Free songs
BREAKING

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में न्याय की उम्मीदें जगीं, विभाग में उच्च पदासीन अफसरों की कुर्सी खतरे में

#ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में निदेशक पद पर तैनाती हुई अवैध, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन के बाद ही होगा न्याय.

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : “अफ़सरनामा” ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में प्रमोशन और तैनाती को लेकर नियमों की अनदेखी किये जाने की खबरों को लगातार सामने लाता रहा है और सरकारें इसको दरकिनार करती रही हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय ने “अफ़सरनामा” की खबरों की पुष्टी कर दिया है. सुप्रीमकोर्ट का यह आदेश फिलहाल विभाग के पास है और देखना यह होगा कि विभाग कब तक इसको प्रभावी करता है.

सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई 2021 को दिए गये अपने फैसले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभागों में राज्य सरकार द्वारा जारी 22 मार्च 2016 की वरिष्ठता सूची को निरस्त कर दिया और इन विभागों में वर्ष 2001 में जारी की गई वरिष्ठता सूची को बहाल कर दिया गया. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की पीठ ने यह निर्णय दिया है.

बताते चलें कि शीर्ष अदालत के इस फैसले से ग्रामीण अभियंत्रण सेवाओं में वर्ष 1985 में तदर्थ रूप से नियुक्त किये गए सैकड़ों अभियंता प्रभावित होंगे. जिनमें से कई लोग विभाग में उच्च पदों पर आसीन हो चुके हैं. उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि तदर्थ कर्मचारियों को स्थायी करने पर वरिष्ठता निर्धारण के लिए तदर्थ सेवाओं की गणना शामिल नहीं की जाएगी और वरिष्ठता का लाभ स्थायी करने के दिन से ही मिलेगा.

अदालत ने कहा कि पूर्व में यूपी में तदर्थ नियुक्तियों का नियमन (सेवा आयोग के अधीन पद) नियम 1979 के नियम 7 पर विचार ही नहीं किया गया. जिसके अनुसार की गई नियुक्ति/चयन के दिन से ही वरिष्ठता की गणना की जाएगी. इस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने इसी मुद्दे पर 6 वर्ष पूर्व वर्ष 2015 में नरेंद्र कुमार त्रिपाठी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मुकदमें में दिए गए अपने पूर्व के निर्णय को निरस्त करते हुए उसे त्रुटिपूर्ण करार दिया.

शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद सूबे के ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में विभागाध्यक्ष से लेकर जिलों में तैनात इंजीनियरों तक में खलबली मची है. क्योंकि जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लागू किया जाएगा वैसे ही निदेशक एवं मुख्य अभियंता के पद पर तैनात दिनेश कुमार वरिष्ठता क्रम में काफी नीचे पायदान पर खिसक जाएंगे. गौरतलब है कि ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का प्रभार भी सूबे के विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक के पास ही है.

वैसे तो ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की यह बीमारी पुरानी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न्याय विभाग के मंत्री द्वारा कितना जल्दी प्रभावी कराया जाएगा यह देखना दिलचस्प जरूर होगा. फिलहाल मिली रही जानकारी के मुताबिक़ निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति के कार्यकाल को प्रक्रिया में फंसाकर पूरा कराने की कसरत जारी है.

हर राज में राजा रहा उमाशंकर,अखिलेश के बाद योगी का भी रहा प्यारा

afsarnama
Loading...

Comments are closed.

Scroll To Top