कब होगा एक्शन ?
लखनऊ : सूबे की योगी सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टालरेंस नीति के तहत एक्शन लेती है। बीते दिनों इसी नीति के चलते सरकार ने महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार और प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अभिषेक दीक्षित को निलंबित कर दिया। लेकिन 1983 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार (द्वितीय) के मामले को लेकर सरकार का यह एक्शन सुस्त पड़ जाता है। नोएडा प्लाट आवंटन घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव के साथ जेल की सजा काट चुके राजीव कुमार (द्वितीय) 2016 से निलंबित हैं।
उनका सेवाकाल सितंबर 2021 तक है। वह उप्र के दूसरे सबसे वरिष्ठ आइएएस अधिकारी हैं। बीते साल प्रदेश सरकार ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। प्रदेश में किसी आईएएस अफसर को जबरन रिटायर करने को लेकर भेजा गया यह पहला नोटिस था। राजीव कुमार ने बीते अक्टूबर में सरकार के नोटिस का जवाब दे दिया था। जिसका परीक्षण किया जा रहा है, लेकिन अब तक इस मामले में कोई एक्शन नहीं हुआ है। अब यहीं यह भी जान लें कि राजीव कुमार को भ्रष्टाचार के किस मामले में जेल जाना पड़ा था।
राजीव कुमार 1994-95 के दौरान नोएडा अथारिटी में उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी थे। उन पर आरोप था कि तैनाती के दौरान उन्हें सेक्टर-51 में प्लॉट आवंटित हुआ। बाद में उन्हें सेक्टर 44 में प्लॉट दिया गया। फिर इसे भी बदलकर उन्हें सेक्टर 14ए में प्लॉट आवंटित किया गया, जबकि नोएडा अथारिटी के नियमों के तहत, प्लॉट की अदला-बदली सिर्फ एक बार की जा सकती थी। लेकिन अपने पद का उपयोग करते हुए राजीव कुमार ने यह खेल किया। फिर सीबीआई कोर्ट ने इस नोएडा प्लॉट आवंटन घोटाले में राजीव कुमार को दोषी मानते हुए 20 नवंबर 2012 को तीन साल की सजा सुनाई थी। सीबीआई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ राजीव कुमार इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने 24 फरवरी 2016 को अपील खारिज करते हुए राजीव को सरेंडर करने का आदेश दिया। सरेंडर न करने पर कोर्ट को मार्च 2016 में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करना पड़ा। अप्रैल 2016 में राजीव ने गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था। इसके बाद भी उन्हें अभी तक आईएएस सेवा से बाहर करने की कार्रवाई सूबे की सरकार ने पूरी नहीं की है।
जिसे लेकर सूबे के युवा आईपीएस अफसर अब आपसी चर्चा में यह सवाल उठा रहें हैं कि आखिर भ्रष्टाचार के मामले में तीन साल की जेल काटने वाले आईएएस राजीव कुमार अभी तक बर्खास्त क्यों नहीं किये गए। अब तो तमाम युवा आईपीएस अफसर जानना चाह रहें है कि राजीव कुमार (द्वितीय) के खिलाफ सरकार का एक्शन कब होगा? इन अफसरों का कहना है कि मार्च, 2017 को सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” को सरकारी नीति घोषित की थी। इस नीति के तहत पिछले साढ़े तीन वर्षों में भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए अलग-2 विभागों के 325 अफसरों और कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है।
इसके अलावा 450 अधिकारियों और कर्मचारियों पर निलंबन और डिमोशन की कार्रवाई की गई है। पिछले वर्ष नवंबर में सरकार ने प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के सात अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त दी थी। भ्रष्ट अफसरों की पहचान के लिए बनी विभागीय स्क्रीनिंग कमेटी ने भ्रष्टाचार और अक्षमता के आरोपों के आधार पर इन अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की संस्तुति की थी। कई आईपीएस अफसरों को भी निलंबित किया गया है लेकिन जो आईएएस अफसर भ्रष्टाचार के मामले में जेल गया, सजा काटी उसके खिलाफ अभी तक कठोर कार्रवाई नहीं की गई। आखिर उन्हें जबरन रिटायर करने के मामले में एक्शन लेने में क्या दिक्कत है, जबकि अदालत में उनके भ्रष्टाचार का मामला साबित हो चुका है। तो फिर उनके खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लिए जा रहा है? क्या वह आईएएस हैं, इसलिए ऐसा किया जा रहा है? इस सवाल का जवाब फ़िलहाल नियुक्ति विभाग के अफसर नहीं दे रहें है। पर शासन के बड़े अफसरों ने यह संकेत जरुर किया है कि राजीव कुमार (द्वितीय) के मामले में जल्द ही एक्शन होगा। – साभार राजेंद्र कुमार
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