#वाह रे ऊर्जा विभाग का उत्पादन निगम, आरोप सिद्ध निदेशक कार्मिक की NOC से आरोपी भी निदेशक पद की दौड़ में.
#योगी व मोदी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों/कर्मचारियों को दे रहे जबरिया सेवानिवृत्ति, उर्जा विभाग में अलोक कुमार दिलवा रहे NOC.
#IAS, PCS या फिर किसी भी अन्य सेवा की DPC में आरोप पत्र पाए अफसर का लिफाफा बंद रखा जाता है, तो ऊर्जा विभाग में बनाया जा रहा निदेशक.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : भ्रष्टाचारी, नकारा और अक्षम अधिकारियों को बाहर खदेड़ने में जुटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बस बिजली विभाग पर नहीं चलता. ऊर्जा विभाग में कई दागी, अरोपशुदा और अक्षम न केवल शान से नौकरी कर रहे हैं बल्कि विभाग के निगमों में निदेशक बनने की कतार में भी कई धतकरम कर चुके लोग ही शामिल हैं. कमाल का है योगी का ऊर्जा विभाग, जहां निदेशकों के साक्षात्कार को भेजे गए अभ्यर्थियों के पत्र के आधार पर यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है की दागियों, आरोपियों और भ्रष्टाचारियों को लेकर मुख्यमंत्री योगी का चलाया जा रहा अभियान सही है, या फिर प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार का यह कदम जिसमें सिद्ध आरोपियों को भी निदेशक के पद पर बैठाने की तैयारी की जा रही है. इतना ही नहीं उत्पादन निगम में इन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए NOC देने वाला निदेशक कार्मिक खुद एक सिद्ध आरोपी है. जिस पर अब केवल आलोक कुमार के द्वारा सजा निर्धारित करना बाकी है. कल यानी शनिवार 6 जुलाई को ऊर्जा विभाग के निगमों के खाली कुल 3 निदेशक के पदों के लिए साक्षात्कार होना है.
दूसरी तरफ सेवानियमावली के अनुसार भी जब आईएएस व पीसीएस अथवा अन्य किसी विभाग के अधिकारियों /कर्मचारियों के प्रमोशन की DPC होती है तो उसमें भी दागी, आरोपी आदि पर विचार तो किया जाता है लेकिन जांच पूरी होने तक उनका लिफाफा बंद कर दिया जाता है. जिसके तमाम उदाहरण मौजूद हैं, जोकि ऊर्जा विभाग के इन नीति नियंताओं के लिए कोई महत्त्व नहीं रखता. ऊर्जा विभाग के जिम्मेदारों को इतनी सी बात भी नहीं समझ आई और निगमों के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए ऐसे लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है जिन पर जांच संस्थित है तथा आरोप पत्र भी निर्गत है.
फिलहाल ऊर्जा विभाग में शनिवार, 6 जुलाई को होने वाले 3 निदेशकों के साक्षात्कार में अभी बात करते हैं केवल उत्पादन निगम के खाली हो चुके निदेशक तकनीकी पद के लिए आये आवेदनों की. जिनमें कई दागी, चार्जशीटेड आवेदकों के काले चिट्ठों को दरकिनार करते हुए निदेशक कार्मिक जोकि खुद सिद्ध आरोपी है, ने NOC जारी कर दिया है. निगम में निदेशक पद के लिए आवेदकों को साक्षात्कार से पहले कार्मिक से NOC की जरूरत होती है.
उत्पादन निगम में निदेशक कार्मिक के पद पर तैनात संजय तिवारी खुद ओबरा अग्निकांड जिसमें सरकार का करीब 500 करोड़ का नुकसान हुआ था, में दोष सिद्ध आरोपी है. ओबरा अग्निकांड के बाद बनी जांच कमेटी ने संजय तिवारी को दोषी पाया और इस कमेटी की परीक्षण रिपोर्ट में भी संजय तिवारी दोषी हैं और मामला कार्यवाही हेतु अध्यक्ष पावर कारपोरेशन अलोक कुमार के पास पिछले 10 दिन से लम्बित है. तो क्या अलोक कुमार संजय तिवारी को बचाने में लगे हैं या फिर तबादला सीजन एन्जॉय कराने के लिए अभी तक संजय तिवारी को अभयदान दिए हैं.
बताते चलें कि ओबरा अग्निकांड में बनी गुच्छ कमेटी की प्राथमिक जांच में 80 करोड़ का नुकसान बताया गया था. लेकिन जब इस मामले की विस्तृत जांच की गयी तब निदेशक मंडल के समक्ष यूनिट के पुनरुद्धार हेतु 200 करोड़ रूपया निदेशक मंडल से पास कराया गया. जिसमें यह 200 करोड़ केवल BHEL को यूनिट के पुनरुद्धार हेतु दिया गया इस प्रकार BHEL और Non BHEL को मिलाकर सरकार को करीब 250 करोड़ का सरकारी नुकसान इन जिम्मेदारों ने किया जोकि अब निदेशक बनने की लाईन में निदेशक कार्मिक और प्रमुख सचिव ऊर्जा की मेहरबानी से लगे हैं.
फिलहाल उदाहरण के तौर पर उत्पादन निगम में निदेशक तकनीकी जैसे मालदार पद को पाने के लालायित डी.के. मिश्रा, चंडी प्रसाद मिश्रा, अखिलेश कुमार जैसे कीर्तिमान स्थापित आवेदक हैं. जिनमें एक D. K. Mishra जो कि 31 मई को अनपरा से रिटायर हो चुके हैं का नाम ओबरा अग्निकांड के आरोपियों में शामिल निदेशक कार्मिक संजय तिवारी के साथ है. ओबरा अग्निकांड के बाद बनी जांच कमेटी ने इनको भी दोषी पाया है, और इस जांच कमेटी की परीक्षण रिपोर्ट में भी डी. के. मिश्रा दोषी हैं और मामला कार्यवाही हेतु अध्यक्ष पावर कारपोरेशन अलोक कुमार के पास पिछले 10 दिन से लम्बित है.
वहीँ इस सम्बन्ध में दूसरे चंडी प्रसाद मिश्रा जोकि फिलहाल CGM ओबरा हैं, इनके अनपरा D के GM रहने के दौरान अनपरा D 2×5 मेगावाट की यूनिट क्षतिग्रस्त हो गयी थी. जिससे वह यूनिट करीब 3-4 महीने बंद रही थी. इसके संबंध में चंडी प्रसाद को आरोप पत्र निर्गत किया गया है फिर भी इनको निदेशक कार्मिक से NOC भी मिली और साक्षात्कार के लिए पत्र भी.
तीसरे वर्तमान में CGM अनपरा के पद पर तैनात जिनके स्त्री प्रेम की चर्चा काफी सुर्खोयों में रही थी और राजधानी के हजरतगंज में एक FIR भी किया गया था, भी निदेशक पद के प्रबल दावेदारों में से एक हैं. इसके अलावा इनके ऊपर अनपरा “D” में एक पाईप के ब्लास्ट हो जाने का और Envoirnment Manage न कर पाने के कारण DTPS,BTPS कुल मिलाकर 2000 मेगावाट का उत्पादन बंद होने में भी दोषी हैं.
ऊर्जा विभाग के उत्पादन निगम के ये कीर्तिमान स्थापित किरदार केवल नजीर मात्र हैं जबकि वितरण से लेकर ट्रांसमिशन तक तमाम ऐसे अन्य लोग मौजूद है जिन पर इस तरह की मेहरबानी ऊर्जा विभाग के जिम्मेदारों द्वारा की जा रही है. लेकिन उत्पादन निगम में चल रहा खेल योगी और मोदी की उस नीति का मखौल उड़ाने वाली है जिसमें शासन-प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए साफ़ सुथरे व कर्मठ आफसरों को तरजीह देते हुए दागी, भ्रष्टाचारी व अकर्मण्य अफसरों को जबरियन सेवानिवृत्ति देने का अभियान चलाया जा रहा है.
उत्पादन निगम में तमाम शीर्ष पदों पर ऐसे लोगों को तैनाती इस वर्ष के तबादलों में दे दी गयी है जिनको यदि भ्रष्टाचार का जनक कहा जाय तो अनुचित नहीं होगा. और इस पूरे खेल में भी निदेशक कार्मिक संजय तिवारी का हाथ है. निगम के ही एक रिटायर अधिकारी नाम न छपने की तर्ज पर बताते हैं कि जब शीर्ष स्तर के पद प्रमोशन से नहीं भरे जायेंगे तो मजबूरी में इन्हीं दागदारों से काम चलाना होगा. “अफसरनामा” ने “शीर्ष स्तर पर पदों का टोटा” नामक शीर्षक से अपनी एक स्टोरी में पदोन्नति न किये जाने के खेल और इसके जिम्मेदारों को बेनकाब कर चुका है.
संजय तिवारी के कारनामों और अन्य जानकारियों के लिए नीचे के links पर क्लिक करें……
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