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आखिर चार्जसीट के साथ रिटायर हुआ दागी Sanjay Tiwari, क्या निदेशक का पद रहेगा बरकरार !  

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : विद्युत् उत्पादन निगम के निदेशक कार्मिक संजय तिवारी को लेकर “अफसरनामा” की खबर का बड़ा असर हुआ है, ओबरा अग्निकांड में दोषी पाए जाने के बाद निदेशक कार्मिक संजय तिवारी को भी गुरूवार को उसके रिटायरमेंट के दिन चार्जसीट सौंपी गयी. संजय तिवारी पर कार्यवाही में हो रही देरी को लेकर “अफसरनामा” ने कई बार सवाल उठाया कि क्या दोषी होने के बावजूद उसको माला पहना रिटायर किया जाएगा. लेकिन शासन के सूत्रों के अनुसार बुधवार की रात आलोक कुमार ने संजय तिवारी को चार्जसीट दिए जाने की अनुमति दे दी.

अग्निकांड के दोषियों में से एक संजय तिवारी का पद निदेशक कार्मिक होने के नाते शासन का है इसलिए उसको चार्जशीट देने के पहले कमेटी को शासन की अनुमति लेना आवश्यक था. चार्जसीट की अनुमति के लिए प्रमुख सचिव उर्जा को एक पत्र भेजा गया जिसको कुछ आपत्ति के साथ 24 दिसम्बर 18 को वापस भेज दिया गया. फिर उन आपत्तियों को दुरुस्त करते हुए 22 जनवरी को वह पत्र प्रमुख सचिव उर्जा को वापस भेज दिया गया. मजे की बात यह है कि इन आपत्तियों को दुरुस्त करने में लगभग एक महीने लग गये, यानी मामले को पूरा दबाने की कोशिश की गयी. लेकिन जिस तरह से निगम और शासन ने ओबरा अग्निकांड के दोषियों पर कार्यवाही की है उससे अब यह उम्मीद की जा सकती है कि  हरदुआगंज , जवाहरपुर काण्ड के बाकी जिम्मेदारों पर भी कार्यवाही जरूर होगी .      

बताते चलें कि ओबरा अग्निकांड में गठित की गयी गुच्छ की अगुआई में जांच कमेटी की रिपोर्ट का परीक्षण बीके खरे की कमेटी ने किया और विद्युत् उत्पादन निगम के निदेशक कार्मिक Sanjay Tiwari को भी परियोजना में लगी आग का दोषी पाया. प्रोबेशन पर आये और निदेशक बने Sanjay Tiwari का रिटायरमेंट भी 28 फरवरी को है, और अभी तक वह येन केन प्रकारेण अपनी इस जांच रिपोर्ट पर होने वाली कार्यवाई को रोकने तथा इंजीनियरिंग सेवा से बाइज्जत रिटायर होकर निदेशक बने रहने के लिए जुगाड़ में लगा था. ओबरा अग्निकांड के दोषियों की जांच के लिए गठित की गई गुच्छ कमेटी की रिपोर्ट के बाद होने वाली कार्यवाही में CGM और GM और एक इंजीनियर के बाद 2015 से 2018 तक ओबरा के CGM रहे वर्तमान निदेशक कार्मिक Sanjay Tiwari के उपर निगम की यह चौथी कार्यवाही हुई है. 

14 अक्टूबर 2018 को ओबरा परियोजना में लगी आग जिसने उत्पादन निगम का करीब 500 करोड़ रुपया स्वाहा कर दिया था. आग के कारणों की जांच में प्रोबेशन पर आये विद्युत् उत्पादन निगम के निदेशक कार्मिक संजय तिवारी भी दोषी पाए गए थे, जिसके बाद इनपर कार्यवाही की तलवार लटक रही थी. आग के कारणों की जांच के लिए बनी गुच्छ कमेटी की रिपोर्ट के परिक्षण के लिए बनाई गयी बीके खरे कमेटी ने जिन 4 लोगों को दोषी पाया उनमें 3 पर प्रबंध निदेशक सैंथिल पांडियन के स्तर से कार्यवाही की जा चुकी थी, जबकि 1 संजय तिवारी पर शासन का पद होने के नाते प्रमुख सचिव ऊर्जा अलोक कुमार द्वारा निर्णय लिया जाना था, परन्तु कतिपय कारणों से यह प्रकरण शासन स्तर पर लंबित रहा. लेकिन “अफसरनामा” द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाये जाने के बाद गुरुवार 28 फ़रवरी को उसके विदाई के दिन यह कार्यवाही की गयी और उसको माला के बजाय चार्जसीट लेकर सेवानिवृत्त होना पडा.

दागी Sanjay Tiwari को माला पहना ससम्मान रिटायर करेंगे प्रमुख सचिव ऊर्जा !

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उत्पादन निगम का कारसाज Sanjay Tiwari, सजा नहीं माला पहन होगा रिटायर

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