Free songs
BREAKING

चार्जशीटेड, प्रोबेशन पर चल रहे संविदा वाले निदेशक पर मेहरबान सुशासन सरकार के पहरेदार आलोक कुमार

# न बढ़ा सके उत्पादन, न कसी भ्रष्टाचारियों पर लगाम, दागियों से ही ले रहे काम.

अफसरनामा ब्यूरो 

लखनऊ : सुशासन और भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की सरकार चलाने का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ की नाक के नीचे कदाचार की गंगा बह रही है. प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए सबसे अहम बिजली महकमें में संविदा पर आए और प्रोबेशन पर चल रहे एक दागी निदेशक को लेकर तो कार्मिक प्रबंधन के क्षेत्र में इतिहास रचा जा रहा है. देश की नही दुनिया भर के कार्मिक एवं सेवायोजन के नियमों से उलट बिजली विभाग में संविदा पर भर्ती और प्रबोशन पर चल रहे कार्मिक निदेशक संजय तिवारी को गंभीर मामले में चार्जशीट देने के बाद भी उससे बदस्तूर काम लिया जा रहा है. चर्चा तो यह भी है कि क्या प्रमुख सचिव द्वारा इनको आने वाले तबादला सीजन को इंज्वाय कराने का इरादा है.

ओबरा “ब” में 14.10.18 के अग्निकांड के बाद संजय तिवारी के विरुद्ध जाँच संस्थित किये जाने के सम्बन्ध में आदेश जिसमें यह साफ़ लिखा है कि यह अभी संविदा पर हैं.  

    

इतना ही नही दागी निदेशक की बर्खास्तगी तो दूर प्रमुख सचिव इस चार्जशीट पा चुके कार्मिक निदेशक संजय तिवारी को अपना जवाब देने के समय पर समय देते जा रहे हैं. प्रमुख सचिव आलोक कुमार की एक दागी निदेशक पर इस कदर मेहरबानी देख प्रबंधन के बड़े-बड़े विशेषज्ञ तक हैरान हैं. उनका कहना है कि आज तक निजी या सार्वजनिक सेवायोजन के इतिहास में इस तरह की मिसाल नहीं देखी गयी कि संविदा पर भर्ती हुए और अब तक (करीब 1.5 साल हो चुके हैं)  प्रोबेशन पर चल रहे किसी व्यक्ति को गंभीर मामले में चार्जशीट थमाने के बाद उससे न केवल ससम्मान काम लिया जा रहा है बल्कि बचाव का भरपूर अवसर भी दिया जा रहा है. इतना ही नहीं संजय तिवारी पर ओबरा परियोजना में गलत तरीके से Fund Transfer किये जाने और कमीशन लेने का भी आरोप है जिसकी जांच चल रही है.

संजय तिवारी को संविदा पर निदेशक कार्मिक बनाये जाने का पत्र….

दागी निदेशक कार्मिक संजय तिवारी को चार्जशीट भी किसी मामूली मामले में नही बल्कि उत्पादन निगम में हत्या सरीखा गंभीर समझे जाने वाले अपराध बिजलीघर फूंकने जैसे मसले में थमाई गयी है. इस जघन्यतम मामले में जांच के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट में दोषी पाए गए अन्य पर तो प्रबंध निदेशक स्तर से कब की कारवाई हो चुकी है पर उच्च पदस्थ संजय तिवारी शासन प्रशासन में अपने रसूख और प्रमुख सचिव से यारी के चलते अब तक सरकारी साहिबी की मौज काट रहा है. संविदा पर चल रहे चार्जशीटेड निदेशक कार्मिक को आरोपपत्र थमाने के बाद उसी दिन यानी 28 फरवरी को रिमूव न करके अलोक कुमार द्वारा कार्मिक विभाग के इतिहास में एक अलग तरह का कीर्तिमान स्थापित किया गया है. जोकि विभाग में खासा चर्चा का विषय बना हुआ है और लोगों का कहना था कि पिछली सरकार की ही तरह इस सारकार में भी बड़े मगरमच्छों को बचाने का कार्य किया जा रहा है.

बताते चलें कि संविदा पर चल रहे उत्पादन निगम के निदेशक कार्मिक संजय तिवारी को भरसक बचाने का प्रयास आलोक कुमार द्वारा किया गया जोकि इस बात से ही समझा जा सकता है कि ओबरा अग्निकांड के बाद गठित जिस गुच्छ कमेटी की रिपोर्ट में कुल 4 लोग दोषी पाए गए थे. इनमें से एमडी पांडियन ने 1 को सस्पेंड किया और 2 को चार्जसीट देकर उनका साईड लाइन किया था. जबकि उसी गुच्छ रिपोर्ट में दोषी करार किये गए संविदा पर चल रहे उत्पादन निगम के निदेशक कार्मिक संजय तिवारी को आलोक कुमार द्वारा अंत तक बचाने का काम किया गया. निदेशक के पद पर रहने के कारण संजय तिवारी पर फैसला अलोक कुमार को लेना था लेकिन उनके द्वारा इसमें हीला हवाली अंत तक होती रही लेकिन अंत में “अफसरनामा” की खबर के दबाव के चलते 28 फरवरी को उसके रिटायरमेंट के दिन उसको चार्जसीट देना पडा था.

अब सवाल यह है कि जब एक ही जांच रिपोर्ट पर निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा समय से फैसला लेकर दोषियों पर उचित कार्यवाही कर दी जाती है तो शीर्ष पर बैठे अलोक कुमार को संजय तिवारी को चार्जसीट देने में देरी के पीछे क्या मंशा थी. अलोक कुमार का संजय तिवारी प्रेम अभी तक बरकरार है, अलोक कुमार संविदा पर चल रहे और चार्जसीट पाए संजय तिवारी को निदेशक कार्मिक के पद पर अभी भी बनाये रखे हैं जोकि अतार्किक, सिद्धांतहीन और नियम विरुद्ध है.

इसके अलावा 28 फरवरी को चार्जसीट पाए संजय तिवारी से 15 दिन के भीतर जवाब लेने के बजाय उनको मोहलत दी जा रही है वह भी पूरे 3 हफ्ते यानी कुल मिलाकर जवाब देने का समय 36 दिन. संजय तिवारी को चार्जसीट 28 फरवरी को दिया गया जिसका जवाब 15 दिन में देना होता है, लेकिन संजय तिवारी ने जवाब के लिए और समय मांगा जिस पर जांच अधिकारी चंद्रमोहन द्वारा 21 दिन का और समय दे दिया गया यानी अब 15 दिन पहले का और 21 दिन का बढ़ा हुआ समय यानी कुल मिलाकर 36 दिन का समय जवाब देने के लिए मिला है. इतना लंबा समय जवाब के लिए दिया जाना एकदम अब्यवहारिक है और तमाम तरह के सवाल खड़े करता है कि यह सब संजय तिवारी को बचाने की एक नई कवायद है, पहले प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार चार्जसीट देने में हीलाहवाली करते रहे और अंत में दबाव के बाद चार्जसीट रिटायरमेंट के अंतिम दिन दिए और अब जवाब दाखिल करने के लिए आरोपी के मनमाफिक समय देकर उसको बचने का मौका दिया जा रहा है.

बढ़ा कनेक्शन, बढ़ा भ्रष्टाचार, यूपी की बिजली का हो रहा बंटाधार, वाह रे अलोक कुमार

प्रोबेशन पर चल रहा बिजली निदेशक वित्तीय अनियमितता आरोपी भी, बिजली घर भी फुंकवाया, अब भी पद पर ठाठ से

आखिर चार्जसीट के साथ रिटायर हुआ दागी Sanjay Tiwari, क्या निदेशक का पद रहेगा बरकरार !  

दागी Sanjay Tiwari को माला पहना ससम्मान रिटायर करेंगे प्रमुख सचिव ऊर्जा !

उत्पादन निगम का कारसाज Sanjay Tiwari, सजा नहीं माला पहन होगा रिटायर

afsarnama
Loading...

Comments are closed.

Scroll To Top