#500 मेगावाट का उत्पादन करने वाली यूनिट 4 की टर्बाइन मशीन में खराबी, एलपी प्लेट टूटी, मशीन चेन्नई वर्कशॉप में.
#मशीन को पुनः चालू होने, वैकल्पिक व्यवस्था न होने में लगेगा लम्बा समय, 2 करोड़ प्रतिदिन उत्पादन का और मेंटिनेन्स की लागत का सीधा नुकसान.
#यूनिट 7 की खराबी से नहीं लिया सबक, उत्पादन और मेंटिनेन्स के नुकसान से सरकारी खजाने की चपत का जिम्मेदार कौन ? जांच जरूरी.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के अनपरा, सोनभद्र में बिजली उत्पादन की 2 इकाइयां ठप हो गई हैं. जिससे आने वाले समय में बिजली की समस्या खड़ी हो सकती है. सोनभद्र में खराब इन दो यूनिटों में एक 210 मेगा वाट की यूनिट जोकि ब्वॉयलर ट्यूब की लीकेज की वजह से बंद हो गई है जबकि दूसरे में बड़ी तकनिकी खामियां हैं. जानकार बताते हैं कि किसी यूनिट का ब्वायलर फटने से बंद होना, कोई बड़ी बात नहीं है यह होता रहता है. लेकिन यूनिट नंबर 4 जो कि 500 मेगावाट की है इसमें आई खराबी जरूर चिंताजनक है जोकि आम जनता के साथ ही सरकारी खजाने की सेहत के लिए भी ठीक नहीं है.
“अफसरनामा” को मिली जानकारी के मुताबिक़ 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने वाली यूनिट 4 के मेंटेनेंस को लेकर लापरवाही की बात सामने आ रही है. अब यह लापरवाही यूनिट के अफसरों के स्तर की है या फिर निदेशालय स्तर की फिलहाल यह कह पाना मुश्किल है. लेकिन लापरवाही और नजरअंदाजजी का ही परिणाम इस यूनिट की बर्बादी की वजह बताई जा रही है जिससे सरकारी खजाने को करीब 02 करोड़ रूपया प्रतिदिन के हिसाब से नुकसान हो रहा है. और इसके मेंटेनेंस में करीब 25 से 30 करोड़ का खर्चा भी आना बताया जा रहा है. समय से मेंटेनेंस का काम न होने से प्रथम दृष्टया जांच में जो चीजें भाई बाहर आई हैं उसमें टरबाइन के अंदर की एलपी प्लेट जगह-जगह से टूट गई है.
फिलहाल एयर टरबाइन मशीन जोकि जापान की तोशिबा कंपनी की है इसे चेन्नई मेंटेनेंस के लिए भेजा जा चुका है. जिसको किसी भी सूरत में मई-जून से पहले ठीक नहीं किया जा सकता है. यदि चेन्नई में भी यह ठीक नहीं हो पाती है तो इसको तोशीबा कंपनी को अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट जापान ले जाना पड़ेगा जिसमें एक लंबा समय लगने की बात कही जा रही है. इस तरह इस पूरी प्रक्रिया में एक लंबा समय लगना तय बताया जा रहा है. समय ज्यादा लगने से उत्पादन का नुकसान और मेंटिनेंस का खर्चा सीधे सरकार की जेब पर पड़ेगा. जबकि समय पर देखभाल और मेंटिनेंस से इससे बचा जा सकता था. अब इसमें लापरवाही किस स्तर से हुई यह जांच का विषय है. और क्या सरकार इस प्रकरण की गंभीरता से जांच करा कर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए सरकारी खजाने की छति को जिम्मेदारों से रिकवर करती है, यह तो वक्त बतायेगा.
इस तरह से प्रकरण के जिम्मेदार अफसरों पर भी जवाबदेही तय करते हुए कार्यवाही किया जाना जरूरी है और सरकारी खजाने के नुकसान की जिम्मेदारी तय करते हुए रिकवरी भी होना आवश्यक है ताकि सरकार के कार्यशैली के पारदर्शिता बनी रहे. बताते चलें अनपरा में भी कुछ इसी तरह की एक घटना कुछ साल पहले यूनिट 7 को लेकर घटित हुई थी जिसको कि कुछ दिन के लिए बंद करना पड़ा था. बाद में इसको भारी मेंटिनेंस खर्च कर किसी तरह चालू किया जा सका था. कुछ ऐसी ही स्थिति आज सोनभद्र की यूनिट 4 में देखने को मिल रही है. और एकबार फिर भारी-भरकम रकम से मेंटेनेंस करा कर किसी तरह फिर से चालू कर अफसर खुश होते हैं.
इस विषय पर सीजीएम अनपरा आर सी श्रीवास्तव का कहना है कि यह कोई नयी घटना नहीं है, मशीन की एनुअल ओवेर्हालिंग (Annual Overhaling)उसका रूटीन का काम है जोकि 4-5 साल में एकबार होता है. जिसके कारण 4 नम्बर यूनिट बंद हुई है और टर्बाइन मशीन को चेन्नई मेंटिनेंस के लिए भेजा गया है. फिलहाल दूसरी यूनिट को पुनः चालू करने का काम जारी है. लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं था या फिर वह देना नहीं चाह रहे थे कि आखिर टर्बाइन मशीन को चेन्नई भेजने की जरूरत क्यों पड़ी ? इसके बैकअप की क्या व्यवस्था थी और अभी इसको रिपेयर होने में कितना समय लगेगा. 500 मेगावाट की इस यूनिट के बंद होने से उत्पादन और इसपर लगने वाले खर्च का आंकलन अभी सीजीएम के पास नहीं था. उनका कहना था कि इसको रिपेयर होकर पुनः चालू होने में वक्त लगेगा.