#एटा में महेंद्र सिंह तोमर को नहीं खरीद पाए दलाल तो तिर्वा में अरुण सिंह को.
#लाखों की घूस ठुकरा, अपने काम को अंजाम तक पहुंचाकर मिशाल पेश किया अरुण और महेंद्र ने.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : लोकसेवक का पहला कर्तव्य जनता की सेवा और उसकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना है. कुशासन के इस दौर में उत्तर प्रदेश के कुछ अधिकारी शुचिता व कर्तव्य निष्ठा की नई इबारत लिख रहे हैं. एसडीएम अरुण कुमार सिंह और उपजिलाधिकारी ज्वाइंट मजिस्ट्रेट महेंद्र सिंह तंवर उन्हीं अधिकारियों मे से एक हैं, जिन्होंने जनता का विश्वास कार्यपालिका मे पुख्ता किया है. सरकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने और शासन की मंशा के अनुरूप स्वच्छ प्रशासन देने के लिए इन दो अफसरों ने एक मिशाल पेश किया है. अपनी कार्यप्रणाली से चर्चा में आये ये अफसर बिना लालच और दबाव में आये अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वाह कर रहे हैं. मूलतः हरियाणा के रहने वाले महेंद्र सिंह तंवर उत्तर प्रदेश कैडर के 2015 बैच के IAS अफसर हैं. उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के रहने वाले अरुण कुमार सिंह पीसीएस अफसर हैं.
हालिया इन दोनों अफसरों की जो कार्यप्रणाली चर्चा में रही उसमे अरुण कुमार सिंह का करीब दस महीने पहले तिर्वा में तैनाती के दौरान पकडे गए खनन के ट्रकों का रहा या फिर अभी अपनी लखीमपुर में तैनाती के दौरान बिना किसी शिकायत के खुद के नजर में पोलिथीन का उपयोग होते देख टेम्पो पर बैठकर रंगेहाथ पकड़ने का रहा, लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा. श्री अरुण सिंह ने पटरी पर अतिक्रमण कर बैठे दुकानदारों को बिना किसी विरोध के अपनी सूझबूझ से हटाया और पालीथीन इस्तेमाल करने वाले दुकानदारों से 8000 जुर्माना भी वसूला. कहते हैं सत्ता हंनक से चलती है ऐसे में अरुण सिंह का यह कदम उनकी कार्यशैली को बताता है. अरुण ने बातचीत में बताया कि अक्सर देखने में आता था कि लोग पोलिथीन में सामान लेकर आते जाते थे. जब इसको रोकने के लिए जाते तो सरकारी गाडी, गार्ड आदि देखकर लोग पोलिथीन को छुपा देते थे. ऐसे में मैंने टैम्पो से जाकर रंगे हाथ पकड़ने का फैसला लिया और कामयाब रहा. रंगे हाथ पकडे जाने से लोगों में नाराजगी भी नहीं रही और डर भी पैदा हुआ. अफसरनामा की पड़ताल में जिसका असर अब देखने को भी मिल रहा है पटरी से काफी हद तक अतिक्रमण भी गायब है और पोलिथीन के इस्तेमाल में भी कमी आई है. अरुण सिंह का कहना है कि अब मेरा फोकस पोलिथीन की सप्लाई करने वालों पर है और जल्द ही इनको भी पकडकर कार्यवाही की जायेगी.
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कुछ इसी तरह का काम एटा के उपजिलाधिकारी ज्वाइंट मजिस्ट्रेट महेंद्र सिंह तंवर का भी रहा. श्री तंवर ने करीब एक महीने पहले एटा जनपद मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर निर्माणाधीन जवाहर तापीय परियोजना के लिए आ रहे सरिया में प्रतिदिन 10 लाख की सरिया चोरी किए जाने का सनसनीखेज मामले का खुलासा किया. एटा के उप जिलाधिकारी द्वारा छापामारी में 10 चालक-परिचालकों तथा 14 ट्रकों को जब्त किया गया. इस दौरान महेंद्र सिंह तंवर को मैनेज करने की तमाम कोशिश भी की गयी जिसकी पुख्ता जानकारी अफसरनामा के पास है. श्री तंवर को मामले को दबाने के लिए लाखों रुपयों का आफर भी सिंडिकेट द्वारा दिया गया लेकिन उन्होंने सब कुछ दरकिनार करते हुए ऐसे लोगों से मिलना तो दूर आफिस से भगा दिया. जिसका परिणाम यह रहा कि इसी जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर ही लाख बचाने के बावजूद बिजली विभाग परियोजना के GM रहे US Gupta पर कार्यवाही करनी पड़ी और उसको झांसी के पारीछा परियोजना में अटैच करना पडा.
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अफसरनामा की पड़ताल में एक बात सामने आयी कि जिस बेलगाम अफसरशाही को लेकर परेशान है योगी सरकार उसमें कुछ ऐसे अफसरों की तैनाती और उनकी कार्यशैली सरकार के सामने नजीर बन रही है और बाकियों के लिए उदाहरण. “अफसरनामा ” का मानना है कि आज जहां अफसर अपने एसी कमरे से बाहर निकलना नहीं चाहते वहीँ ऐसे अफसरों की इस तरह की कार्य प्रणाली काबिले तारीफ है. सरकार को चाहिए कि ऐसे ईमानदार अफसरों को सम्मानित करके एक नजीर पेश करे और अफसरों की फील्ड में तैनाती में उनके कार्यों की पूरी स्कैनिंग की जाय.