अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की विधानसभा में आखिर मंगलवार को विपक्ष के व्यापक विरोध और सदन से बर्हिगमन के बीच यूपीकोका विधेयक पास हो गया. मुख्यमंत्री योगी ने विधेयक पेश करते हुए इसे राज्य की कानून व्यवस्था के लिये जरुरी बताया, जबकि विपक्ष का कहना था कि यह विधेयक लोकतंत्र विरोधी है और इसका जमकर दुरुपयोग किया जायेगा. विपक्ष ने विधेयक में कई खामियां गिनाते हुए इसे विधानसभा की प्रवर समिति को सौंपे जाने की बात कही थी. यह विधेयक प्रवर समिति से बिना संशोधन के परिषद वापस कर दिया गया था. दरअसल सरकार का मानना है कि दूसरे राज्यों की तर्ज पर यूपीकोका बिल भी कानून का राज चलाने में सहायक होगा और प्रदेश में अराजकतत्वों पर लगाम लगाई जा सकेगी.
विधेयक के पारित होने के बाद अब इसे मंजूरी के लिये राज्यपाल रामनाईक के पास भेजा जायेगा. अगर जरूरी हुआ तो राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति के पास भी संदर्भित कर सकते है. सरकार का दावा है कि यूपीकोका से भूमाफिया, खनन माफिया समेत अन्य संगठित अपराधों पर नकेल कसने में मदद मिलेगी. सफेदपोशों को बेनकाब करने वाले इस कानून में 28 ऐसे प्रावधान है जो गिरोहबंद अधिनियम (गैंगस्टर एक्ट) का हिस्सा नही थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपीकोका के जरिये फिरौती के लिये अपहरण,अवैध खनन, अवैध शराब की बिक्री, बाहुबल के बूते ठेकों को हथियाना, वन क्षेत्र में अतिक्रमण और वन संपत्तियों का दोहन,वन्य जीवों का शिकार और बिक्री, फर्जी दवाओं का कारोबार, सरकारी और निजी जमीनों पर कब्जा, रंगदारी जैसे अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण लग सकेगा. इसके जरिये संगठित अपराध करने वाले लोगों की मदद करने वालों पर भी नकेल कसी जा सकेगी.
उन्होंने कहा कि इस कानून का दुरुपयोग रोकने के लिये उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय अपील प्राधिकरण बनाया जायेगा. इसमें प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशक स्तर का अधिकारी सदस्य होगा. इसके लिये प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय निगरानी समिति का भी गठन किया जायेगा. ऐसी ही समिति जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित होगी।