#सोनिया के बाद अब शरद पंवार की डिनर डिप्लोमेसी, ममता बनर्जी भी दिल्ली में विपक्ष को साधने में जुटीं.
अफसरनामा ब्यूरो
दिल्ली : 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरोधी दल तमाम तरह के सियासी गणित बैठाने शुरू कर दिए हैं. उत्तर प्रदेश के लोकसभा उपचुनाव के परिणाम ने भी विपक्षी दलों को संजीवनी देने का काम किया है और वे अपराजेय सी बन चुकी भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए सियासी कील कांटे दुरुस्त करना शुरू कर दिए हैं. फिलहाल डिनर डिप्लोमेसी का दौर जारी है. पहले सोनिया गाँधी ने सभी विपक्षी दलों को डिनर पर आमंत्रित किया और अब एनसीपी के मुखिया शरद पंवार ने विपक्षी दलों को डिनर पर आमंत्रित किया है. सोनिया गांधी के इस डिनर पार्टी से पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी नदारद रहीं थीं. अब एक बार फिर से जब संसद में भाजपा की मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस दी जा चुकी है, ऐसे में वही ममता बनर्जी दिल्ली में रहकर अगले 3 दिनों तक विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात करने वाली हैं. उधर, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आज ही 19 विपक्षी दलों के नेताओं को डिनर पर बुलाया है. पवार की डिनर पॉलिटिक्स को भी विपक्षी एकजुटता के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
जानकारों की मानें तो सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते ममता की उनसे मुलाकात अभी तय नहीं है, लेकिन एनसीपी चीफ शरद पवार से उनकी मुलाकात तय है. ममता हाल ही में एनडीए सरकार से अलग हुई चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी के सांसदों से भी मुलाक़ात करेंगी. आपको बता दें कि विपक्षी एकजुटता की यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब संसद में टीडीपी, कांग्रेस समेत 4 दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है. ममता ने इससे पहले कोलकाता से ही चंद्रबाबू से फोन पर बात की थी. सियासी पंडितों की मानें तो ममता बनर्जी फिलहाल आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेस थर्ड फ्रंट खड़ा करना चाहती हैं. लेकिन विपक्षी एकता के लिए इतनी एक्टिव ममता बनर्जी की कांग्रेस से दूरी रखने की वजह क्या है यह एक महत्वपूर्ण प्रशन है. जानकारों की माने तो विपक्ष का चेहरा बनना चाहती हैं ममता बनर्जी.
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिए कांग्रेस सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटी है. साथ कांग्रेस ने लगभग साफ कर दिया है कि विपक्षी दलों के चेहरा राहुल गांधी ही होंगे, लेकिन ये बात सभी दलों को शायद मंजूर नहीं है. नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के बाद विपक्षी खेमे में जो जगह बनी है ममता बनर्जी उसके लिए विकल्प बनना चाहती हैं. हो सकता है कि ममता चाहती हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में गैर बीजेपी, गैर कांग्रेस की बात हो तो उनका नाम विकल्प साबित हो. यही वजह है कि ममता बनर्जी कांग्रेस को छोड़कर सभी विपक्षी दलों से रिश्ते सुधारने में जुटी हैं.