#यूपी की बिगडती क़ानून व्यवस्था से अब योगी पर उठ रहे सवाल
# मुख्यमंत्री के साथ ही साथ गृहमंत्री होने के नाते कानून व्यवस्था योगी की पहली जिम्मेदारी
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : चुनाव पूर्व क़ानून व्यवस्था की दुहाई देने वाली बीजेपी की योगी सरकार अब खुद सवालों के घेरे में है. सूबे में रोज हो रही ह्त्या,डकैती,बलात्कार तथा साम्प्रादायिक हिंसा के चलते बिगडती क़ानून व्यवस्था से अब मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पर भी ऊँगली उठने लगी है. वजह भी साफ़ है कि योगी सूबे के मुखिया होने के साथ ही साथ गृहमंत्रालय के भी मुखिया हैं ऐसे में कानून व्यवस्था उनकी सीधी जिम्मेदारी है. सपा-बसपा के शासन को जंगलराज बताने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ ही साथ गृहमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की इस बिगड़ी कानून व्यवस्था को ठीक करने में नाकाम साबित हो रहे हैं. प्रदेश की सुरक्षा तो दूर खुद राजधानी भी सुरक्षित नहीं रह गयी है.
अखिलेश यादव की सरकार में सीएम और डीजीपी आवास के बीच नाले में एक बच्ची के साथ बलात्कार और ह्त्या की निंदा करने वाली भाजपा सीएम आवास से करीब उतनी ही दूरी पर खुद उनकी ही पार्टी के पूर्व विधायक के पुत्र की कसमांडा हाउस पर सरेआम ह्त्या किये जाने पर चुप है. राजधानी से सटे काकोरी, मलीहाबाद जैसे इलाके चम्बल बन चुके हैं. अखिलेश यादव के शासन में मुजफ्फरनगर काण्ड हुआ तो अब योगी के शासन में कासगंज की घटना उसकी याद दिला रही है. इसके अलावा जिन अधिकारियों का वास्ता सीधे जनता से है वे आज भी अपनी पुरानी कार्यप्रणाली से बाहर नहीं निकल पाए हैं और धन उगाही के तमाम उदाहरण सामने आते रहे हैं. फिलहाल कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे महकमे का आलम यह है कि जिस अधिकारी को सराहनीय कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र दिलवाया जाता है, उसी को अगले ही दिन अवैध खनन के मामले में सस्पेंड किया जाता है.
कानून व्यवस्था का राग अलापने वाली पार्टी की सरकार ने जब सूबे में सत्ता संभाली तो लोगों को यह उम्मीद थी की इस दिशा में कुछ सुधार अवश्य होगा लेकिन प्रदेश में जिस तरह से ह्त्या, डकैती,अपहरण आदि का ग्राफ बढ़ा है और उसपर काबू पाने में नाकाम प्रशासन से अब लोगों में निराशा का माहौल पनपने लगा है तथा कानून व्यवस्था पर ऊँगली उठने के साथ ही साथ चर्चाएँ आम होने लगी है. जानकारों का मानना है कि सूबे में हो रही इस तरह की घटनाओं की सीधी जिम्मेदारी गृहमंत्री का भी कार्यभार संभाल रहे खुद मुख्यमंत्री की है. सीएम को खुद आगे आते हुए इस गंभीर घटना पर लोगों को आश्वस्त करना चाहिए और कोई ऐसा मैकेनिज्म विकसित करने के बारे में सोचना चाहिए जिससे इस समस्या का समाधान किया जा सके.
आज प्रदेश में हर तरफ से ह्त्या, डकैती, बलात्कार, अपहरण तथा साम्प्रदायिक घटनाएँ समाचार पत्रों की सुर्खियाँ आम हैं. इस तरह की बढ़ी आपराधिक घटनाएं अब उनपर भी सवाल खड़ी कर रही हैं कि जो ग्यारह महीने पहले इसी क़ानून व्यवस्था का सवाल उठा रहे थे, आज ग्यारह महीनों में भी उसको ठीक नहीं कर सके. कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे महकमे के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस तरह की ताबड़तोड़ डकैती की घटनाओं ने पुलिस का मनोबल कमजोर कर रहा है और सरकार को इसके लिए गंभीर चिंतन करते हुए कुछ ठोस उपाय करने चाहिए.