए और बिना स्वीकृत पद के हरदुआगंज के चार्ज में रहे गुप्ता को मुख्यालय में बैठाया गया.

#गुप्ता को मुख्यालय में भी बिना स्वीकृत पद पर तैनात किया गया जबकि इंजी0सुरेन्द्र को सोनभद्र भेजा गया.

#क्या, गुप्ता को मुख्यालय में बैठाकर मामले को मैनेज करने का दिया जा रहा अवसर.      

अफसरनामा ब्यूरो 

लखनऊ : योगिराज में जनशिकायत पोर्टल पर आई शिकायतों के निस्तारण का मसला हो या फिर मनोरंजन विभाग के कर्मचारियों के समायोजन का सब में विभागीय अफसरों की मनमानी अभी तक सामने आई और मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशों को भी ठेंगा दिखाने का काम किया गया. अब कुछ ऐसा ही बिजली बिभाग में देखने को मिल रहा है जहां जवाहरपुर की सरिया चोरी के प्रकरण में जिला प्रशासन की प्रथम जांच रिपोर्ट में संलिप्त पाए जाने के बावजूद दोषी अफसर यूएस गुप्ता और जेई सुरेन्द्र कुमार को बचाने की कवायद की जा रही है.

जिला प्रशासन और शासन के सूत्रों से मिली ताजा जानकारी के अनुसार एटा के जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने अपनी जांच में यूएस गुप्ता और सुरेन्द्र कुमार की संलिप्तता को पाते हुए अपनी प्रथम रिपोर्ट शासन को भेज दी है. शासन द्वारा इस फाईल पर कार्यवाही हेतु बिजली विभाग के जिम्मेदारों के पास भेज दिया है. लेकिन उर्जा विभाग में शीर्ष पर बैठे अधिकारी अन्य विभागों की तरह ही इस प्रकरण में शासन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा और निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए कोई कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं.

एटा के जवाहरपुर परियोजना की सरिया चोरी के प्रकरण की लीपापोती करने और यूएस गुप्ता को बचाने में जुटे निगम के शीर्ष जिम्मेदारों ने पहले तो वहीं तैनात रखा, लेकिन चौतरफा दबाव के चलते उसको जवाहरपुर से हटाकर मुख्यालय में तैनाती दे दी ताकि वह मुख्यालय में बैठकर अपने कारनामों को मैनेज कर सके. विभाग के नियुक्ति प्रभाग की जिम्मेदारी देख रहे गुप्ता के खैरख्वाहों ने सरिया चोरी के इस मास्टरमाइंड गुप्ता की निदेशालय में तैनाती बिना पद के ही दे दी, जबकि दूसरे सुरेन्द्र कुमार को सोनभद्र भेज दिया. अब सवाल यह है कि पैसे और प्रभाव के बल पर तैनाती पाने वाला गुप्ता मुख्यालय पर बैठकर क्या जांच को प्रभावित नहीं करेगा या फिर उसको कर्णधारों द्वारा मौका दिया जा रहा है? मिली जानकारी के मुताबिक़ गुप्ता खुद को बचाने के लिए अपने आकाओं के चक्कर लगाना शुरू कर चुका है.     

जानकारी में तो यह भी है कि यूएस गुप्ता को बचाने के लिए कुछ अफसर लाबिंग करते हुए प्रबंध निदेशक पर दबाव बनाये हुए हैं. नवनियुक्त एमडी को विभाग में हड़ताल का काल्पनिक भय भी दिखाया जा रहा है. ऐसे में यदि ये  अफसर अपने इन मंसूबे में कामयाब हो जाते हैं तो जमीनी स्तर पर दिलेरी दिखा और प्रलोभन में ना आने वाला वह अफसर कितना हतोत्साहित होगा जिसने इस सिंडिकेट का खुलासा किया, यह समझा जा सकता है. अब इस पूरे प्रकरण में विभाग और शासन के कदमों का इंतजार है.

पिछले दिनों एटा जनपद में जवाहरपुर तापीय परियोजना में इस्तेमाल होने वाली सरिया की चोरी के एक बड़े सिंडिकेट का खुलासा वहां के एसडीएम के द्वारा किया गया. सरिया चोरी के इस पूरे प्रकरण में “अफसरनामा” ने विभागीय संलिप्तता का भी मुद्दा उठाया तो शासन भी हरकत में आया और मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा पूरे प्रकरण की मॉनिटरिंग शुरू कर दी गई.

इसके अलावा यूएस गुप्ता को जवाहरपुर परियोजना का जीएम बनवाने में कुछ विभागीय अधिकारियों के अलावा एक बीजेपी के प्रवक्ता का भी नाम सामने आया था. सियासी रसूख और बिजली विभाग में शीर्ष पर बैठी अफसरशाही की मेहरबानियों के चलते यूएस गुप्ता जवाहरपुर के साथ ही साथ हरदुआगंज में बिना स्वीकृत पद के ही अतिरिक्त प्रभार लेने में कामयाब रहा था. लेकिन जब इस सवाल को “अफसरनामा” द्वारा प्रमुखता से उठाया गया तो दूसरे ही दिन यूएस गुप्ता के पास से यह प्रभार जिम्मेदारों ने हटा लिया.

इसी तरह एटा की सरिया चोरी के इस प्रकरण का खुलासा होने के बाद भी जीएम यूएस गुप्ता और जेई सुरेन्द्र कुमार को कई दिनों तक वहीँ तैनात रखा गया था. वहीं चेयरमैन आलोक कुमार के भेजे गए जांच अधिकारी सुबीर चक्रवर्ती भी पूरे प्रकरण की जांच के नाम पर लीपापोती करके लौट आये थे.  लेकिन जब “अफसरनामा” ने यूएस गुप्ता और सुरेन्द्र कुमार की तैनाती को लेकर सवाल खडा किया कि ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे होगी ? तब यूएस गुप्ता को जवाहरपुर से हटा कर निदेशालय में तैनात कर दिया गया लेकिन इंजीनियर सुरेन्द्र कुमार की तैनाती वही रही. जब दुबारा यह सवाल उठा तब इंजीनियर को भी वहां से हटाकर सोनभद्र तैनात कर दिया गया.

ऐसे में अफसरों की इस तरह की लीपापोती के पीछे की वजह सियासी है या उनका कुछ व्यक्तिगत इंटरेस्ट यह भी जांच का विषय है और उम्मीद है कि देर सबेर शासन इसको भी संज्ञान में जरूर लेगा. इसके आलावा यूएस गुप्ता को बचाने के लिए विभाग के ही कुछ अफसरों द्वारा की जा रही लाबिंग का भी संज्ञान शासन को गंभीरता से लेना चाहिए. अन्यथा यूएस गुप्ता की जांच भी बीएस तिवारी की जांच बन के रह जाएगी जिसमें तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल ने जांच पर जांच बैठाकर मामले को रफा-दफा कर दिया था.

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आगे पढ़िए….US Gupta को GM जवाहरपुर…बनवाने के पीछे कौन  ?  

 

 

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