#सरकार को बहुमत के लिए जरूरी 272 सांसद, 2014 में जीत के बाद थे 282 सांसद.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा मोदी लहर पर सवार होकर केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के करीब डेढ़ साल में ही मध्य प्रदेश के पार्टी सांसद दिलीप सिंह की मौत के बाद खाली हुई रतलाम सीट के उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल कर उसको पहला झटका दिया जहां पर राज्य की कुल 29 में से 27 सीटें बीजेपी को मिली थीं. इसके बाद दूसरा झटका पंजाब के गुरुदासपुर सीट पर लगा, जब बीजेपी अपने सांसद विनोद खन्ना के निधन के बाद सीट बचा नहीं पाई और इस उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील सिंह जाखड़ की जीत हुई. इसके अलावा बीजेपी सांसदों के निधन से खाली हुई राजस्थान की दो सीटो पर 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीट गंवाने वाली कांग्रेस ने उपचुनाव में इन दोनों सीटों अलवर और अजमेर पर कब्जा जमाया. और अब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर जैसी महत्वपूर्ण सीट भी भाजपा बचाने में कामयाब नहीं रही. वहीं बिहार में सांसद तसलीमुद्दीन के निधन पर खाली हुई लोकसभा सीट अररिया के उपचुनाव में भी बीजेपी को राजद से हार का सामना करना पड़ा.
भाजपा की केंद्र में सरकार बनने के चार साल के भीतर हुए उपचुनावों में 7 सीटें निकल गईं। इनमें चार सीटों पर कांग्रेस, दो पर समाजवादी पार्टी और एक सीट पर लालू यादव की पार्टी राजद से बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की कैराना,महाराष्ट्र की पालघर की सीट पार्टी के सांसदों के निधन के कारण खाली हैं तो महाराष्ट्र के ही गोंदिया से बीजेपी सांसद नानाभाऊ पटेल के इस्तीफा देने से 1 सीट खाली है. इस तरह 3 सीटें अन्य कारणों से बीजेपी के पास नहीं हैं और यहाँ पर अभी चुनाव होना है. इस प्रकार 2014 की 282 सांसदों वाली बीजेपी के पास अब केवल 273 सांसद ही बचे हैं जोकि बहुमत से केवल एक सीट ज्यादा है.