*पीसीएस एसोसिएशन पहली बार हुआ नेतृत्व विहीन, पीसीएस संवर्ग 1977, 99 और 2000 बैच का हुआ प्रमोशन.
*आखिर अब पीसीएस एसोसिएशन की बागडोर किस बैच और किस युवा अफसर के हाथों में होगी.
टीबी सिंह
लखनऊ : शासन सत्ता की रीढ़ कहे जाने वाले पीसीएस संवर्ग के प्रमोशन का सिलसिला योगी सरकार में इस अंतिम वर्ष में भी जारी है. सरकार को चमकाने का जिम्मा उठाने वाले इस संवर्ग के लिए गुरूवार का दिन 25 अफसरों के प्रमोशन को लेकर जहां ख़ुशी का दिन रहा वहीं इस संवर्ग के एसोसिएशन के लिए गम का रहा क्योंकि सरकार को चमकाने की जिम्मेदारी वाले इस महकमे की और उसके एसोसिएशन की चमक गायब रही. इसके अलावा पहले अध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी के प्रमोशन, फिर एक संयुक्त सचिव समीर वर्मा के इस्तीफे और आज सचिव पवन गंगवार तथा एक और संयुक्त सचिव कपिल सिंह के आईएएस में प्रमोशन होने के बाद यह अनाथ सा हो गया.
पीसीएस एसोसिएशन के संयुक्त सचिव समीर वर्मा के इस्तीफे के समर्थन में दूसरे संयुक्त सचिव कपिल सिंह ने भी इस्तीफे की पेशकस करते हुए अपने पत्र में लिखा था कि एसोसिएशन की गतिविधियों को देखते हुए मुझे भी इस्तीफा दे देना चाहिए. संवर्ग के हितों और एसोसिएशन की मजबूती के लिए दूसरी लाइन का न तैयार होना भी इस संवर्ग के नए अफसरों के भविष्य और उनके प्रति उदासीनता का परिचायक रहा है. इसके साथ ही अब एक सवाल यह भी उठने लगा है कि आने वाले समय में इस एसोसिएशन की बागडोर किस बैच और किस युवा अफसर के हाथों में होगी.
मजे की बात यह है कि प्रमोट होने वाले इन 1999 और 2000 बैच के अफसरों में कई पहले सक्रिय पीसीएस एसोसिएशन के मजबूत पदाधिकारी भी रहे हैं. जिनमें पवन गंगवार, दिनेश चन्द्र, समीर वर्मा और कपिल सिंह का नाम शामिल है. प्रमोट होकर आईएएस बने अपने मूल संवर्ग के इन सदस्यों का स्वागत करते हुए पीसीएस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व “आईएएस प्रोन्नत मंच” के संयोजक उमेश प्रताप सिंह का कहना है कि पूर्व में एसोसिएशन में साथ काम कर चुके इन साथियों के प्रमोट हो साथ आने से मंच को जहां बल मिलेगा वहीं अपने मूल कैडर के साथियों के सम्मान व उनके हितों की रक्षा के लिए काम किया जाएगा. वर्तमान में इस वर्ग के अफसरों की तैनाती में भेदभाव को देखते हुए यह जरूरी हो गया है.
बताते चलें कि 1999 और 2000 बैच के कुल 30 पीसीएस अफसरों की डीपीसी गुरुवार को सम्पन्न हुई जिसमें 25 अफसर आईएएस बने और 5 विभिन्न कारणों से वंचित रहे. वंचित रहने वालों में भीष्म लाल वर्मा, घनश्याम सिंह, हरीश चंद्र, श्रीप्रकाश गुप्ता और प्रभुनाथ का नाम शामिल है. पीसीएस से आईएएस बने इन अफसरों का आधिकारिक आदेश कल तक जारी होने की उम्मीद है.
वैसे तो प्रमोशन के यह सिलसिला प्रक्रिया का हिस्सा है लेकिन इसमें खास बात यह है कि प्रमोशन पाने वालों में एक पति-पत्नी भी हैं. रविन्द्र पाल सिंह और निधि श्रीवास्तव दोनों पति-पत्नी का नाम इन्हीं प्रमोट होने वाले 25 अफसरों की लिस्ट में शामिल है. इसके अलावा प्रमोशन पाने वालों में सबसे चर्चित नाम धनञ्जय शुक्ला का भी शामिल है जोकि विशेष सचिव नियुक्ति के पद पर तैनात हैं और पीसीएस होते हुए भी आईएएस अफसरों की तैनाती का काम देख रहे हैं.
प्रमोशन पाने वालों में अशोक कुमार, महेंद्र प्रसाद, गौरव वर्मा, रजनीश शर्मा, मनोज कुमार राय (निदेशक महिला कल्याण), श्रीमती निधि श्रीवास्तव, खेमपाल सिंह, संजय चौहान (नगर आयुक्त मुरादाबाद), सुनील कुमार चौधरी, संतोष कुमार शर्मा (नगर आयुक्त शाहजहाँपुर), अरुण कुमार -II(एडिशनल कमिश्नर बरेली), श्याम बहादुर सिंह (सीडीओ शाहजहांपुर), पवन कुमार गंगवार (सचिव एलडीए), बृजेश कुमार, हरिकेश चौरसिया, महेंद्र सिंह (विशेष सचिव राजस्व), रविन्द्र पाल सिंह (विशेष सचिव गृह), अनिल कुमार (सचिव नेडा), श्रीमती वंदना त्रिपाठी, समीर (विशेष सचिव वित्त), श्रीमती अर्चना गहरवार (सचिव पिछड़ा कल्याण), कुमार विनीत (निदेशक यूपी डेस्को), विशाल सिंह (नगर आयुक्त अयोध्या), धनञ्जय शुक्ला (विशेष सचिव नियुक्ति) और कपिल सिंह (निदेशक राज्य पोषण मिशन) का नाम शामिल है.
पीसीएस एसोसिएशन की इस दुर्दशा पर आईएएस पद के प्रमोशन को ठुकरा चुके पीसीएस संघ के सात वर्षों तक अध्यक्ष रहे बाबा हरदेव सिंह का कहना है कि इस संवर्ग के लिए आने वाले दिनों में स्टेगनेशन बरकरार रहेगा. और अगले चार-पांच वर्षों बाद आईएएस होने वाले अधिकारियों को संघ से बाहर रखना होगा. रीढ़ विहीन हो चुके पीसीएस संघ में अब युवा और जुझारू अफसरों की जरूरत है तभी संवर्ग का कल्याण हो सकता है.