नौकरशाही : यूपी में स्वच्छंद नौकरशाह!
लखनऊ : यूपी के 75 जिलों में तैनात अधिकांश जिलाधिकारी (डीएम) पूरी तरह से स्वच्छंद हैं। राज्य की क़ानून व्यवस्था दुरुस्त रखने और विकास कार्यों को गति देने के लिए जिलाधिकारियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से मिली छूट के चलते ये अफसर अब किसी को भी कुछ नहीं समझते। सत्तापक्ष के विधायक से लेकर सांसद तक इनकी बेरुखी का शिकार हैं। बीजेपी के अधिकांश सांसद और विधायक के पास जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों द्वारा उनके साथ बरती गई बेरुखी के किस्से हैं।
नौकरशाहों का यह रुख भी तब है जबकि मुख्यमंत्री अपनी वीडियोकांफ्रेसिंग के दौरान जिलों में तैनात आला अफसरों को जनप्रतिनिधियों के साथ संपर्क करने का निर्देश देते हैं। कहते हैं कि हर जनप्रतिनिधि के पत्र का जवाब दिया जाये और जनप्रतिनिधि के पत्र पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए। हर जनप्रतिनिधि से मिला जाए और उसके फोन पर जवाब दिया जाए। लेकिन मुख्यमंत्री के इस आदेश की रोज ही सूबे के किसी न किसी जिले में अनदेखी की जाती हैं। नौकरशाही के ऐसे ही व्यवहार का शिकार बीते दिनों आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह लखनऊ में हुए थे। इसके लेकर मीडिया में बहुत कुछ लिखा गया लेकिन अफसरों के रुख में कोई बदलाव नहीं दिखा।
अब बीजेपी सरकार की सहयोगी पार्टी अपना दल की मुखिया अनुप्रिया पटेल भी सोनभद्र के डीएम की वर्किंग से असंतुष्ट होकर अपनी नाराजगी का इजहार किया हैं। सांसद अनुप्रिया पटेल तथा वहां के डीएम के रार इस स्तर तक पहुंच गया है कि अस्थाई कैंपस में चल रहे केंद्रीय विद्यालय की बिजली ही काट दी गई। तो सांसद ने डीएम को जो पत्र लिखा है उसकी प्रति ऊर्जा मंत्री तथा मुख्यमंत्री को भेजी है। सांसद का कहना है कि जिले के डीएम उनके द्वारा क्षेत्र में बताये गए विकास कार्य को कराने में रूचि नहीं लेते। यहीं नहीं जिले के डीएम उनके पत्र का जवाब भी नहीं देते। उन्होंने डीएम का सांसद के प्रति बेरुखी का व्यवहार करना सरकार के इशारे पर उठाया गया कदम बताया और सरकार की वर्किंग को लेकर जनता की बीच सवाल खड़ा किया है।
इसकी जानकारी मिलते ही शासन में अब डैमेज कंट्रोल शुरु हुआ है। जिसके चलते अब उन जिलों की लिस्ट तैयार की गई हैं, जिनके डीएम और पुलिस कप्तानों के खिलाफ सत्ता पक्ष के सांसद और विधायकों ने तमाम शिकायतें की हैं। सूबे के मिर्जापुर, वाराणसी, लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, कन्नौज, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बरेली, मथुरा सहित 27 जिलों के डीएम और पुलिस कप्ताओं को सत्ता पक्ष के सांसद और विधायक ने जिले से तत्काल हटाए जाने की बात कही है। इन जिलों के अफसरों पर यह आरोप लगाया गया है कि वह किसी की नहीं सुनते और मनमाने तरीके से कार्य करते हैं। जिसके चलते जिले में विकास कार्य प्रभावित हो रहें हैं। धान खरीद भी ठीक से नहीं की जा रही है। इसलिए उक्त अफसरों को हटाया जाए।
फिलहाल अब ऐसी शिकायतों के आधार पर उक्त 27 जिलों में डीएम और पुलिस कप्तानों को उपचुनावों का परिणाम आने के बाद एक-एक कर हटाया जाएगा। इस फेरबदल में मिर्जापुर जिले के डीएम का भी नाम होगा, यह दावा किया जा रहा है।
-साभार राजेंद्र कुमार, वरिष्ठ पत्रकार।