लखनऊ : उनके भाई आईएएस हैं। जिनका जलवा देखकर ही उनके मन में अखिल भारतीय सेवा का अफसर बनने की इच्छा जगी। तो उन्होंने ध्यान लगाकर पढ़ाई की और आईपीएस बन गए। आईएएस न बन पाने का मलाल उन्हें आज भी है, पर क्या करते यह उनके हाथ में नहीं था, इसलिए यह सोचकर सेवा ज्वाइन कर ली कि आईपीएस में रहते हुए वो अपने आईएएस भाई जैसा जलवा बनायेंगे। इस तमन्ना के साथ उन्होंने बागी बलिया से अपनी नौकरी की शुरुआत की।
इस शहर में उन पर गलत तरीके से धन कमाने का आरोप नेताओं ने लगवाया और उन्हें शहर से बाहर करवा दिया। फिर उन पर काम ना करने और गलत तरीके से धन कमाने के आरोप लगते रहे और उनकी तैनाती होती रही। उन पर बार-बार लगाने वाले ऐसे आरोपों से तंग आकर सरकार ने उन्हें महत्वहीन पद पर तैनात कर दिया। फिर भी इन साहब की अडंगा लगाने की फितरत नहीं गई। जिसका खामियाजा भी उन्हें भोगना पड़ा है, उनके बैच के अफसर एडीजी हो गए हैं पर साहब अभी भी आईजी ही हैं।
खैर ये साहब इंडिगो की फ्लाईट से पटना जा रहे थे। पटना एयरपोर्ट पर उनसे बोर्डिंग पास दिखाने को कहा गया तो साहब का आईपीएस मन भडक गया। उन्होंने पास दिखाने का आग्रह करने वाली महिलाकर्मी को डपटा तो उसने एयरपोर्ट के सुरक्षा इंचार्ज को बता दिया कि एक यात्री मांगने पर भी बोर्डिंग पास नहीं दिखा रहा है। बस फिर क्या था, एयरपोर्ट पर तैनात सीआईएफएस के जवानों ने उन्हें घेर लिया।
तो साहब की हेकड़ी हवा हो गई और उन्होंने बताया कि मैं आईपीएस हूँ और लखनऊ में तैनात हूँ। प्रूफ के लिए उन्होंने अपना आईकार्ड भी दिखाया। तो सीआईएसएफ के अफसर कुछ नर्म पड़े और उन्होंने लखनऊ में डीजीपी के कार्यालय में फोन मिलाकर साहब के आईपीएस होने की पुष्टि की। यहां से उनके बारे में बताया गया, तब कही जाकर साहब को पटना एयरपोर्ट के बाहर जाने दिया गया। अब इस घटनाक्रम को लेकर पुलिस मुख्यालय में बैठने वाले अधिकारी सवाल पूछ रहें हैं कि ये साहब सूबे के आईपीएस अफसरों की समाज में कबतक फजीहत कराते रहेंगे।
— साभार वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार जी की फेसबुक वाल से.