#वित्त विभाग में वित्तीय से लेकर मानव संसाधन प्रबंधन, सबमें उदासीनता व खेल, जबकि विशेष सचिव स्तर के कुल स्वीकृत 09 पदों पर 15 अधिकारी तैनात.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डालर इकोनोमी बनाने के घोषित लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही योगी सरकार, सरकारी राजस्व में वृद्धि और राजकीय व्यवस्था में वित्तीय अनुशासन बनाये रखने की दिशा में कोशिश करती दिखाई पड़ रही है. लेकिन वित्तीय अनुशासन बनाये रखने और योजनाओं के वित्तीय अनुश्रवण के लिए उत्तरदायी वित्त विभाग में सब कुछ ठीक चल रहा हो ऐसा नहीं लग रहा है. वित्त विभाग का मानव संसाधन प्रबंध सवालों के घेरे में है.
सूबे के खजाने का प्रबंध देखने वाले कोषागार निदेशालय में पूर्णकालिक निदेशक की तैनाती के मामले में शासन पसोपेश की स्थिति में है. तत्कालीन निदेशक, कोषागार नीलरतन के सेवानिवृत्त होने के बाद करीब 6 माह का समय बीत चुका है. लेकिन ऐसे संवेदनशील पद पर पूर्णकालिक निदेशक की तैनाती अभी तक नहीं की जा सकी है.
वित्त विभाग के अधीन निदेशक सहकारी समिति एवं पंचायती लेखा ने नियमावली में किसी प्रावधान के बगैर ही शासन की नाक के नीचे 31 दिसंबर 2024 को 150 सहायक आडिट अधिकारियों का प्रमोशन कर दिया. शासन को निदेशालय की कारगुजारियां पता चलने के बाद विशेष सचिव वित्त समीर की ओर से आदेश जारी कर सभी प्रोन्नतियां व तैनाती को निरस्त कर दिया गया है. साथ ही सहायक लेखा परीक्षा पद पर की गई प्रोन्नति की मूल पत्रावली व संगत अभिलेख शासन ने तत्काल तलब किए हैं. बताते चलें कि शासन द्वारा 31 दिसंबर 2024 को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ (सहकारी समितियां एवं पंचायत) लेखा परीक्षा सेवा संवर्ग का पुनर्गठन किया गया.
इसके तहत शासन ने सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी (एएओ) के करीब 255 पदों की संख्या बढ़ाकर 405 कर दिया गया. इस कैडर पुनर्गठन के बाद नियमावली बनाकर कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाना था लेकिन निदेशक सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा द्वारा 31 दिसंबर 2024 की तारीख में ही 150 असिटेंट आडिट अफसर का प्रमोशन कर दिया गया. और 16 जनवरी को इन्हें नयी तैनाती भी दे दी गयी. तैनाती के ठीक बाद जब शासन को इसकी सूचना हुई तो वहां हडकंप मच गया.
इसी तरह वित्त विभाग के अधीन एक और नामचीन विभाग आंतरिक लेखा परीक्षा निदेशालय में भी खामियों का अम्बार है. लगातार खबरों में बने रहने वाले इस विभाग में अधिकारियों की आपसी खींचतान चर्चा का विषय बनी हुई है. शासन तक इस खींचतान की खबर और कई लिखित शिकायतें पहुँचने के बाद सहायक लेखा अधिकारी और लेखाकारों की पोस्टिंग को अंतिम रूप देने का काम करने के लिए बकायदा एक कमेटी बना दी गई. जिसकी अनुशंसा पर इनकी पोस्टिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है.
मजे की बात यह है कि वित्त विभाग की यह स्थिति तब है जबकि शासन के वित्त विभाग में विशेष सचिव के कुल स्वीकृत 09 पदों पर विशेष सचिव स्तर के 15 अधिकारी तैनात किये गये हैं. ऐसे में सवाल यह है कि मानव संसाधन प्रबंध को पटरी पर लाये बिना सूबे के वित्तीय प्रबंधन को कैसे मजबूत किया जा सकता है.