यूपी का राजदरबार : खुशी से बमबम ..
सूबे के नगर निगमों में नगर आयुक्त पद को लेकर आईएएस और पीसीएस संवर्ग में खींचतान बढ़ती ही जा रही है। ऐसे माहौल में केंद्र सरकार से जारी हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के परिणाम ने पीसीएस अफसरों को खुशी से बमबम कर दिया है। इस स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि जमीनी स्तर पर सरकार की मंशा को अमलीजामा तक पहुंचाने में पीसीएस अफसरों का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। जिसके चलते उत्तर प्रदेश के 19 शहरी निकायों ने बेहतर प्रदर्शन करके राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का सम्मान बढ़ाया है।
यही नहीं देश के शीर्ष 12 पुरस्कारों में दो यूपी के हिस्से में आए हैं, जिसमें शाहजहांपुर को नागरिक भागीदारी का खिताब मिला। प्रदेश की राजधानी लखनऊ देश में सबसे तेजी से सुधार करने वाली राजधानी चुनी गई तो प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को नमामि गंगे परियोजना के सफल क्रियान्वयन और गंगा के जल को आचमन योग्य बनाने को लेकर प्रथम अवार्ड मिला। वाराणसी गंगा के किनारे पड़ने वाले नगर निकायों में देश में सबसे अव्वल रहा। इसके अलावा 16वें पायदान पर आगरा और 19वें स्थान पर गाजियाबाद क्रमश: राज्य के दूसरे और तीसरे सबसे साफ शहर हैं।
यूपी के टॉप पांच सबसे साफ शहरों में प्रयागराज चौथा साफ शहर, कानपुर पांचवें पायदान पर है। देश भर में दस लाख से अधिक आबादी वाली श्रेणी में प्रयागराज 20वें, कानपुर 25वें और वाराणसी 27वें स्थान पर है। जबकि वर्ष 2018 में कुल तीन शहरी निकायों को मिले थे पुरस्कार, फिर वर्ष 2019 में कुल 14 शहरी निकायों को मिला था पुरस्कार। और अब वर्ष 2020 में 19 शहरी निकायों को ये पुरस्कार मिले हैं।
सूबे को मिली इस सफलता की सबसे रोचक बात यह है कि राज्य के जिन शहरों को यह पुरस्कार मिले हैं, उनमें अधिकांश के डीएम पीसीएस से प्रमोट होकर आईएएस हैं या फिर इन शहरों नगर आयुक्त पीसीएस अफसर हैं। इसके बाद भी अब नगर आयुक्त के पद पर पीसीएस अफसर के बजाए सीधी भर्ती के आईएएस को तैनात करने के प्रयास किये जा रहे हैं। जिसके चलते पीसीएस अफसर नाराज हैं। इनका कहना है कि जमीनी स्तर पर उत्तम सेवायें देने वाले पीसीएस अफसरों को दरकिनार किया जाना आने वाले चुनावी समय में सत्ताधारी दल व सरकार को सियासी रूप से नुकसानदेय साबित हो सकता है। इसलिए अफसरों की फील्ड में तैनाती के समय सरकार को उनकी सेवाओं का आंकलन जरूर होना चाहिए। फिर चाहे वह अफसर किसी संवर्ग से क्यों न हों।
सरकार की मंशा और जनता के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने वालों पीसीएस संवर्ग को को तरजीह मिलनी चाहिए, तब ही स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 सरीखे परिणाम यूपी को मिलते रहेंगे। फ़िलहाल पीसीएस अफसरों के ऐसे दावों का मुख्य योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया और नगर आयुक्त के पद पर पीसीएस अफसरों की ही तैनाती का संकेत दिया गया है। शासन से मिले ऐसे संकेतों ने पीसीएस संवर्ग की खुशियों में और इजाफा किया है। -राजेंद्र कुमार
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