#पीसीएस संघ के अध्यक्ष उमेश प्रताप सिंह का बयान,पुलिस कमिश्नर सिस्टम लोकतंत्र के लिए घातक।
अफ़सरनामा ब्यूरो
लखनऊ : शासन-प्रशासन की बैकबोन कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश पीसीएस संघ ने योगी सरकार में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किये जाने का विरोध किया है। पीसीएस संघ के अध्यक्ष उमेश प्रताप सिंह ने प्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम की सुगबुगाहट का पुरजोर विरोध करते हुए कहा है कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम लोकतंत्र के लिए घातक है, जब क़ि नागरिक प्रशासन लोकतंत्र की बैक बोन है।
अपनी बेबाक शैली के लिए जाने जाने वाले पीसीएस संघ के अध्यक्ष श्री सिंह के इस बयान से आईएएस वर्ग को बड़ा समर्थन मिला है. बताते चलें कि करीब महीने पहले मुख्य सचिव ने एक पुराने आदेश को जीवंत रखते हुए एक पत्र सभी जिलाधिकारियों को जारी किया था कि क़ानून व्यवस्था की बैठक जिलों में जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में किया जाय जिसको लेकर आईपीएस एसोशिएसन ने काफी नाराजगी जताई थी.
श्री सिंह का मानना है कि लोकतंत्र में जनता द्वारा जनता के लिए शासन का फार्मूला पुलिस कमिश्नर प्रणाली से शून्य हो जाएगा और केवल डंडे का शासन रहेगा. कानून व्यवस्था के मुद्दे पर उनका कहना है कि अगर अधिकारी संजीदा हैं तो शासन प्रशासन में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है, यह सब अधिकारियों की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है.
जानकारों का मानना है कि पुलिस की कार्यशैली पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. पुलिस हमेशा सत्ता के साथ रहती है और सबसे बड़ी बिडम्बना यह है कि जिस नेता को वह कभी पीट चुकी होती है सत्ता में आने पर उसी के आगे पीछे घूमती है. इस तरह की प्रवृत्ति स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक होता है. ताजा मामलों को अगर देखा जाय तो पुलिस का रवैया और चेहरा खुलकर सामने आ जाता है. दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ कथित मारपीट के मामले में पुलिस सीएम हाउस में घुसकर साक्ष्य हासिल करती है जबकि वहीँ उत्तर प्रदेश पुलिस का रवैया यह है कि उसको मुलायम सिंह की आवाज का नमूना लेने में पसीने आ रहे हैं जबकि मामला भी किसी आईएएस अथवा पीसीएस का नहीं खुद उन्हीं के एक वरिष्ठ अधिकारी से जुड़ा है. ऐसे में पीसीएस संघ के अध्यक्ष का यह बयान अब सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.