#फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को जारी की थी गाईड लाइन.
#फर्जी खबरें या इसके दुष्प्रचार पर पत्रकार की मान्यता स्थायी रूप से रद्द किये जाने का था प्रावधान.
अफसरनामा ब्यूरो
दिल्ली : सूचना प्रसारण मंत्रालय मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी फेक न्यूज गाईड लाइन को लेकर सरकार की चौतरफा आलोचनाओं से घिर गयी. भारी दबाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप के बाद मंगलवार सुबह सूचना प्रसारण मंत्रालय ने अपने इन दिशा-निर्देशों को वापस ले लिया है.
मंत्रालय ने कहा है कि फेक न्यूज को नियमित करने के संबंध में दो अप्रैल, 2018 को पत्र सूचना कार्यालय से ‘पत्रकारों के मान्यता पत्र के लिए संशोधित दिशा-निर्देश’ शीर्षक से जारी गाइडलाइन वापस ली जाती है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से ‘फेक न्यूज़’ के बारे में जारी की गई नई गाइडलाइन अब वापस होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में जारी की गई प्रेस रिलीज़ को वापिस लेने को कहा है. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ही करेगा.
फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के उपाय के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कल जारी दिशानिर्देशों में कहा था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता हुआ या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थायी रूप से रद्द की जा सकती है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कल जारी गाइडलाइन में कहा था कि पत्रकारों की मान्यता के लिए संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाए जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जायेगी और दूसरी बार ऐसा करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी. तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जाएगी.
इस सम्बन्ध में सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि जब से ये मुद्दा चर्चा में आया है, तभी से कई पत्रकारों और मीडिया समूह ने उन्हें कई तरह के सुझाव दिए हैं. अगर कोई पत्रकार/मीडिया समूह इस मुद्दे पर सलाह देना चाहता है तो वह दे सकता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसी शिकायत मिलने पर किसी पत्रकार को ज्यादा परेशानी न हो, शिकायत की प्रक्रिया को दोनों एजेंसियों के द्वारा 15 दिन के भीतर निपटाने की व्यवस्था होगी. गौरतलब है कि मंत्रालय के इस आदेश के बाद इस फैसले पर कई तरह के सवाल उठे थे. कई पत्रकारों और मीडिया समूह ने सरकार के इस फैसले की निंदा की थी.