#सीपीएम नेता के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय का विवाद अभी नहीं हुआ ख़त्म, विधायिका को अपनी भूमिका निभाने का वक्त आ गया है.
# विपक्ष का महाभियोग की चर्चा या सीजेआई पर सियासी दबाव बनाने की राजनीति
अफसरनामा ब्यूरो
दिल्ली : बीते दिनों देश की न्यायपालिका में उठा एक विवाद समूचे देश में एक गंभीर चर्चा का विषय रहा और समूचा पक्ष व विपक्ष इस पर कुछ कहने से बचता रहा. पिछले दिनों देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा मीडिया के सामने आकर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्यशैली और सुप्रीमकोर्ट प्रशासन पर सवाल खडा किया तो देश में यह एक चिंतन का विषय बना. केंद्र सरकार ने भी इस प्रकरण से खुद को दूर ही रखा और किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया. खुद प्रधानमन्त्री मोदी का कहना है कि सरकार और दलों को इससे दूर रहना चाहिए. लेकिन अब विपक्ष इस विषय को लकर गंभीर चिन्तन कर रहा है. विपक्ष का मानना है कि विधायिका का यह संकट अभी ख़त्म नहीं हुआ है और अब विधायिका को अपनी भूमिका निभाने का वक्त आ गया है.
सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के जजों के इस गतिरोध से विपक्ष में आगामी बजट सत्र में सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर चर्चा जरूर शुरू हो गयी है. सीपीएम के महासचिव के अनुसार लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का यह विवाद अभी तक पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है हम विपक्षी दल आपस में चर्चा कर रहे हैं कि क्या आगामी बजट सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है? जानकारों की मानें तो महाभियोग लाने का यह प्रस्ताव सीताराम येचुरी ने ही विपक्ष के सामने रखा और आम सहमती बनाने की कोशिश की लेकिन बात अभी साफ़ नहीं हो पायी है कि महाभियोग लाया जाय या नहीं. चूंकि लोकसभा में विपक्ष के पास कोई बहुमत नहीं है और राज्य सभा में यह बिना कांग्रेस के संभव नहीं है और कांग्रेस ने अपना रुख अभी स्पष्ट नहीं किया है. महाभियोग प्रस्ताव किसी भी जज के खिलाफ संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है. लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सदस्यों के हस्ताक्षर युक्त प्रस्ताव होना चाहिए तो वहीँ राज्यसभा में इस प्रस्ताव के लिए सदस्यों की संख्या 50 होनी चाहिए.
दरअसल भविष्य में कई अहम मामलों आधार, जस्टिस लोया का मामला और रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद व अन्य की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है ऐसे में महाभियोग के द्वारा विपक्ष का मकसद सीजेआई दीपक मिश्रा पर दबाव बनाना है. अयोध्या मामले की सुनवाई टालने को लेकर कांग्रेसी नेता और वकील कपिल सिब्बल एक लम्बी बहस कर चुके हैं. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस इसकी सुनवाई चुनाव बाद कराना चाहती है जबकि अयोध्या मामले में आगामी 6 फरवरी से सुनवाई शुरू होनी है और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा अब इस सुनवाई को आगे टालने के मूड में नहीं हैं.