#स्वच्छता सर्वेक्षण 2020- पीसीएस व प्रमोटी अफसरों की मेहनत से लखनऊ और शाहजहांपुर अव्वल.
राजेश तिवारी
लखनऊ : सूबे के नगर निगमों में नगर आयुक्त पद के लिए आपसी खींचतान के बीच स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि जमीनी स्तर पर सरकार की मंशा को अमलीजामा पहुंचाने में पीसीएस अफसरों का योगदान काफी महत्वपूर्ण है. सरकार की मंशा के अनुरूप योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए जनता और जनप्रतिनिधि से समन्वय स्थापित कर स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण सरकारी योजना को जनसहभागिता से जमीन पर उतारने का खिताब हासिल करने वाला पहला राज्य उत्तर प्रदेश बना है. स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के परिणाम के मुताबिक़ जहां सिटिजन फीडबैक में पूरे भारत में शाहजहांपुर का नाम प्रथम रहा तो वहीँ सूबे की राजधानी लखनऊ देश में सबसे तेजी से सुधार करने वाली राजधानी चुनी गई. जिलाधिकारी, नगर आयुक्त शाहजहांपुर व अन्य अफसरों ने लोगों के बीच जाकर उनसे जन संवाद स्थापित कर स्वच्छता का सन्देश देने के साथ ही एक जनप्रिय अफसर के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाबी हासिल किया. और इसी का परिणाम रहा कि शाहजहांपुर को पूरे देश में बेस्ट सिटिजन फीडबैक अवार्ड से नवाजा गया.
पीसीएस अफसरों की मानें तो एक तरफ प्रदेश सरकार पीसीएस संवर्ग वाले इन्हीं नगर निगमों में आईएएस अफसरों की तैनाती कर पीसीएस संवर्ग के अफसरों की कार्यशैली और उनकी कार्यकुशलता पर सवाल खड़े कर रही है तो दूसरी तरफ स्वच्छता मिशन जैसे राष्ट्रीय मिशन को जमीन पर उतार और जनता के बीच अपनी जगह बनाने में कामयाब अफसर अपने इस संवर्ग की कार्यशैली को दर्शा रहे हैं.
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तैनात रहे उत्तर प्रदेश पीसीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष और राजधानी लखनऊ के नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी 1998 बैच के पीसीएस अफसर जोकि अभी प्रमोट होकर आईएएस बने हैं, के अथक प्रयासों का ही परिणाम रहा था कि राजधानी लखनऊ देश में सबसे तेजी से सुधार करने वाली राजधानी बनी. यह इन्द्रमणि त्रिपाठी के प्रयास ही थे कि लखनऊ स्वच्छता की रैंकिंग में पिछले चार साल में 249 से 12वीं रैंकिंग पर पहुंचा और प्रदेश के सबसे साफ शहरों में भी एक नम्बर पर रहा.
अफसरशाही का प्रमुख कर्तब्य जनता से संवाद कर और उसको संतुष्ट करते हुए सरकारी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की होती है और जिसकी अपेक्षा हर सरकार को रहती है. और इन्हीं सरकारी अपेक्षाओं पर खरा उतरने वाले और अपने कर्तब्यों का निर्वहन करने वाले शाहजहांपुर के पूर्व नगर आयुक्त व वर्तमान जिलाधिकारी ने नगर निगम शाहजहांपुर को देश में नागरिक भागीदारी का खिताब दिलाया. शाहजहांपुर के जिलाधिकारी प्रमोटी आईएएस इंद्र विक्रम सिंह और नगर आयुक्त रहे विद्याशंकर सिंह ने इस काम के लिए अथक प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप शाहजहांपुर पूरे देश में अव्वल रहा. शाहजहांपुर को मिली इस उपलब्धि के बारे में दोनों का कहना है कि यह सब जनता और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से ही संभव हो सका है.
जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि “जनता के साथ बेहतर संवाद स्थापित करते हुए उनकी समस्याओं का निराकरण करना व उनको संतुष्ट करना हमारी जिम्मेदारी का हिस्सा है और यही जिम्मेदारी हमारे जनप्रतिनिधियों का भी है. इस तरह अपने जनप्रतिनिधियों के सहयोग और नगर आयुक्त सहित अपने सभी अधीनस्थों की मेहनत से हम लोग जनता के बीच एक दोस्ताना माहौल बनाने में कामयाब रहे थे. जिसके फलस्वरूप हमारे मिशन में उनका पूरा सहयोग मिलता गया और यही कारण है कि शाहजहांपुर को नागरिक भागीदारी का देश में प्रथम पुरस्कार मिला.”
बताते चलें कि शाहजहांपुर को यह खिताब वर्तमान नगर आयुक्त होने के नाते संतोष शर्मा को दिया गया है. लेकिन श्री शर्मा 04 जनवरी 2020 को ज्वाइन करने के बाद छुट्टी पर 13 जनवरी 2020 तक रहे थे. और इसी बीच स्वच्छता का ऑनलाइन सर्वे किया गया था. जबकि नगर आयुक्त रहे विद्याशंकर सिंह का कार्यकाल 01.04.2019 से 03.01.2020 तक रहा था.
इसके अलावा 16वें पायदान पर आगरा और 19वें स्थान पर गाजियाबाद क्रमश: राज्य के दूसरे और तीसरे सबसे साफ शहर बने हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में गाज़ियाबाद को देश में 19वीं रैंक हासिल हुई, जिसमें गाजियाबाद के नगर आयुक्त रहे 2012बैच के आईएएस अफसर दिनेश चन्द्र जिनको कि वर्तमान में जिलाधिकारी कानपुर देहात बनाया गया है का महत्वपूर्ण योगदान था और यह भी प्रमोटी आईएएस ही हैं. तो वहीँ आगरा को देश में 16वीं रैंक मिली जिसका श्रेय प्रमोटी आईएएस अफसर आगरा के नगर आयुक्त रहे अरुण प्रकाश 2012 बैच को जाता है.
गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत कराए गये वार्षिक स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में उत्तर प्रदेश के 19 शहरी निकायों ने बेहतर प्रदर्शन करके राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का सम्मान बढ़ाया है. यही नहीं देश के शीर्ष 12 पुरस्कारों में दो यूपी के हिस्से में आए हैं, जिसमें शाहजहांपुर को नागरिक भागीदारी का खिताब मिला तो वाराणसी को नमामि गंगे परियोजना को सफलतम तरीके से लगू कर गंगाजल को आचमन योग्य बनाया और यह पूरे देश में अव्वल रहा. 4 जनवरी से 31 जनवरी को हर साल भारत सरकार द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण का कार्य किया जाता है लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने इसका मूल्यांकन तिमाही किया है. इस सर्वेक्षण में प्रदेश की राजधानी लखनऊ देश में सबसे तेजी से सुधार करने वाली राजधानी चुनी गई तो प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को नमामि गंगे परियोजना के सफल क्रियान्वयन और गंगा के जल को आचमन योग्य बनाने को लेकर प्रथम अवार्ड मिला. वाराणसी गंगा के किनारे पड़ने वाले नगर निकायों में देश में सबसे अव्वल रहा.
इसके अलावा 16वें पायदान पर आगरा और 19वें स्थान पर गाजियाबाद क्रमश: राज्य के दूसरे और तीसरे सबसे साफ शहर हैं. इसके अलावा यूपी के टॉप पांच सबसे साफ शहरों में प्रयागराज चौथा साफ शहर, कानपुर पांचवें पायदान पर है. देश भर में दस लाख से अधिक आबादी वाली श्रेणी में प्रयागराज 20वें, कानपुर 25वें और वाराणसी 27वें स्थान पर है.वर्ष 2018 में कुल तीन शहरी निकायों को मिले थे पुरस्कार, फिर वर्ष 2019 में कुल 14 शहरी निकायों को मिला था पुरस्कार. और अब वर्ष 2020 में 19 शहरी निकायों को ये पुरस्कार मिले.
इस प्रकार जमीनी स्तर पर उत्तम सेवायें देने वाले ऐसे जमीनी अफसरों को दरकिनार किया जाना आने वाले चुनावी समय में सत्ताधारी दल व सरकार को सियासी रूप से नुकसानदेय साबित हो सकता है. जानकारों का कहना है कि अफसरों की फील्ड में तैनाती के समय उनकी सेवाओं का आंकलन जरूर होना चाहिए चाहे वह किसी संवर्ग से क्यों न हों. सरकार की मंशा और जनता के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने वालों को तरजीह मिलनी चाहिए.
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