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यूपी का राजदरबार : अनोखा दफ्तर

राजदरबार : अनोखा दफ्तर
यूपी पुलिस देश की सबसे बड़ी पुलिस फ़ोर्स है। राज्य में अपराध नियंत्रण से लेकर सूबे की क़ानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए यूपी पुलिस करीब चालीस विंगों (शाखाओं) में बटी हुई है। कुछ माह पहले तक लखनऊ में यूपी पुलिस की हर विंग का अलग-अलग दफतर हुआ करता था। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी पुलिस की सभी शाखाओं को एक छत की नीचे लाने के लिए पुलिस मुख्यालय भवन बनवाने का फैसला लिया। और देखते ही देखतेकरीब आठ सौ करोड़ रुपये से अधिक धनराशि खर्च कर पुलिस मुख्यालय भवन बनकर तैयार हो गया। इस भवन का भव्य भवन को सिग्नेचर बिल्डिंग का नाम दिया गया। इस सिग्नेचर बिल्डिंग का निर्माण बहुराष्ट्रीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने किया है। मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बिल्डिंग में अधिकारियों के बैठने ही शुरुआत करवायी। तब कहा गया था कि लखनऊ में बनी यह सबसे मंहगी सरकारी बिल्डिंग हैं। और पुलिस महकमें की अगले पचास साल में होने वाली जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही इसका निर्माण किया गया है। अब इस भव्य बिल्डिंग में पुलिस महकमें की अधिकांश विंग कार्य करने लगी हैं। सिर्फ पीएसी, अभिसूचना, सुरक्षा, वायरलेस, भर्ती बोर्ड, सीबीसीआईडी और सतर्कता महकमें को यहां जगह नही दी गई है क्योकि भर्ती बोर्ड को छोड़कर बाकी सभी महकमों के पास अपनी बिल्डिंग है। इस भव्य बिल्डिंग में बैठने वाले पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी खांसे खुश है। उन्होंने कभी सपने में भी नही सोचा था कि वह ऐसी भव्य, आधुनिक और होटल सरीखी बिल्डिंग में काम करेंगे। इस बिल्डिंग में बिजली के बिल और साफ सफाई तथा मेंटेनेंस पर एक करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च होगी, ऐसी चर्चा यह कार्यरत अधिकारी कर रहे हैं। अब ऐसी आधुनिक बिल्डिंग में सूबे का एक मात्र ऐसा दफ्तर है, जिसके अधिकारियों और कर्मचारियों के पास कोई काम ही नही है। सरकार या डीजीपी की तरफ से कोई फ़ाइल इस दफ्तर में बैठने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को नही भेजी जाती है। इस दफ्तर में अधिकारियों और कर्मचारियों के बैठने के लिए कुल 23 कमरे हैं। और अभी इस दफ्तर में एक एडीजी, एक डीआईजी और एक एसपी स्तर के अधिकारी तैनात हैं। इसके अलावा दो एसआई, एक सीए और पांच सिपाही तथा एक फलोवर तैंनात है। करीब दस लाख रुपये इन अधिकारी और कर्मचारियों के वेतन पर हर माह सरकार खर्च कर रही है। लेकिन इस अधिकारियों और कर्मचरियों के पास दफ्तर में टीवी देखने, चाय-काफी पीने और अपने साथ लायी हुई किताब पढ़ते हुए शाम छह बजे तक अपने कमरे में बैठने के सिवाए कोई काम नही है। हालांकि इस दफ्तर में बैठने वाले अधिकारियों से सरकार और डीजीपी पुलिस की आंतरिक कार्य प्रणाली को बेहतर करने संबंधी नियम कायदे बनाने का कार्य ले सकते हैं पर ऐसा कोई प्रयास नही किया जा रहा है। ऐसे में इस दफ्तर में बैठे अफसरों के पास कोई कार्य नही है और अब यह अनोखा दफ्तर इस भव्य और मंहगी सरकारी बिल्डिंग में चर्चा का विषय बना हुआ है। – साभार वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुुमार जी  के फेसबुक वाल से।

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