#आयुक्त एवं सचिव राजस्व ने 5 जिलों के डी०एम० को गोमती के सीमांकन के लिए भेजा पत्र.
#सुस्त पड़ी ड्रेजर मशीन के उपयोग की कवायद ने भी जोर पकड़ा.
#गंगा के बाद गोमती की भी सुध लिए जाने की उम्मीद बलवती हुई.
#अफसरनामा ने 30.01.2020 को “गंगा यात्रा सराहनीय पर लोगों को है गोमती यात्रा का भी इन्तजार, सहायक नदियों की अनदेखी से अपेक्षित परिणामों में रहेगी कमी” नामक शीर्षक से पहले ही उठा चुका है मुद्दा.
#लिखा था- गंगा यात्रा की तर्ज पर गोमती यात्रा की भी है जरूरत, गंगा की सहायक नदियों के पुनर्जीवन के मौलिक उपाय जरूरी.
#अविरल व निर्मल गोमती पर “अफसरनामा” की रपट के बाद कुछ मुद्दों पर सरकारी मुहर पर कई अभी भी अछूते.
राजेश तिवारी
लखनऊ : गंगा यात्रा के दौरान “अफसरनामा” ने अपने लेख में गोमती के रखरखाव व उसके जल संचयन तथा संरक्षण सहित गंगा की अन्य सहायक नदियों के उद्धार के बिना गंगा की अविरलता पर सवाल उठाया था. गोमती के उद्धार के समबन्ध में कुछ बिन्दुओं सहित सरकार की तरफ से इसके उपाय के लिए उठाये जाने वाले कदमों में हो रही देरी या फिर अनदेखी से होने वाले कुप्रभावों का मुद्दा उठाया था. जिसके बाद शासन ने 29.01.2020 को जारी आदेश के मार्फत 5 जिलों के जिलाधिकारियों को गोमती के सीमांकन के लिए पत्र भेजा है.
“अफसरनामा” ने लिखा था कि “योगी सरकार की गंगा यात्रा को केंद्र की नमामि गंगा योजना से जोड़ गंगा को स्वच्छ रखने के लिए जनजागरण की बात स्वागत योग्य है. लेकिन उसकी सहायक नदियों को संरक्षित, अविरल व स्वच्छ किये बगैर यह संभव हो पाना कठिन है. आदि गंगा के नाम से पहचान रखने वाली धार्मिक व आर्थिक महत्त्व की गंगा की सहायक गोमती नदी ठोस योजनाओं व उसके क्रियान्वयन के अभाव में गन्दगी, अतिक्रमण का शिकार हो सूख रही है. उत्तर प्रदेश से ही निकल और यहीं पर खत्म होने वाली यह नदी आज अस्तित्व के संकट तक पहुँच चुकी है. गोमती के अलावा उत्तर प्रदेश की अन्य लुप्तप्राय हो चुकी सहायक नदियों सई, कथिना,सरायन,छोहा,सुखेता को भी जीवंत करना होगा ताकि गंगा में अविरल जल बना रह सके. अवध क्षेत्र में आस्था का प्रतीक गोमती नदी के धोपाप घाट से सटे जिले के निवासी और केंद्र की तर्ज पर सूबे में जलशक्ति मंत्रालय का गठन किये जाने के बाद योगी सरकार में राज्य मंत्री से प्रमोशन पा कैबिनेट मंत्री बने महेंद्र सिंह से प्रदेश की थाती कही जाने वाली गोमती के उद्धार की बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन फ़िलहाल इसको धक्का लगा है.
ऐसे में गोमती नदी के लिए गंगा यात्रा की तर्ज पर गोमती यात्रा निकाल जन जागरण करने के साथ ही सरकारी तंत्र को भी जागृत करने की तरफ भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. वैसे तो सरकार ने तमाम योजनायें बनाई हैं और “अफसरनामा” की खबर के बाद भूगर्भ जल विभाग भी चर्चा में आया. लेकिन गोमती नदी में जमी गाद और जलकुम्भी आदि हटाने के लिए ड्रेजिंग मशीन खरीदने की प्रक्रिया चर्चा में आने के बाद करीब चार माह से कोई अता पता नहीं है इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करता है. सरकार को गोमती यात्रा निकाल जुगाड़ टेक्नोलाजी की अभ्यस्त अफसरशाही को गोमती के उत्थान के लिए मौलिक कदम उठाने के लिए लगाना होगा.
शासनादेश ड्रेजिंग मशीन के सम्बन्ध में …….
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गंगा यात्रा सराहनीय पर लोगों को है गोमती यात्रा का भी इन्तजार, सहायक नदियों की अनदेखी से अपेक्षित परिणामों में रहेगी कमी