#पहले CMD रहे अलोक कुमार की अध्यक्षता में NASH PUMP की खरीद पर गवर्निंग बाडी ने लगाया था रोक.
#अलोक कुमार ने जिस NASH VACUUM PUMP की खरीद पर लगाया था रोक ,उसको अब मिल रही मंजूरी ?
#हर इकाई यानी मशीन पर ऎसे दो-दो पंप हैं जिनमे एक चलता है और दूसरा रेस्ट में रहता है.
#हरदुआगंज,पारीछा को मिला कर 4 पम्प रिजर्व में, तो पांचवें की खरीद से खड़ा हो रहा सवाल.
#पिछले 15 सालों में कोई ऐसी स्थिति भी नहीं आयी कि NASH PUMP की खरीद किया जाय.
#यदि यह पंप इतना जरूरी था तो बीएस तिवारी ने हरदुआगंज के जीएम रहते क्यूँ नहीं खरीदा?
#क्यूंकि तब इस फाईल को मंजूरी के लिए निदेशालय लखनऊ भेजना पड़ता और सवाल खड़ा होता.
#अब बीएस तिवारी स्वयं निदेशक के रूप में उक्त फाईल को मंजूरी दे सकते हैं.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : बिजली विभाग के निदेशक तकनीकी बीएस तिवारी ने अपने चेयरमैन आलोक कुमार को भी शीशे में उतार लिया है. तिवारी के ईश्क का जादू पावर कारपोरेशन चेयरमैन आलोक कुमार के सर इस कदर चढ़ कर बोल रहा है कि वो कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं. जिस आलोक कुमार ने कभी बिजलीघरों के लिए नैश वैक्यूम पंप की खरीद पर सवाल उठाते हुए रोक लगायी थी वही आज बीएस तिवारी प्रेम में उसे हरी झंडी दे रहे हैं.
निदेशक तकनीकी विद्युत् उत्पादन निगम बीएस तिवारी के कारनामों की लिस्ट दिन ब दिन बढती जा रही है और लगभग नित नए कारनामे उजागर हो रहे हैं. बिद्या सागर तिवारी का कारनामा पिछली अखिलेश सरकार से लेकर वर्तमान की योगी सरकार तक कायम है. अखिलेश राज में मनमानी तरीके से धन उगाही करने वाले बीएस तिवारी अब योगी आदित्यनाथ के राज में भी अपनी मनमानी चलाने में लगे हैं और NASH VACUUM PUMP की खरीद के खेल से मोटा वारा-न्यारा करने की तैयारी में हैं. सबसे गंभीर बात यह है कि NASH VACUUM PUMP की खरीद का यह तानाबाना उन्हीं अलोक कुमार के सामने बुना जा रहा है, खुद जिनकी अध्यक्षता में वर्ष 2013 में गवर्निंग बाडी ने इस पर रोक लगाया था.
अलोक कुमार की अध्यक्षता में वर्ष 2013 में बनी गवर्निंग बाडी की बैठक का मिनट बुक……
ताजा मामला NASH के VACUUM PUMP की खरीद को लेकर है, जिसमें बीएस तिवारी द्वारा लम्बा खेल किये जाने की जानकारी सामने आयी है. जबकि इसी NASH VACUUM PUMP की खरीददारी को वर्ष 2013 में गवर्निंग बाडी ने रोक लगाया था जिसके अध्यक्ष तब CMD रहे अलोक कुमार थे. और अब वही आलोक कुमार विभाग के चेयरमैन हैं. ऐसे में यह साबित होता है कि अखिलेश राज में उत्पादन निगम को घर की खेती समझने वाले बीएस तिवारी का सिक्का योगीराज में भी अलोक कुमार की सरपरस्ती में कायम है.
पढ़िए गवर्निंग बाडी की बैठक के मिनट बुक का बिंदु नम्बर 9……….
जानकारों का मानना है कि इस पम्प की खरीद की कोई जरूरत ही नहीं है और न ही पिछले 15 वर्षों में ऐसी कोई स्थिति सामने आई है. और यही वजह रही होगी जब 2013 में गवर्निग बाडी ने अपनी बैठक में VACUUM PUMP खरीद को स्थगित किया था. इसके अलावा सवाल यह भी है कि यदि यह पंप इतना आवश्यक था तो बीएस तिवारी ने हरदुआगंज पावर स्टेशन के जीएम रहने के दौरान क्यों नहीं खरीदा? इसमें भी बीएस तिवारी की सोची समझी रणनीति रही, तब इसकी फाईल को मंजूरी के लिए निदेशालय लखनऊ को भेजना पड़ता और अब ये स्वयं निदेशक के रूप में उक्त फाईल को मंजूरी दे सकते हैं.
बताते चलें कि हर इकाई यानी मशीन पर ऎसे दो-दो पंप हैं जिनमे एक चलता है और दूसरा रेस्ट में रहता है. हरदुआगंज और पारीछा को मिला कर ऎसे 4 पम्प रिजर्व में है तो पांचवा खरीदने की क्या आवश्यकता है. इसके अलावा निगम इन पम्पों के मेंटीनेंश के लिए उपकरण भी खरीद कर रखता है कि यदि एक खराब हो तो उसकी मरम्मत किया जा सके और अतिरक्त के रूप में एक VACUUM PUMP हमेशा उपलब्ध रहे. और मैंटेनेंस का काम भी उसी कंपनी को दिया जाता हैं जो उस पंप का मूल निर्माता है.
फिर भी इसे बीएस तिवारी का दुस्साहस ही कहा जा सकता है कि जरूरत न होने और गवर्निग बाडी की रोक के बाद भी पुनः उन्होंने इसकी खरीद प्रक्रिया को पिछले वर्ष शुरू कर दिया. फिलहाल करीब एक साल पहले से शुरू हुई इस खरीद प्रक्रिया का प्रपोजल तैयार किया जा चुका है और कोटेशन भी आ चुका है लेकिन मामला अभी तक लंबित है, फाईनल नहीं किया जा सका है. सूत्र बताते हैं कि चूंकि सारा मामला पूर्णतया गलत है और निगम को चूना लगाने वाला है, इसलिए अभी बीएस तिवारी इसको अंजाम तक पहुंचाने में हिचक रहे है, और पूरे प्रकरण को कीमत की सौदेबाजी में अटका कर लम्बा खींच रहे हैं व उचित अवसर की तलाश में हैं. अन्यथा जब सब कुछ हो गया है तो खरीद में इस देरी का और कोई मतलब नहीं है.
गौरतलब है कि पिछली सरकार में कारनामे करने वाले बीएस तिवारी योगिराज में भी अभी तक “मेसर्स आईएल पलक्कड़” को बिना निविदा के “ओबरा” और “अनपरा “बी”में काम दिया, “अनपरा “डी” में भी इस तरह की कवायद जारी थी जिसको“अफसरनामा” में खबर चलने के बाद रोक दिया गया. इसके अलावा मेसर्स श्यामा बिल्ड्कान को फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र होने के बावजूद करोड़ों का काम दिया. श्यामा बिल्ड्कान को जांच में दोषी पाए जाने के बाद ब्लैक लिस्ट करने की फाईल बीएस तिवारी के पास है चूंकि कंपनी श्यामा बिल्ड्कान बीएस तिवारी के रिश्तेदार की है इसलिए उसको ब्लैकलिस्ट नहीं कर रहे हैं और फाईल को दबाये हुए हैं.
कंपनी श्यामा बिल्डकॉन पर कुर्बान बिजली निदेशक बीएस तिवारी ने जमकर पीटा नामा