#आजम के लाडले नगर आयुक्त उदयराज सिंह सहित अन्य पर योगी की नई तबादला नीति नहीं है प्रभावी.
#भाजपा के मंत्री का शिकायती पत्र भी इनपर रहा बेअसर.
# आठ महीने पहले जिसको विभागीय मंत्री ने किया निलंबित, वह पुनः उसी जोन में तैनाती पाने में रहा कामयाब .
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इरादे और मंशा को धता बताने और जीरो टोलरेंस तथा पारदर्शी सरकार के उनके संकल्प व नीतियों को उनके अधिकारी और मंत्री खुद दरकिनार करते हुए सरकार को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. सूबे की राजधानी लखनऊ नगर निगम में जिसके मंत्री आरएसएस विचारधारा से राजनीति में आये सुरेश खन्ना हैं. उनकी नाक के नीचे मुख्यमंत्री योगी की तबादला नीति को धता बताते हुए दागी अफसरों की महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती में अनदेखी की जा रही है. जब राजधानी में मंत्री की नाक के नीचे का यह हाल है तो प्रदेश के बाकी निगमों का क्या हाल होगा यह समझा जा सकता है.
दरअसल 13वें वित्त आयोग और अवस्थापना निधि के काम में गड़बड़ी के सम्बन्ध में पत्रांक संख्या 92/S.T./AMCA/16 दिनांक 10.05.2016 को वर्तमान नगर आयुक्त लखनऊ उदय राज सिंह द्वारा एक चार्जसीट सचिव नगर विकास विभाग उत्तर प्रदेश शासन को भेजी गयी थी. जिसमें नगर अभियंता वी एल गुप्ता, डीडी गुप्ता, मनीष अवस्थी, कमलजीत सिंह, राजवीर सिंह एवं तत्कालीन नगर अभियंता हरिराम के विरुद्ध आरोप पत्र व साक्ष्यों सहित इस अनुरोध के साथ शासन को भेजा गया कि दोषी अभियंताओं के विरुद्ध शासन द्वारा कार्यवाही करने का उचित निर्णय लिया जाय. पैसे और प्रभाव के चलते मामले को जांच के नाम पर उलझा दिया गया है और नीचे से उपर तक धक्के खा रही है. और तो और योगी की तबादला नीति भी इनपर प्रभावी नहीं है.
फिलहाल नगर निगम लखनऊ में अजब गजब कारनामे देखने को मिल रहे हैं. निगम के कुछ अधिकारियों का रसूख इतना है कि सरकार किसी की भी हो लेकिन उपरवालों की मेहरबानी इनके क़दमों में ही होती है. लखनऊ नगर आयुक्त की कुर्सी पर अखिलेश सरकार से जमे आजम के करीबी कहे जाने वाले उदयराज सिंह और उनकी टीम का सिस्टम इतना मजबूत है कि पिछली सपा सरकार में राजधानी में रहकर मलाई काटने के बाद अब योगी सरकार में भी यहीं तैनात हैं. करीब एक दसक से लखनऊ में जमे होने के बावजूद इनपर योगी सरकार की नयी तबादला नीति लागू नहीं है. इसके अलावा 13वें वित्त आयोग और अवस्थापना निधि के काम में गड़बड़ी पाए जाने के बाद गठित कमेटी की जांच में आरोप सिद्ध हुआ और शासन को जांच में दोषी पाए गए अधिशासी अभियंताओं के खिलाफ कार्यवाही के लिए वर्तमान नगर आयुक्त द्वारा पत्र भी भेजा गया लेकिन शासन से कार्यवाही तो दूर खुद नगर आयुक्त ने इन दोषी पाए गए अभियंताओं पर कोई कार्यवाही नहीं की और उनको उसी जोन में बनाये रखा. फिलहाल कार्यवाही की फाईल जांच के नाम पर धक्के खा रही है और दोषियों को लीक से हटकर जिम्मेदारियां दी जा रही हैं.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि उक्त प्रकरण में खुद जांच समित में शामिल होने और दोषियों पर आरोप सिद्ध होने के बाद कार्यवाही की संस्तुति करने वाले नगर आयुक्त उदयराज सिंह ने जोन 5 में तैनात बाबू राजेंद्र यादव को निलंबित तो कर दिया था जो कि अभी तक निलंबित है लेकिन उन अभियंताओं पर खद के स्तर से कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि अभी तक उन पर मेहरबानी दिखाते हुए उनको प्रमुख जगहों पर तैनात किये हुए हैं. सूत्रों की मानें तो विभागीय मंत्री की मेहरबानी और नगर आयुक्त की मनमानी के चलते अधिशाषी अभियंता को मुख्य अभियंता का कार्यभार दिया गया है, अधिशाषी अभियंता (सिविल) को इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल इंजीनियरिंग के मुख्य अभियंता का काम दिया गया है. निगम में इस तरह की तैनाती से अब यह चर्चा आम होने लगी है कि लगता है कि अब निगम में दूसरा योग्य अफसर नहीं रह गया है जोकि दोषी पाए गए और अभी तक अपनी पूरी नौकरी प्राधिकरण व नगर निगम में करने वाले अधिशाषी अभियंता (सिविल) कमलजीत सिंह को इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल इंजीनियरिंग के मुख्य अभियंता का काम भी सौंप दिया गया. इसके अलावा डीडी गुप्ता (Ex.En.) नगर अभियंता जोन-2 लगभग 8-9 साल से इसी जोन में तैनात हैं. मंत्री सुरेश खन्ना के दौरे के दौरान कार्य में लापरवाही पाए जाने के चलते करीब आठ महीने पूर्व मंत्री ने स्वयं इनको निलंबित कर दिया था लेकिन पुनः जुगाड़ के बल पर डीडी गुप्ता जोन-2 के अपने पुराने कार्यभार पर तैनाती पाने में कामयाब हो गए.
योगी सरकार की नयी तबादला नीति में एक जगह 5 साल से ज्यादा जमे अधिकारियों, कर्मचारियों का तबादला जरूरी है. ऐसे में इन सबका आरोपों के बाद भी इस तरह से एक जगह जमा रहना सवाल खडा करता है. नगर अभियंता मनीष अवस्थी करीब 15 सालों से लखनऊ में तैनात हैं. फरीद अख्तर जैदी 2009 से लगातार अभी तक नगर निगम लखनऊ में उसी जोन में ही तैनात हैं जिसमें पहले वो सहायक अभियंता भी रह चुके हैं. जैदी उसी जोन में सहयाक अभियंता रहे और अब उसी जोन में अधिशाषी अभियंता के पद पर तैनात हैं. वर्तमान में बीएल गुप्ता (Ex.En.) नगर अभियंता जोन-1 में तैनात हैं जबकि जब इनके खिलाफ जब जांच हुयी थी तब भी ये जोन-1 में इसी पद पर तैनात थे और नगर निगम लखनऊ में करीब 15 साल से ज्यादा हो चुके हैं. डीडी गुप्ता (Ex.En.) नगर अभियंता जोन-2 में करीब 9 साल से डटे हुए हैं.
फिलहाल आरोपी अभियंताओं पर कोई कार्यवाही न होने और इनकी उसी जगह तैनाती इनकी पहुँच के साथ ही साथ और भी तमाम सवाल खड़े करती है. नगर विकास विभाग की यह उदासीनता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टोलरेंस की नीति को ठेंगा दिखाती दिखा रही है और उनके स्वच्छ प्रशासन, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था पर ग्रहण लगाने का कार्य कर रही है.
जांच में दोषी अधिशाषी अभियंताओं की तैनाती और उनके कारनामों का विवरण कुछ इस प्रकार है : –
- कमलजीत सिंह, नगर निगम के जोन-4 एवं जोन -7 के मुख्यअभियंता सिविल
अभी तक अपनी पूरी नौकरी लखनऊ में प्राधिकरण और नगर निगम में करने वाले कमलजीत सिंह (Ex.En.) को सपा सरकार ने पुरस्कृत करते हुए सूडा में प्रभारी मुख्य अभियंता के पद पर तैनात किया था जबकि ये एक अधिशाषी अभियंता हैं. पिछली सरकार में पहुँच रखने वाले ये जनाब योगी सरकार में बड़े कामयाब दिखाई दे रहे हैं, वर्तमान सरकार ने इनके पूर्व के पद के अलावा काफी कनिष्ठ होने के बावजूद नगर निगम के जोन-4 एवं जोन -7 के मुख्य अभियंता सिविल का नियमों के विरुद्ध अतिरिक्त चार्ज दे दिया है, जबकि नगर निगम लखनऊ में मुख्य अभियंता का पद पहले से ही चला आ रहा है और उसी के उपर सभी जोन के कार्यों की जिम्मेदारी होती रही है. लेकिन नगर निगम लखनऊ का मोह न छोड़ पाने और नगर आयुक्त से अपनी नजदीकियों के चलते निगम में पहले से ही तैनात मुख्य अभियंता के बावजूद कमलजीत ने निगम के दो जोन में अपना मुख्य अभियंता के रूप में दखल बरकरार रखा है. कमलजीत सिंह पहले भी विवादित रहे हैं 2014-15 में इन्होने रिलायंस की केबिल लाइन डालने के लिए Road Cutting के लिए शासन को गलत आगणन (Estimate) भेजा था, जिसको शासन ने गंभीरता से लेते हुए इनके विरुद्ध सचिव की अध्यक्षता में एक जांच नियुक्त भी किया था लेकिन यह जांच भी पहले की तरह ठन्डे बस्ते में जा चुकी है. करीब एक महीने पहले नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने इनकी काबिलियत से प्रभावित होकर वर्तमान चार्ज के अलावा मुख्य अभियंता आरआर(Rubbish Rimoval) एवं बिजली विभाग का कार्य भी दे दिया है. अभी तक यह कार्य मुख्य अभियंता आरआर और बिजली विभाग का कार्यभार इलेक्ट्रिकल और बिजली बिभाग के मुख्य अभियंता के पास रहा है जोकि इस पद के लिए अर्ह हैं.
- मनीष अवस्थी, अधिशाषी अभियंता जोन-3
लखनऊ नगर निगम में जोन-3 में तैनात अधिशाषी अभियंता मनीष अवस्थी पर कुछ ठेकेदार शिकायत करते हुए आरोप लगा चुके हैं कि इनके द्वारा टेंडर आवंटन में गलत तरीके से पक्षपात करने व परोक्ष रूप से खुद ठेकेदारी करने की नियत से दूसरे डमी ठेकेदारों की मदद में लगे रहते हैं. जिसमें अवस्थापना निधि एवं 14 वें वित्त आयोग के फैजुल्लागंज, विकास नगर एवं शंकर पूरवा क्षेत्र के काम प्रमुख रूप से रहे हैं. लखनऊ नगर निगम में वर्षों से एक ही जगह जमे मनीष अवस्थी (Ex.En.) नगर अभियंता जोन-3 पद पर फिलहाल तैनात हैं. मनीष की करीब पंद्रह साल से ज्यादा की तैनाती लखनऊ में है और सात से ज्यादा की जोन-3 में हो चुकी है.
- फरीद अख्तर जैदी, अधिशाषी अभियंता जोन-6 के खिलाफ मंत्री का शिकायती पत्र भी रहा बेअसर
जानकारी के मुताबिक़ कुछ इसी तरह के कामों में फिलहाल जोन 6 के अधिशाषी अभियंता फरीद अख्तर जैदी भी लगे हैं. पिछली सरकार में तब जोन-6 में सहायक अभियंता के पद पर तैनात भ्रष्टाचार के आरोपी फरीद अख्तर जैदी को अधिशाषी अभियंता के पद पर पदोन्नति मिलने के बाद भी लखनऊ के उसी जोन में नियमों की अनदेखी करते हुए अधिशाषी अभियंता के पद पर तैनात किया गया है. जबकि प्रमोशन मिलने के बाद स्थानान्तरण अनिवार्य है लेकिन बावजूद इसके जैदी करीब 9 साल से अधिक एक ही जोन में सहायक अभियंता और अधिशाषी अभियंता के पद पर तैनात हैं. सूत्रों की मानें तो इनके विरुद्ध इसी सरकार की कद्दावर मंत्री रीता जोशी बहुगुणा ने तमाम भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक पत्र नगर विकास मंत्री को भेजा था लेकिन इनका प्रभाव इतना है कि उसपर कार्यवाही के बजाय पत्र को दबा दिया गया. फरीद अख्तर जैदी पर कमीशन लेने के गंभीर आरोप भी लगते रहे हैं. राजाजीपुरम में जलालपुर रेलवे फाटक के अंडरपास के निर्माण में इसी कमीशन खोरी के चलते छह महीने के अन्दर दरार आ गयी थी. राजाजीपुरम में ही पारा क्षेत्र में आवासीय भवनों के निर्माण में नगर निगम के भ्रष्टाचार में लिप्त अभियंता जैदी ने उच्च अधिकारियों से मिली भगत कर इन कार्यों के टेंडर, कार्य स्वीकृत होने के पूर्व ही अपने चहेते ठेकेदारों को कुर्सी दर क्षेत्रफल (Plinth Area) के आधार पर नियम विरुद्ध तरीके से टेंडर कराकर आवंटित कर दिया था. जबकि राज्य की अन्य निर्माण एजेंसियां किसी कार्य का टेंडर मदवार (Itemwise) कराती हैं जो कि नियम संगत है. जानकारों की मानें तो जैदी की इस गलत टेंडर प्रक्रिया से सरकार को करीब 20 प्रतिशत का नुकसान हुआ. सूत्रों की मानें तो जैदी ने कुछ इसी तरह का काम जोन 6 में ही गोमती नगर स्थित हाईकोर्ट के नवीन परिसर के सामने कमता में एक कामर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण में भी किया है.
बीएल गुप्ता (En.) नगर अभियंता जोन-5—घोटाले के समय जोन-1 में थे फिर 5 में गए फिलहाल जोन-1 मैं तैनात हैं, लखनऊ में इनकी तैनाती करीब 15 साल से है. प्रमोशन में आरक्षण लेकर हरिराम (En.) नगर अभियंता जोन-5 में तब तैनात थे, फिलहाल जोन-6 में सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं. बाद में हरिराम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पदावनतकिये जाने के बाद सहायक अभियंता जोन-6 में तैनात है.