#आधे दाम में सीमेंट कंपनी को बेंच डाली राख बीएस तिवारी ने.
#बीएस तिवारी ने कासिमपुर में राख की कालिख से भी की काली कमाई.
#टेंडर से मंगलम सीमेंट अलीगढ़ को राख के 403 रुपये प्रति टन के रेट को कराया संशोधित.
#नये रेट 206 रूपये प्रति टन के हिसाब से निगम को लगाया करीब 100 करोड़ का चूना.
#रेट घटाकर मंगलम सीमेंट के अधिकारियों से किया पैसे का बंदरबांट.
#संशोधित निविदा पर टिप्पड़ी लिखने वाले तत्कालीन चीफ सिविल इंजीनियर की टिप्पड़ी को किया दरकिनार.
#केंद्र सरकार के स्क्रेब बेचने वाले निगम MSTC की नीलामी में राख का मूल्य प्रति टन 750 रूपये.
#MSTC की नीलामी से 750/- प्रतिटन की दर से एस्टेक ट्रेडर कंपनी, यूनिट 8 और 9 से खरीद रहा राख.
#एस्टेक कंपनी की वेबसाईट पर खुला रेट फिलहाल 950/- प्रतिटन उपलब्ध है.
#मंगलम सीमेंट को संशोधित रेट 206/- से नीलामी मिले इसके लिए निविदा की दर को लीक करने का आरोप.
#प्रतिस्पर्धी कंपनी कनोडिया सीमेंट, सिकंदराबाद बुलंदशहर, ने लगाया आरोप.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : अखिलेश राज में घोटाले के नित नए रिकार्ड बनाने वाले विद्युत् उत्पादन निगम के निदेशक बीएस तिवारी ने राख बेंचकर भी 100 करोड़ की काली कमाई कर डाली थी. ईमानदार मुख्यमंत्री और शुचिता का राग अलापने वाले ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की नाक के नीचे कभी बिजलीघर की मरम्मत तो कई दागी कंपनी को ठेका देकर वारे न्यारे कर चुके इस अधिकारी ने योगी सरकार में भी पिछली सरकार की ही तरह सबकी आंखों में राख झोंक रखी है.
हरदुआगंज में मजदूरों की मौत के जिम्मेदार वर्तमान में विद्युत् उत्पादन निगम के निदेशक तकनीकी बीएस तिवारी ने कासिमपुर में राख की कालिख से भी काली कमाई कर डाला था. ताज्जुब तो इस बात का है कि राख की इस काली कमाई की शिकायत विभाग के उच्च अफसरों से की जा चुकी है फिर भी पूरा विभाग इस पर मौन है. शुचिता और स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाली पार्टी के ईमानदार मुख्यमंत्री तथा अपनी कार्यप्रणाली से चर्चा में रहने वाले विभाग के चेयरमैन आलोक कुमार की नजर इन पर नहीं पड़ रही है या फिर पिछली सरकार की ही तरह ये भी बीएस तिवारी के खिलाफ कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. बीएस तिवारी के कारनामों की 150 पन्नों की फाईल खुद एमडी अमित गुप्ता के पास है.
पावर हाऊसों से निकलने वाली सूखी राख को टेंडर के माध्यम से सीमेंट बनाने वाली कंपनियों को विद्युत उत्पादन निगम बेचता है. इसी क्रम में राख को बेचने के लिए कासिमपुरा पावर हाउस ने यूनिट संख्या 7 की राख की नीलामी का टेंडर निकाला. जिसमें मंगलम सीमेंट अलीगढ़ को रेट 403 रुपये प्रति टन की दर से रेट फाईनल हुआ और उत्पादन निगम से अनुबंध साइन हुआ था. जिससे उत्पादन निगम के खाते में कुल 90 करोड़ दस वर्षों में आना था. मंगलम सीमेंट अलीगढ़ के पक्ष में आदेश निर्गत कर दिया गया और मंगलम सीमेंट ने अपना सीमेंट कारखाना अलीगढ़ में बनाना शुरू कर दिया.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 2 वर्ष बाद मंगलम सीमेंट ने तत्कालीन जीएम कासिमपुरा पावर हाउस बीएस तिवारी से संपर्क कर दरें ज्यादा होने की बात कही. आरोप तो यह भी है कि मंगलम सीमेंट के अधिकारियों ने बीएस तिवारी से दरें संशोधित करके बचे पैसे में हिस्सेदारी देने की बात भी किया. जिसके बाद बीएस तिवारी ने फिर से संशोधित आदेश पारित कर आदेशित कार्य का नीलामी टेंडर निकलवा दिया जिससे नीलामी की दर 206 रुपये प्रति टन आयी. जिससे निगम की 90 करोड़ की आय मात्र 46 करोड़ रह गयी. शेष बचे 44 करोड़ रुपये की बंदरबांट तिवारी की मदद से की गई.
चूंकि इस 44 करोड़ की बंदरबांट में तत्कालीन लखनऊ निदेशालय के सिविल मुख्य अभियंता ने निविदा की संस्तुतिनामा में उपरोक्त सभी बातों को वर्णित कर दिया. लेकिन अपने जुगाड़ और पैसे के बल पर बीएस तिवारी ने प्रतिकूल संस्तुति नामा के बावजूद निविदा पास कराने में सफल रहा. आज भी उसी आदेश के अनुसार कासिमपुर पावर हाउस के यूनिट संख्या 7 से राख की सप्लाई मंगलम सीमेंट को जारी है. जबकि यूनिट संख्या 8 और 9 से एस्टैक गाजियाबाद 750 रुपया प्रति टन उठा रहा है.
फिलहाल एस्टैक की वेबसाईट पर यह रेट 950 रूपये प्रतिटन दिखा रहा है. चूंकि यूनिट संख्या 8 और 9 से निकलने वाली राख की एस्टैक कंपनी को केंद्र सरकार के स्क्रेब बेचने वाले निगम MSTC ने नीलामी के माध्यम से की है इसलिए मार्केट रेट मिला. इसके विपरीत यूनिट संख्या 7 से निकलने वाली राख में बीएस तिवारी का ग्रहण लगा और यह राख मंगलम सीमेंट को 206 रूपये प्रति टन के हिसाब से दिया गया. बीएस तिवारी के इस बंदरबांट से निगम को सौ करोड़ के उपर का नुकसान होने का अनुमान है.
कासिमपुर के यूनिट संख्या 7 की दुबारा नीलामी में भी खेल करने का आरोप दूसरी प्रतिस्पर्धी कंपनी कनोडिया सीमेंट सिकंदराबाद बुलंदशहर ने लगाया था. कंपनी ने 206 रुपये के रेट निर्धारण में भी मिलीभगत का आरोप लगाया. कंपनी का कहना है कि उसके रेट 203 रुपये प्रति टन को बीएस तिवारी द्वारा लीक किया गया ताकि मंगलम सीमेंट को उससे थोडा अधिक रेट लगाकर दिया जा सके. इस तरह संशोधित उच्चतम रेट 206 रूपये का मंगलम सीमेंट द्वारा लगवाकर एक घंटे के भीतर ही डाल दिया गया और टेंडर मंगलम सीमेंट के पक्ष में गया.