लखनऊ : कैग रिपोर्ट में खुलासा, प्रदेश के पशुपालन विभाग में हर स्तर पर मनमानी का राज है. विभाग न सिर्फ अपने कार्यों व योजनाओं को लेकर लगातार उदासीन बना हुआ है, बल्कि कई केंद्रीय योजनाओं व कार्यक्रमों को प्रदेश में विफल करने का काम कर रहा है. इससे पशुधन संरक्षण में मुश्किलें आ रही हैं और सरकारी खजाने को चपत भी लग रही है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पशुपालन विभाग की मूलभूत आवश्यकताओं की उपलब्धता व विकास से संबंधित कार्यवाही की समीक्षा की. कैग ने विभाग की गतिविधियों की नमूना जांच के लिए आगरा, बाराबंकी, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, महराजगंज, मथुरा व सहारनपुर को चयनित किया. वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच इस संबंध में किए गए प्रयासों की पड़ताल में बड़े पैमाने पर मनमानी का खुलासा हुआ. पता चला न सिर्फ केंद्रीय योजनाओं का लाभ उठाने में सुस्ती बरती जा रही है बल्कि बजट खर्च में भी उदासीनता बरकरार है. अस्तपालों में डॉक्टर-फार्मासिस्ट की कमी है, लेकिन बिना उपकरण व कार्मिक मोबाइल क्लीनिक दौड़ाई जा रही है.