सूबे के कार्यवाहक मुख्यसचिव आर के तिवारी खासें परेशान थे। इसकी वजह थी, उनकी बुलायी अहम विभागीय बैठकों में आला अफसरों का ना आना। तमाम विभागों के प्रमुख सचिव उनकी बुलायी बैठकों में अपने विशेष सचिवों को भेज देते हैं, जिसके चलते बैठकों में कोई अहम फैसला नहीं लिया जा पाता। बच्चों की शिक्षा से संबंधित एक महकमें की प्रमुख सचिव ने तो मुख्य सचिव की बुलायी सात बैठकों में नही गई।
हर बार उन्होंने अपने विशेष सचिव को ही बैठक में भेजा। परिणाम स्वरूप किसी भी बैठक में कोई फैसला नही लिया जा सका। जबकि ऐसे बैठकों में छोटे बच्चों को स्वेटर, बस्ता, किताब आदि देने संबंधी योजना की प्रगति जानने के अलावा महकमें से संबंधित कई फैसले लिए जाने थे, जिन्हें प्रमुख सचिव के ना आने से नहीं लिया जा सका। ऐसा ही रवैय्या कई अन्य विभागों के सीनियर अफसरों का भी रहा। जिसके चलते आर के तिवारी को मुख्यमंत्री के किसी विभाग की अचानक माँगी गई जानकारी देने को लेकर शर्मिंदा होना पड़ा।
बीते दिनों भी ऐसा ही हुआ। मुख्यमंत्री ने एक बैठक के दौरान आरके तिवारी से स्कूलों में छोटे बच्चों को स्वेटर देने संबंधी मामले में जानकारी चाहिए तो वो कुछ बता नहीं सके। तो मुख्यमंत्री खफा हो गए। ऐसे में आरके तिवारी ने मुख्यमंत्री को बताया कि वह माँगी जा रही सूचना इसलिए नहीं दे पा रहें है क्योकि कई विभागों के सीनियर आईएएस उनकी बुलायी बैठकों में नहीं आते। ऐसे उन्हें ही नहीं पता चलता कि किस विभाग की किस योजना की क्या प्रगति है? तो आपको क्या बताया जाये। चर्चा है कि आरके तिवारी ने मुख्यमंत्री को उन अफसरों का नाम भी बताये जो उनकी कई बैठकों में बलाए जाने के बाद नहीं आये।
सीनियर अफसरों के मुख्य सचिव की बैठकों में ना आने को मुख्यमंत्री ने अनुशासनहीनता मानते हुए उसे गंभीरता से लिया। और एक आदेश जारी किया कि मुख्य सचिव के बैठक में विभागीय प्रमुख सचिव ही हिस्सा लेंगे और विभाग के विशेष सचिव को नही भेजेंगे। जो प्रमुख सचिव इसका उल्लंघन करे, उसकी जानकारी मुख्य मंत्री कार्यालय को दी जाये। मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद बच्चों की शिक्षा से जुड़े महकमें की प्रमुख सचिव से अन्य विभागों के सचिव नाराज हैं, उनका कहना है कि मुख्य सचिव की सात बैठकों में मैडम के ना जाने के चलते ही मुख्यमंत्री ने ऐसा आदेश जारी किया है। जिसके चलते अब हर विभाग के प्रमुख सचिव का मुख्य सचिव की बुलायी बैठक में जाना अनिवार्य हो गया है। और यही कार्यवाहक मुख्य सचिव चाहते थे, इसलिए अब वह खुश हैं।
— साभार वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार जी की फेसबुक वाल से.