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झारखंड के सियासी घमासान के असर से अछूते नहीं रहेंगे पड़ोसी राज्य

#मधुपुर उपचुनाव में यूपीए के घटक दलों के आपसी टकराव से भाजपा को फायदे की उम्मीद.

#झामुमो ने मंत्रीमंडल विस्तार का दांव चला तो भाजपा ने की राष्ट्रपति शासन की मांग.

विशेष संवाददाता

रांची : झारखंड में मधुपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव नजदीक होने के कारण राजनीतिक तापमान बढ़ना शुरू हो गया है और उसकी आंच महागठबंधन के कुनबे पर आनी शुरू हो गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर जल्दी ही उपचुनाव होना है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी सहित महागठबंधन में भी अपने उम्मीदवार तय करने को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा की सिटिंग सीट होने के कारण उस पार्टी का स्वाभाविक दावा इस सीट पर बनता है और जिसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से चुनावी तैयारियों में लग जाने को कहा भी है.

लेकिन इसी बीच प्रदेश की राजधानी रांची में बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने राजद के उम्मीदवार को उतारने की घोषणा कर दी. जानकारों का मानना है कि राजद की यह घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा अपने उम्मीदवार दिए जाने से जोड़कर देखी जा सकती है. जिसमें कम से कम 6 विधानसभा सीट ऐसी थी जिसमें जेएमएम के उम्मीदवार को प्राप्त मत राजद के उम्मीदवार की हार के अंतर से ज्यादा रहा था. अगर यह 6 सीटें भी राजद के पक्ष में आ जाती तो शायद बिहार का सत्ता समीकरण ही अलग होता. बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम की उस टीस को राजद नेता आज भी शिद्दत से महसूस कर रहे हैं और इसी का परिणाम है कि मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में राजद ने भी ताल ठोक दी है.

राजद की इस घोषणा के बाद सत्तारुढ़ महागठबंधन के कुनबे में खलबली मच गई और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने बड़ा राजनीतिक दांव चलते हुए आनन-फानन में मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा कर शुक्रवार को हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हाफिजुल हसन अंसारी को मंत्री पद की शपथ दिला दी, जिनको अभी छ: माह के भीतर ही विधायक बनना जरूरी होगा. कयास लगाए जा रहे हैं कि हाफिजूल अंसारी अपने मरहूम पिता की विरासत को संभालेंगे और मधुपुर विधानसभा का चुनाव लडेंगे.

इन सबके बीच महागठबंधन के घटक दलों के आपसी सम्बन्धों में दरार आने की चर्चा भी शुरू हो गई है क्योंकि राजद की उम्मीदवारी का टिकट पूर्व में सांसद और मंत्री रह चुके झारखंड में कांग्रेस के एक प्रभावशाली अल्पसंख्यक नेता की बेटी को दिए जाने की चर्चा है. जाहिर है कि इससे कांग्रेस, राजद और झामुमो के बीच के राजनीतिक संबंधों की गुत्थी उलझ जाएगी. जिसके कारण राजनीतिक प्रेक्षक इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेसी नेतृत्व के रुख द्वारा पर भी निगाह रखे हुए हैं. यदि यह दरार बढ़ती है तो सूबे की राजनीति में तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे ही साथ ही पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों में झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र के विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा की तकरार की संभावना भी बढ़ जायेगी क्योंकि मधुपुर की सीमा जहां समाप्त होती है, पश्चिम बंगाल वहीं से शुरू होता है और मधुपुर के उपचुनाव के निपटने के ठीक बाद ही बंगाल विधानसभा चुनाव की भी रणभेरी बजनी तय है.

दूसरी ओर विपक्षी भाजपा यह दावा कर रही है कि मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में हार के साथ ही हेमंत सोरेन सरकार का भी अंत हो जायेगा. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और प्रदेश उपाध्यक्ष राज पलिहार अपने बयानों से लगातार हमले कर रहे हैं तो गोड्डा से बीजेपी के सांसद निशिकांत दूबे ने गुरूवार को लोकसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सीधा हमला बोलते हुए 2013 में लगे मॉडल रेप के आरोप सहित झारखंड की गिरती कानून व्यवस्था, ट्रांसफर पोस्टिंग में रिश्वत,झारखंड में धर्मांतरण की घटनाओं में वृद्धि, नक्सली संगठनों की गतिविधियों का जिक्र किया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी. तो राजधानी रांची में भाजपा प्रवक्ता दीपक प्रकाश ने वर्ष 2013 में मुम्बई में हुए मॉडल रेप कांड की सीबीआई जांच की मांग उठाई.

बहरहाल मधुपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए तारीख का ऐलान चुनाव आयोग जब करेगा, तब करेगा लेकिन झारखंड में फिलहाल चुनावी बिसात बिछ चुकी है, जिस पर शह मात का खेल बदस्तूर जारी है. और आने वाले दिनों में नए राजनीतिक धमाकों की संभावना भी बरकरार है.

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