#सीएन्डडीएस की यूनिट 48 का मुख्यालय जिला महोबा ले जाने में भी इसकी भूमिका, सांसद विधायक का पत्र भी बेअसर.
#बांदा मंडल के इस प्रोजेक्ट मैनेजर के सभी प्रोजेक्ट सवालों के घेरे में, फिर भी कार्यवाही नहीं.
#निदेशक सी एन्ड डीएस गुलाब चन्द्र दूबे से नजदीकियों के चलते जिला महोबा में डट गुल खिलाने में कामयाब.
#निदेशक गुलाब चन्द्र पर है इसका प्रभाव, 5 दिन में ही बदलवाया अपना तबादला आदेश.
राजेश तिवारी
लखनऊ : महोबा मे ही 15 साल से प्यास बुझा रहा जल निगम का तिवारी, करीब 12 वर्ष तक जूनियर इंजीनियर और अब प्रमोशन पाकर 3 वर्ष से महोबा में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर रहते हुए सीएन्डडीएस की यूनिट 48 में जड़ तक जड़ें जमा चुके बेअंदाज लक्ष्मीकांत तिवारी पर सरकार किसी की रही हो पर कारनामे कम नहीं रहे. बांदा मण्डल के महोबा जिले में सीएन्डडीएस में जेई से प्रोजेक्ट मैनेजर बन अभी भी यूनिट 48 में तैनात है. अपने व निदेशक की नजदीकियों का बखान करने वाला लक्ष्मीकांत अपने इन्हीं सम्बन्धों के बल पर अपने ऊपर हुई तमाम शिकायतों व कार्यवाही के आदेश को दबवाये हुए है. बांदा मण्डल में इसके सभी प्रोजेक्ट सवालों के घेरे में है. निर्माणाधीन परियोजनाओं की गुणवत्ता से समझौता कर काली कमाई करने वाला लक्ष्मीकांत चपरासी से लेकर निदेशक तक को अपनी जेब में रखता है. c&ds प्रबंधन प्रोजेक्ट मैनेजर लक्ष्मीकांत के आगे इस कदर नतमस्तक व मजबूर है कि एक ही जिले में करीब 15 वर्षों से जमे होने के बाद भी उसको हटाया नहीं जा सका है. एक बार हटाने की कोशिश भी हुई तो वह आदेश महज 5 दिन में ही वापस हो गया. जबकि इस प्रोजेक्ट मैनेजर लक्ष्मीकांत तिवारी के कारनामे व किस्से निगम ही नहीं बुंदेलखंड के हर जिलों में व्याप्त है.
सीएन्डडीएस की यूनिट 48 के मुख्यालय को महोबा में बनाये जाने को लेकर भी तमाम तरीके की जानकारियाँ सामने आ रही हैं. सूत्रों का कहना है कि लक्ष्मीकांत तिवारी का महोबा प्रेम इस कदर हावी है कि वह अन्यत्र जिलों में जाने से बचने के लिए यूनिट के मुख्यालय को भी जिला मुख्यालय पर बनवाने में कामयाब रहा है. जबकि यूनिट को मंडल मुख्यालय पर होना चाहिए. नियमानुसार c&ds की यूनिट को मंडल मुख्यालय पर होना चाहिए, व्यावहारिक रूप से भी बांदा कमिश्नरी से उसके जिले महोबा, हमीरपुर और बांदा की दूरी भी लगभग समान है. चूंकि बांदा जिला लक्ष्मीकांत का गृह जनपद है इसलिए अपने प्रभावों का इस्तेमाल करते हुए इसने यूनिट का स्थान ही बदलवा दिया और मंडल मुख्यालय बांदा के बजाय यूनिट को जनपद महोबा में स्थापित करा दिया. और तो और C&DS की यूनिट 48 के मुख्यालय को महोबा से वापस मंडल मुख्यालय बांदा में बनाये जाने को लेकर स्थानीय सांसद और विधायक ने निगम के प्रबंधन को पत्र भी लिखा है फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो सकी है. जानकार बताते हैं कि ऐसा इसके और निदेशक C&DS के नजदीकी सम्बन्धों के चलते हो रहा है.
ऐसे में सवाल यह है की क्या प्रबंध निदेशक विकास गोठवाल के समक्ष तक लक्ष्मीकांत तिवारी की गाथा पहुंच नहीं पा रही है या फिर निगम की उस कुर्सी पर बैठने वाला हर अफसर सिद्धांत शून्य हो जाता है. इसकी तमाम शिकायतें निदेशक c&dS के पास लंबित हैं जिसको पुरवार जैसे इसके शुभचिंतकों द्वारा दबा दिया गया है. इसी साल की शुरुआत में एक टीएसी जांच का आदेश हुआ और जल निगम मुख्यालय से टीएसी जांच की टीम भी गयी, जिसका क्या हुआ अभी तक किसी प्रकार की जानकारी सामने नहीं आ सकी है. इसकी प्रत्येक साईट की जांच शिकायतों पर किया गया और गुणवत्ता जांचा गया लेकिन पैसे के प्रभाव से उसको भी दबा दिया गया है.
पिछली अखिलेश सरकार से अभी तक महोबा जिले से उसको हटाने की हिमाकत कोई भी प्रबंधन नहीं कर सका है. एक बार केवल 5 दिनों के लिए हटाये गये तिवारी जी का तिकड़म इतना प्रभावी रहा कि वह उक्त जिले में गया ही नहीं और हफ्ते के भीतर ही अपना तबादला पुनः निरस्त करा महोबा में ही तैनात है. अपने कारनामे के लिए विख्यात इस प्रोजेक्ट मैनेजर के हर प्रोजेक्ट की शिकायत के आधार पर जांच भी हुई और जिले के अधिकारियों द्वारा कार्यवाही की संस्तुति भी किये जाने के बाद भी नगर निगम में तिवारी का मजबूत प्रबंधन और उसका जुगाड़ तंत्र उसको कार्यवाही से बचाता रहा है. सूत्र बताते हैं कि प्रोजेक्ट मैनेजर लक्ष्मीकांत तिवारी चल रहे प्रोजेक्ट से धनउगाही कर प्रबंधन में बैठे आला हाकिमो को उपकृत करता रहता है जिसके चलते यह अभी तक उसके लिए सुरक्षा कवच का काम करते आए हैं.
प्रोजेक्ट मैनेजर लक्ष्मीकांत तिवारी का तबादला आदेश
प्रोजेक्ट मैनेजर लक्ष्मीकांत तिवारी के तबादला आदेश में संशोधन का पत्र
अब देखना यह होगा की मामले के प्रकाश में आने पर ईमानदार सरकार का ईमानदार प्रबंधन क्या ईमानदारी से लक्ष्मीकांत के मामले में अपना काम कर पायेगा. क्या प्रबंधन और प्रबंध निदेशक c&ds की यूनिट नंबर 48 में लगभग 15 वर्षों से तैनात चल रहे मैनेजर लक्ष्मीकांत तिवारी को हटाकर उसके खिलाफ हुई शिकायतों की निष्पक्षता से जांच करा पाएगी और जिला मुख्यालय पर बैठे अफसरों द्वारा भेजे गए कार्यवाही के संस्तुति पत्र को बाहर निकाल कार्यवाही कर पाएगी. मनमानी का अड्डा बन चुके उत्तर प्रदेश जल निगम में इस योगी सरकार में भी कोई बहुत बड़ा बदलाव या परिवर्तन नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश जल निगम में योगिराज में भी लक्ष्मीकांत तिवारी व अन्य का वर्चस्व और काकस काफी मजबूत है. सूबे की मुखिया की कुर्सी पर बैठे एक ईमानदार मुख्यमंत्री और अपनी मेहनत और ईमानदारी को लेकर एक अलग पहचान रखने वाले प्रबंध निदेशक विकास गोठवाल के समय यह सब हो रहा है यह ताज्जुब का विषय है.