#फर्जी कागजात लगाने वाली श्यामा बिल्डकॉन पर विद्यासागर की मेहरबानी.
#बिहार कनेक्शन के चलते श्यामा बिल्डकॉन को सौंपे ठेके.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : विद्युत् उत्पादन निगम को घर की खेती बना चुके बीस तिवारी के कारनामों की कलाई दिन ब दिन खुलती जा रही है. और इनके कारनामों के फेहरिस्त में तमाम सितारे जुड़ते जा रहे हैं. बीएस तिवारी ने काली कमाई के लिए अपने बिहार कनेक्शन का पूरा इस्तेमाल किया और अपने इस पूरे खेल में बिहार की ही एक कंपनी श्यामा बिल्डकॉन को शामिल कर लिया. बिहार से ही ताल्लुक रखने वाले विपिन राय जोकि श्यामा बिल्डकॉन के निदेशक हैं को लाभ पहुंचाने या यूं कहिये परोक्ष रूप से मोटी कमाई के लिए वह हर हथकंडे अपनाए जो वह कर सकता था.
छोटा-मोटा काम करने वाली कंपनी श्यामा बिल्डकॉन ने ओबरा में करीब 5 करोड़ के टेंडर में भाग लेने के लिए अपना अनुभव प्रमाण पत्र भी फर्जी लगाया. टेंडर के कागजों के सत्यापन के लिए कार्यालय अधिशाषी अभियंता ओबरा द्वारा अधिशाषी अभियंता धनबाद को एक पत्र मई 2018 को लिखा गया. जिसके जवाब में बिहार के अधिकारी द्वारा सत्यापित किया गया कि श्यामा बिल्डकॉन का अनुभव केवल 61 लाख का है जबकि इस टेंडर के लिए श्यामा बिल्डकॉन ने 3.66 करोड़ का अनुभव प्रमाण पत्र लगाया था.
…….पत्र जो श्यामा बिल्डकॉन के अनुभव प्रमाण पत्र के सत्यापन के हेतु भेजा भेजा गया था.
…श्यामा बिल्डकॉन के अनुभव प्रमाण पत्र के जवाब में धनबाद अधिशाषी अभियंता से मिला पत्र.
बताते चलें कि वर्ष 2015 में बीएस तिवारी निदेशक उत्पादन निगम बने जिसके करीब साल या छः महीने बाद श्यामा बिल्डकॉन ने ओबरा में अपना काम शुरू कर दिया था और इस कंपनी के लिए बीएस तिवारी ने तमाम कायदे कानूनों कि धज्जियां तक उडाई. श्यामा बिल्डकॉन के साथ उसकी दो सिस्टर कंसर्न कम्पनियां पैसिफिक और सिस्टमेटिक कंस्ट्रकशन भी बाद में श्री तिवारी के खेल में शामिल हुई और बीएस तिवारी की मेहरबानियों से मालदार होती रहीं.
मुख्य अभियंता ओबरा द्वारा पुलिस स्टेशन निर्माण और विकास कार्य के टेंडर के लिए लगाये गए कागजों की जांच में अनुभव प्रमाण पत्र गलत पाए जाने पर श्यामा बिल्डकॉन को ब्लैक लिस्ट करने की अनुमति हेतु बीएस तिवारी को पत्र लिखा गया. लेकिन आज करीब 15-20 दिन बीत जाने के बाद भी बीएस तिवारी द्वारा परमीशन नहीं दिया गया और न ही फाईल को वापस किया गया. श्यामा बिल्डकॉन को बचाने के लिहाज से आज तक अनुमति नहीं मिल सकी और वह फाईल आज भी उसकी टेबल पर है. वजह साफ़ है कि ब्लैक लिस्ट हो जाने के बाद श्यामा बिल्डकॉन काम करने से वंचित हो जाएगा और साथ ही साथ उसकी जमानत राशि भी जब्त हो जायेगी जोकि लगभग 25 लाख है.
इसके अलावा बीएस तिवारी ने नवम्बर 2017 में सीएम योगी के दिए गए आदेश कि अनपरा परियोजना की रोड आदि बनाने के उस निर्देश को भी ठेंगा दिखाया जोकि उन्होंने अपने दौरे के समय दिया था और जोकि करीब 15 करोड़ का था. इसके लिए बीएस तिवारी ने टेंडर रोकते हुए ज्वाईंट वेंचर से काम करने का आदेश पारित कर दिया. जबकि पहले दो कम्पनियां मिलाकर काम करने की कोई व्यवस्था निगम में नहीं थी, लेकिन श्यामा बिल्डकॉन और उसकी सिस्टर कंसर्न फर्म सिस्टमेटिक कान्सट्रकशन को एक साथ मिलाकर काम करने की नयी व्यवस्था शुरू की क्यूंकि श्यामा बिल्डकॉन अकेले इस काम के लिए क्वालीफाई नहीं कर रहा था.
यही नहीं इसके लिए जालसाज व बेअंदाज बीएस तिवारी द्वारा टेंडर रोकने और ज्वाईंट वेंचर में काम करने का यह आदेश श्यामा बिल्डकॉन के अनुरोध पत्र जोकि मुख्य अभियंता को न होकर सीधे निदेशक बीएस तिवारी को किया गया था पर ही बिना किसी जांच व समीक्षा के जारी किया गया. मजे की बात यह है कि तिवारी ने यह आदेश कंपनी के उसी अनुरोध पत्र पर कर दिया जबकि ऐसा नहीं होता है हमेशा किसी अनुरोध पत्र पर सक्षम अधिकारी अपने आदेश की कापी लगाता है लेकिन श्यामा बिल्डकॉन को क्वालीफाई कराने के लिए बीएस तिवारी ने इस बात का भी ध्यान नहीं रखा. और प्राईवेट कार्यालयों में जारी आदेशों की भाँती आदेश जारी कर दिया.
….श्यामा बिल्डकॉन के लेटर पैड पर ही बीएस तिवारी ने जारी कर दिया आदेश.
लेकिन बीएस तिवारी के इन तमाम प्रयासों के बावजूद श्याम बिल्डकॉन इस टेंडर को डालने में कुछ गलती कर गया जिसके चलते वह टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो गया. यहाँ भी बीएस तिवारी ने एक चाल चली, चूंकि श्यामा बिल्डकॉन टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो चुका था इसलिए बीएस तिवारी ने जांच के बहाने टेंडर को निरस्त करा दिया ताकि उसको फिर से मौका मिल सके. जबकि टेंडर में कुल 8 कंपनियों ने भाग लिया था और निगम को प्रतिस्पर्धी रेट मिला था. इतना ही नहीं बीएस तिवारी ने श्यामा बिल्डकॉन के फेल होने के बाद इस टेंडर के भाग-II के सभी कंपनियों के रेट खोलने पर भीरोक लगा दी.
अब अगले अंक में….. हरदुआ गंज में जीएम हरदुआगंज रहते हुए बीएस तिवारी द्वारा 5 व्यक्तियों को मारने वाली कंपनी को टेंडर देने में कितनी मनमानी और नियमों की धज्जियां उडाई गयीं का खुलासा. जिसका 150 पन्नों का सबूतों सहित शिकायती पत्र प्रबंध निदेशक उत्पादन निगम की टेबल पर है.