अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : खबर पुख्ता है. भारतीय पुलिस सेवा के 1983 बैच के तेज तर्रार अफसर ओम प्रकाश सिंह मंगलवार, 23 जानवरी को उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी संभालेंगे. केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को उन्हें गृह संवर्ग के लिए अवमुक्त किये जाने के प्रबल आसार हैं. आज, 20 जनवरी को उन्हें उत्तर प्रदेश के लिए रिलीव करने की ख़बरों का केन्द्रीय गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने खंडन किया है. फिलहाल कभी हाँ और कभी ना के साथ ही नए दावेदारों के नामों की चर्चाओं के बीच सोशल मीडिया पर लगातार नए शिगूफों का वक्त ख़त्म हो गया है और सौ फीसद तय है कि ओ पी सिंह ही तीन सप्ताह से ज्यादा वक्त तक खाली पड़ी डीजीपी की अहम कुर्सी पर बैठने जा रहे हैं.
दरअसल ओपी सिंह को 3 जनवरी 2018 को अपना पदभार ग्रहण न करने के बाद से ही रोज उनके कार्यभार सँभालने की चर्चायें चलती रहीं. केंद्र द्वारा उन्हें कार्यमुक्त न होने के चलते तय समय के अनुसार पदभार ना संभाले जाने को कारण बताते हुए शुक्रवार दिन में ओ.पी. सिंह का नाम यूपी के डीजीपी पद से पीएमओ ने ख़ारिज कर दिया था जिसके बाद प्रदेश में नए डीजीपी की तलाश भी शुरू कर दी गई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर अपने विरोधियों पर भारी पड़ते लग रहे है और 19 दिन की रस्साकसी के बाद आखिर ओ.पी.सिंह को ही नया डीजीपी बनवाने में सफल हो गए है. बताया जाता है योगी ने केंद्र को अपनी बात के लिए राजी कर लिया है जिसके बाद ही प्रदेश सरकार से ओ.पी.सिंह को ही डीजीपी बनाने का प्रस्ताव केंद्र को पुनः भेजा गया है और केंद्र ने भी ओ.पी.सिंह को उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त करने का निर्णय कर लिया है.
31 दिसम्बर को सुलखान सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद से अभी तक सूबे में पुलिस के मुखिया की कुर्सी खाली है. पीएमओ द्वारा ओ.पी.सिंह का नाम ख़ारिज होने के बाद पुलिस मुख्यालय में शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक पद के लिए अलग-अलग अधिकारियों के नाम चर्चा में रहे. जहां वरिष्ठता के आधार पर चयन की बात की गई तो ब्राह्मण और क्षत्रिय फैक्टर पर भी अधिकारी चर्चा करते हुए मिले. कुछ अधिकारी तो दबी जुबान में यूपी को बिहार पसंद है अर्थात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार सिंह की ओर भी इशारा करते हुए दिखे. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह के पदभार न ग्रहण करने की स्थिति में कई अन्य वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का नाम आज दिन भर चर्चा में रहा. इसके लिए वरिष्ठ आईपीएस भावेश कुमार, वरिष्ठ आईपीएस रजनीकान्त मिश्रा और वरिष्ठ आईपीएस डा. सूर्य कुमार शुक्ला का नाम प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी में चल रहा था. जिसके बाद देर शाम ये चर्चा फैली कि रजनीकांत मिश्रा के नाम को सरकार ने भी फाइनल कर लिया है . दरअसल प्रदेश और दिल्ली में बीजेपी का एक गुट नहीं चाहता था कि ओ.पी.सिंह को डीजीपी बनाया जाए, जिसके चलते वर्ष 2005 का हवाला दिया गया कि उस समय मायावती के साथ जब गेस्ट हाउस कांड हुआ था तो सिंह ही लखनऊ के एसएसपी थे और ये सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भी बेहद नजदीकी अफसर रहे है ,उसी गुट के इसी विरोध के चलते 19 दिन से ये मामला लटका चला आ रहा था और जिसके बाद सुबह केंद्र ने उनकी नियुक्ति को रद्द भी कर दिया था, लेकिन देर रात केंद्र ने फिर फैसला पलट लिया और उन्हें लखनऊ के लिए कार्यमुक्त करने पर सहमति जता दी. जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री ने उनकी नियुक्ति को अब अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था कि अगर वे पुलिस मुखिया भी अपनी पसंद का नहीं बना सकते तो प्रदेश कैसे संभालेंगे? जिसके बाद ही देर शाम प्रदेश की तरफ से पुनः ओ.पी.सिंह को ही डीजीपी बनाये जाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया.