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बिजली उत्पादन निगम : प्रमोशन खटाई मे, निदेशक कार्मिक का जोर मलाई मे !

#प्रमोशन बाद भी तैनाती को तरसे उत्पादन निगम के इंजीनियर.

अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : योगी सरकार बनने के बाद से ही तमाम विषयों पर सुर्ख़ियों में रहने वाला ऊर्जा विभाग इस समय स्वास्थ्य विभाग की तरह प्रमोशन और तैनाती को लेकर चर्चाओं में है. चर्चाओं के पीछे का तर्क यह दिया जा रहा है कि 28 सितम्बर को संपन्न हुई DPC में कुल 7 अफसरों को Level-2 से Level-1 में प्रमोट तो किया गया लेकिन 1 हफ्ता बीतने को है अभी तक 2 को छोड़ बाकी अन्य 5 की तैनाती तो दूर प्रमोशन का आदेश तक जारी नहीं किया जा सका है. जबकि परियोजनाओं का काम भी चल रहा है और जगह भी खाली है. प्रमोशन पाए इन अफसरों में से 1 पारीछा के CGM ज्ञान प्रकाश वर्मा रिटायर हो चुके हैं तो दूसरे सुबीर चक्रवर्ती निदेशक के पद पर तैनात हैं. चूंकि प्रमोशन पाए इन दोनों अफसरों का नवीन तैनाती से कोई लेना देना नहीं था इसलिए केवल इनका पदोन्नति का आदेश जारी कर दिया गया. ऐसे में बाकियों की तैनाती में हो रही देरी के चलते शक्ति भवन से लेकर सडक तक चर्चाओं का बाजार गर्म है और इसकी वजह के तमाम निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. सवाल हो रहा है कि जब जगह खाली है, काम भी है तो केवल 2 जिनकी कहीं तैनाती नहीं हो सकती थी को छोडकर बाकी 5 की तैनाती में देरी क्यों की जा रही है. छुपे तौर पर लोगों द्वारा इसके पीछे मोलभाव और सिफारिश की आशंका जताई जा रही है. जानकारों का कहना है कि लोगों की आशंकाओं को प्रबंधन को अविलम्ब दूर करना चाहिए और यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो मुख्यमंत्री कार्यालय को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.

फिलहाल ऊर्जा विभाग के अंदर से जो जानकारी आ रही है वह विभाग के इंजीनियरों के प्रमोशन यानी डीपीसी को लेकर है. जहां पर AC से लेकर AE व CE के Levle-1 व Levle- 2 पदों के लिए प्रमोशन को लेकर खींचतान का मामला सामने आ रहा है. जानकारों की माने तो प्रबंधन इस आपसी खींचतान को सुलझाने में लगा है और प्रबंध निदेशक सैंथिल पांडियन की गुरूवार की अनपरा यात्रा को इसी से जोडकर देखा जा रहा है. इसके पीछे वजह यह है कि Levle-2 के अफसर CGM अनपरा अखिलेश सिंह और पूर्व CGM ओबरा ए. के. सिंह दोनों जांच के घेरे में हैं. ऐसे में अब देखना यह होगा कि प्रबंधन जांच पूरी करने के बाद प्रमोशन करता है या फिर जांच के दौरान ही प्रमोशन करके लिफाफा बंद कर उन पर संजय तिवारी की तरह मेहरबानी दिखाता है. इस तरह ऊर्जा विभाग के प्रबंधन द्वारा भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण दिये जाने का परिणाम यह रहा कि बिजली उत्पादन के लिए नई परियोजनाएं आना तो दूर पुरानी परियोजनाएं भी अपने रफ्तार से बहुत पीछे चल रही हैं, जिसका खामियाजा आने वाले समय में जनता को कम बिजली अथवा महँगी बिजली के रूप में भुगतना पड़ सकता है.

बताते चलें कि उर्जा विभाग में विभागीय प्रमोशन यानी DPC के लिए 10 साल की रिपोर्ट को लिया जाता है. अर्थात मार्च 18-19 की DPC के लिए मार्च 08-09 से अफसरों की ग्रेडिंग रिपोर्ट को लिया गया है. इसमें एक साल में अफसरों के कार्यों की रेटिंग जिसमें उत्कृष्ट को 20 अंक, वेरीगुड को 16 अंक और गुड पाने वाले को 12 अंक दिए जाते हैं. इस तरह Levle-2 के लिए 130 अंक और Levle-1 के लिए 140 अंक निर्धारित किये गए हैं. ऐसे में यदि अभियंता संघ के एक वर्ग की मांग को यदि मान लिया जाता है तो ओबरा, अनपरा के CGM का प्रमोशन रूक सकता है और मुख्यालय पर तैनात रमेश चन्द्र CE कामर्शियल Levle-2 को प्रमोशन का मौका मिल सकता है.

पिछले दिनों विभाग के मुखिया ने तहसील में कार्यरत संविदा कर्मियों का अंतरतहसील तबादले का आदेश देकर खूब चर्चा बटोरी तो अब निदेशक कार्मिक संजय तिवारी की नियुक्ति और उसके कारनामों पर पर्दा डालने को लेकर चर्चा में हैं. संजय तिवारी के कारनामों पर किसी से दबाव बनाकर बैक डेट में हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं तो प्रमोशन के बाद तैनाती में खेल चल रहा है. ऊर्जा विभाग के निगमों में प्रमोशन के बाद तैनाती में हो रही देरी में उत्पादन निगम के निदेशक संजय तिवारी के बाद एक बार फिर से योगी, मोदी की जीरो टोलरेंस की नीति को ठेंगा दिखाने जैसी आशंका को बलवती कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक़ फिलहाल उत्पादन निगम में प्रमोशन को लेकर लाबिंग शुरू हो चुकी है और मोलतोल का काम जारी है.

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