#हरदुआगंज में हुई मौतों के जिम्मेदार बीएस तिवारी पर 2015 में दर्ज FIR की विवेचना शुरू.
#जांच अधिकारी हरदुआगंज पावर स्टेशन और BHEL जाकर कर चुके हैं पूछताछ.
#बीएस तिवारी की शिकायतों को लेकर आलोक कुमार व मंत्री से मिला भाजपा का प्रतिनिधिमंडल.
#प्रतिनिधिमंडल से अलोक कुमार ने दिया गोलमोल जवाब जबकि एमडी ने मिलने से किया इनकार.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : भाजपा नेताओं, पीड़ित परिवारों व अफसरनामा में चली खबर के दबाव के चलते आखिर एमडी उत्पादन निगम बीएस तिवारी पर जांच की कार्यवाही शुरू की जा चुकी है. अलीगढ़ के हरदुआगंज के थाना जवां के जांच अधिकारी दरोगा नीलेश ने इस संदर्भ में हरदुआगंज पावर स्टेशन के इंजीनियर से और बीएचईएल नोएडा जाकर पूछताछ भी कर चुके हैं. हालांकि फोन पर जांच अधिकारी द्वारा पूछताछ का कोई विवरण नहीं दिया गया लेकिन पूछताछ किए जाने की पुष्टि की गई है.
मिली जानकारी के मुताबिक़ बीएस तिवारी के भ्रष्टाचार को लेकर सबूतों के साथ मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के एक क्षेत्रीय नेता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल विद्युत विभाग के चेयरमैन आलोक कुमार और मंत्री श्रीकांत शर्मा से मिला,जबकि प्रबंध निदेशक अमित गुप्ता ने मिलने से मना कर दिया. प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात में चेयरमैन आलोक कुमार ने पहले प्रकरण की जानकारी होने से इनकार किया लेकिन साथ ही यह भी कहा की क्या मीडिया की खबरों को सबूत माना जा सकता है. लेकिन जब प्रतिनिधि मंडल द्वारा यह जवाब दिया गया कि मीडिया की खबरों में सबूत भी अटैच्ड है तो उनका कहना था कि इस पर जांच की जा रही है और उचित कार्रवाई की जाएगी. जबकि विभागीय मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना था की इस संदर्भ में कागज जांच हेतु भेजे जा चुके हैं.
ऐसे में यदि इस पूरे घटनाक्रम का अवलोकन करें और प्रतिनिधिमंडल से जिस तरह चेयरमैन आलोक कुमार ने पहले बीएस तिवारी के प्रकरण की जानकारी होने से इनकार किया और बाद में जांच कराने की बात कही. इससे साबित होता है की फिलहाल बीएस तिवारी को बचाने में उनका बड़ा योगदान चल रहा है. ऐसे में सवाल यह है क्या आलोक कुमार के रहते बीएस तिवारी के खिलाफ निष्पक्ष जांच हो पाएगी? क्या प्रकरण में दोषी को सजा मिलेगी और क्या हरदुआगंज के पीड़ित परिवारों को न्याय मिल पाएगा ? अब यह यक्ष प्रश्न बन चुका है.
बताते चलें कि अलीगढ के हरदुआगंज पावरहाउस में जिसके बीएस तिवारी जीएम थे 2 मई 2015 को एक भयंकर बिस्फोट हुआ था जिसमें करीब 04 बिजली वर्कर मारे गए थे और 15 गायल हुए थे. वर्करों की मौत के बाद तिवारी के खिलाफ FIR संख्या 91/2015 दर्ज हुई. इस दुर्घटना की जांच उपनिदेशक कारखाना आगरा संभाग द्वारा किया गया और बीएस तिवारी दोषी पाए गए थे.
निदेशक कारखाना ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि कारखाने में कार्यरत कर्मकार की समुचित सुपरविजन न होने, इन खतरनाक कार्यों के करने हेतु वर्क परमिट की व्यवस्था न होने और मशीनरी को को सुरक्षित रूप से मेंटेन न किये जाने के कारण यह दुर्घटना हुई है जिसकी सीधी जिम्मेदारी परियोजना के जीएम होने के नाते बीएस तिवारी और प्रबंधक नजमुल हसन की है. इस घटना में बीएस तिवारी ने कमीशन के खेल में वर्करों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया और 04 लोगों की मौत का जिम्मेदार बना. जांचोपरान्त निदेशक कारखाना एवं श्रम आयुक्त शालिनी प्रसाद ने प्रमुख सचिव श्रम को 07 अक्टूबर 2015 को पत्र लिखकर बीएस तिवारी पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी. चूंकि यह दोनों ही लोकसेवक की परिधि में आते थे इसलिए विभागीय प्रमुख सचिव की अनुमति आवश्यक थी लेकिन तब भी बीएस तिवारी द्वारा अपने पैसे और प्रभाव के बल पर मामले को दबा दिया गया था.