अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश का बिजली विभाग लोगों के बीच काफी चर्चा में है. बिजली के बिल की वसूली को लेकर विभाग द्वारा की सख्ती काफी चर्चा में रही. राजधानी लखनऊ में तमाम सरकारी विभाग और रसूखदारों की बिजली बकाये के चलते काट दिए गए तो बाद में प्रदेश सरकार ने बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को पांच महानगरों व सात जनपदों की बिजली निजी हाथों में सौंपने का जोरदार झटका देकर चर्चा में है. इसके अलावा अब फिर बिजली विभाग अप्रैल के पहले ही दिन से लाखों ग्रामीण उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का जोरदार झटका देने के प्लान से चर्चा में है.
वित्तीय वर्ष के पहले ही दिन यानी 1 अप्रैल से लाखों ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का जोरदार झटका लगेगा. सरकार के इस फैसले पर जहां बिजली विभाग के संगठन आपत्ति जता रहे हैं, वहीं ग्रामीण उपभोक्ताओं का भी सरकार से मोह भंग होने लगा है. ग्रामीण उपभोक्ता प्रस्तावित बिजली दरों को वापस लेने के लिए सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
राज्य विद्युत नियामक आयोग के आदेश के अनुसार एक अप्रैल से ग्रामीण मीटर उपभोक्ताओं को 300 रूपये के बजाय 400 रूपये प्रति किलो वाट प्रति माह की दर से बिजली का बिल चुकाना होगा. बिजली उपभोक्ताओं को प्रति किलोवाट 100 रुपये अतिरिक्त चुकाना होगा जो ग्रामीण उपभोक्ताओं को देखते हुए काफी ज्यादा है. इसके पहले नवंबर में बिजली के दामों में 120 पैसे प्रति किलोवाट की बढ़ोत्तरी की गयी थी. विद्युत नियामक आयोग ने बीते साल 30 नवंबर को जारी टैरिफ ऑर्डर में गांव में घरेलू अनमीटर्ड उपभोक्ताओं की दरें 180 प्रति किलोवाट प्रति माह से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 तक के लिए 300 कर दी थी. इसके बाद 1 अप्रैल से 100 रुपए प्रतिमाह प्रति किलो वाट और बढ़ाने का खाका खींच दिया है. एक अप्रैल से नई दरें लागू हो जाएंगी, जिससे करीब 50 लाख उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा.