# राष्ट्रपति ने आप पार्टी के 20 विधायकों को “आफिस ऑफ़ प्रॉफिट” के मामले में दिया अयोग्य करार
अफ्सरनामा ब्यूरो
दिल्ली : एक बड़े सियासी उलटफेर के बाद दिल्ली की कुर्सी पर कब्जा जमाने वाली अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को आज करीब तीन साल बाद अपने विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने पर एक बड़ा सियासी झटका लगा है. चुनाव आयोग द्वारा “लाभ के पद” के दायरे में आने के बाद अयोग्य ठहराए जाने की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने आप पार्टी के विधायकों को रविवार को अपनी मंजूरी दे दी. हालांकि राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद कजरी की सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है और उनके पास इसके बाद भी 45 विधायकों का बहुमत रहेगा.
आम आदमी पार्टी द्वारा मार्च 2015 में अपने विधायकों द्वारका से आदर्श शास्त्री, महरौली से नरेश यादव,तिलक नगर से जरनैल सिंह,चाँदनी चौक से अलका लांबा, वजीरपुर से राजेश गुप्ता,जनकपुरी से राजेश ऋषि,जंगपुरा से प्रवीण कुमार,राजेन्द्र नगर से विजेंद्र गर्ग,कस्तूरबा नगर से मदन लाल,मोतीनगर से शिवचरण गोयल,सदर बाजार से सोमदत्त,बुराड़ी से संजीव झा,रोहताश नगर से सरिता सिंह,नरेला से शरद चौहान,कालकाजी से अवतार सिंह,गांधीनगर से अनिल कुमार बाजपेयी, कोंडली से मनोज कुमार,लक्ष्मीनगर से नितिन त्यागी,मुंडका से सुखबीर दलाल और नजफगढ़ से कैलाश गहलौत को संसदीय सचिव बनाया था. संसदीय सचिव बनाये गए इन विधायकों की करीब दो महीने बाद यह कहते हुए शिकायत राष्ट्रपति को शिकायत भेजी गयी कि नियुक्त किये गये ये विधायक लाभ के पद पर हैं इसलिए इनको अयोग्य घोषित किया जाय. शिकायतकर्ता द्वारा की गयी शिकायत को राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग को भेज दिया. चुनाव आयोग की जांच में शिकायतकर्ता के आरोप सही पाए गए और इनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश आयोग ने राष्ट्रपति से की जिसको राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार कर लिया गया है.
विधायकों के अयोग्य करार दिए जाने की राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद आप के नेताओं सहित अन्य दलों के नेताओं ने प्रतिक्रया दी है. आप नेता गोपाल राय ने कहा कि इस सम्बन्ध में अपना पक्ष रखने के लिए हमने राष्ट्रपति से समय माँगा था लेकिन समय नहीं मिला. आप पार्टी के ही पत्रकार से नेता बने आशुतोष ने कहा कि राष्ट्रपति का यह फैसला असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है, तो पार्टी के ही नेता व केजरीवाल के करीबी संजय सिंह ने मुख्य चुनाव आयुक्त ए के ज्योति को भाजपा और मोदी का एजेंट बताया. कांग्रेस के अजय माकन ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा और कहा कि आयोग ने फैसला देने में देर कर आम आदमी पार्टी की मदद की है. वहीं पिछले कुछ दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति के इस फैसले को तुगलकशाही करार दिया है.