#नगर आयुक्त इन्द्रमणि के ताजे प्रकरण से 1997 बैच की DPC के तुरंत बाद नगर आयुक्त पीपी सिंह (1997) के निलम्बन की यादें की ताजा.
#1997 बैच की DPC के तुरंत बाद नगर आयुक्त पीपी सिंह का हुआ था निलंबन, अब1998 बैच के अफसरों की DPC नजदीक.
राजेश तिवारी
लखनऊ : सत्ता की रीढ़ कहे जानी वाले संवर्ग पीसीएस एसोशिएशन के अध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी (1998 बैच, पीसीएस) राजधानी लखनऊ के नगर आयुक्त बनने के बाद से ही काफी चर्चा में बने हुए हैं. नगर आयुक्त बनने के बाद कई बार सभासदों से तू तू मैं मैं भी हुई, एक बार सदन में रोये भी और इसे रोकने का प्रयास भी किया गया लेकिन मेयर व इन्द्रमणि के बीच विवाद बढ़ने के साथ ही आम होता गया. नगर आयुक्त और मेयर के बीच की इस खींचतान से सरकार की भौहें खींचना स्वाभाविक है. और नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी का यह ताजा मामला विगत वर्ष 23 अक्टूबर को 1997 बैच की हुई DPC और फिर 25 अक्टूबर को गोरखपुर के तत्कालीन नगर आयुक्त पी पी सिंह के निलंबन की याद दिलाता है.
ताजा प्रकरण जिसमें मेयर द्वारा जिस तरह इनके खिलाफ विजिलेंस जांच का शिकायती पत्र शासन को भेजे जाने और उसके जवाब में नगर आयुक्त द्वारा शिकायत कर्ता को कटघरे में खड़ा किये जाने के बाद अब एक नयी चर्चा ने जन्म ले लिया है. चर्चा यह है कि आखिर नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी पद भार ग्रहण करने के कुछ दिनों बाद से इतने विवादित क्यों होते गए. और अभी दोनों के बीच का यह विवाद ऐसे समय में उग्र रूप क्यों ले रहा है जब PCS के 1998 बैच के अफसरों की IAS में प्रोन्नत की DPC इसी माह 18 अगस्त को दिल्ली में होनी है.
अगर इसके पहले गोरखपुर के नगर आयुक्त रहे प्रेम प्रकाश सिंह की घटना का अवलोकन किया जाय तो इन्द्रमणि के ताजा विवाद के समय का यह मामला और महत्वपूर्ण हो जाता है. करीब करीब इसी तरह के मिलते जुलते विवाद के चलते मुख्यमंत्री ने पीपी सिंह को निलंबित कर दिया था जिनका लिफाफा आज भी प्रोन्नत के इंतज़ार में बंद है. ऐसे में वरिष्ठ PCS अधिकारी इंद्रमणि त्रिपाठी के साथ भी इस पूरे प्रकरण में इस तरह की किसी साज़िश से इनकार नहीं किया जा सकता है.
बताते चलें कि गोरखपुर नगर निगम के नगर आयुक्त रहे प्रेम प्रकाश सिंह को प्रदेश सरकार ने इसलिए सस्पेंड कर दिया गया था कि वह नगर निगम के आउटसोर्सिंग सफाई कर्मियों का समय से पारिश्रमिक भुगतान न करने और अपने कर्तव्य में लापरवाही करने के आरोपी थे. गोरखपुर शहर में सफाई व्यवस्था के बेपटरी हो जाने से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना नाराज थे.
एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी उदासीनता का आरोप
जून 2018 में बिजनौर के मुख्य विकास अधिकारी पद से सीधे राजधानी में नगर आयुक्त की कुर्सी पाने और उसके बाद अपने संवर्ग का अध्यक्ष बनने के बाद इनका नाम सबकी जुबान पर रहा. लेकिन उसके बाद से लगातार यह अध्यक्ष होने के नाते अपने संवर्ग की उदासीनता को लेकर और फिर मेयर संयुक्ता भाटिया से टकराव को लेकर अभी तक अच्छी सुर्खियाँ बटोर चुके हैं. पीसीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष होने के बाद से इनके ऊपर अपने ही संवर्ग की अनदेखी किये जाने के आरोप भी लगे हैं. तमाम मुद्दों व अवसरों पर अपने संवर्ग के साथ हुए भेदभाव आदि पर एकदम चुप्पी साध लेने के चलते अपने ही साथियों की आलोचना का शिकार हुए हैं.
जानकार बताते हैं कि इन्द्रमणि की पीसीएस संघ का अध्यक्ष होने के बावजूद अपने संवर्ग के हितों को अनदेखा किये जाने से उनके अपने संवर्ग में भी नाराजगी कम नहीं है. मथुरा में एक SDM पर हुए हमले के बाद यह आम चर्चा थी कि क्या PCS संघ इसका संज्ञान लेगा और मुख्यमंत्री से मिलकर अपने अधिकारियों की सुरक्षा की मांग करेगा. वहीँ संघ के ही कुछ लोगों का यह भी कहना था कि संघ के 13 पीसीएस अफसर सस्पेंड चल रहे हैं और 1 जेल में हैं लेकिन सब सन्नाटे में है. जबकि एसोसिएशन और उसके पदाधिकारियों का काम ही यही है कि अपने संवर्ग के सदस्यों की समस्याओं को मुखरता से उचित प्लेटफार्म पर उठाये और उनके मान सम्मान का ख्याल रखे लेकिन अध्यक्ष व अन्य के चलते ऐसा न हो सका जिसका कारण कुर्सी की कमजोरी बताया गया.
अभी तक पीसीएस संघ के अध्यक्ष और लखनऊ के नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी अपने उपर अभी तक लग रहे तमाम आरोपों को तो खारिज करते आये हैं और तमाम आरोप प्रत्यारोप के बीच राजधानी के नगर आयुक्त और पीसीएस संघ के अध्यक्ष की कुर्सी पर जमे हुए हैं. जानकारों का कहना है कि इनके उपर जब उपर वाले का हाथ है तो इनका क्या बिगड़ने वाला है. फिलहाल सरकार को महापौर और नगर आयुक्त दोनों को बुलाकर इस प्रकरण को समझ कर यही समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि सरकार के दोनों अपने ही हैं.