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यूपी के कैलाशनाथन बने विशेष सचिव गोपन कृष्ण गोपाल, बड़ा सवाल सरकार और सिस्टम किसी एक अफसर के भरोसे कब तक

#विशेष सचिव गोपन, कृष्ण गोपाल का विकल्प नहीं ढूंढ पायी योगी सरकार, 2014 से लगातार मिल रहा सेवा विस्तार.             

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : 2017 से सेवा विस्तार और पुनर्नियुक्ति पर रोक लगाने में जुटी योगी सरकार पहले तो बड़े पैमाने पर सपा सरकार में सेवा विस्तार/पुनर्नियुक्ति पाए अफसरों को बहार का रास्ता दिखाया और हाल ही में सूबे की सबसे बड़ी कुर्सी मुख्य सचिव पद पर अपने पसंदीदा अफसर को बैठाकर प्रदेश की अफसरशाही को एक स्थायी और स्वतंत्र मुखिया दिया. लेकिन योगी सरकार प्रयास के बाद भी विशेष सचिव गोपन कृष्ण गोपाल का विकल्प ढूढने में नाकाम रही है. योगी पार्ट-I में इसकी कोशिश भी की गयी लेकिन असफल रही. फ़िलहाल विशेष सचिव गोपन की कुर्सी पर 1998 से लगातार 1980 बैच के बाँदा निवासी पीसीएस अफसर कृष्ण गोपाल तैनात हैं.  

खबरों के मुताबिक योगी पार्ट-I में विशेष सचिव गोपन कृष्ण गोपाल के विकल्प के लिए सरकार द्वारा प्रयास किया गया और उनके साथ 2 पीसीएस अफसरों को भी लगाया गया लेकिन वह वहां टिक नहीं सके. और आज तक विशेष सचिव गोपन कृष्ण गोपाल का विकल्प योगी सरकार को नहीं मिल सका है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सरकार और सिस्टम किसी एक अफसर के भरोसे कब तक चलेगा जब तक उसकी दूसरी लाइन तैयार नहीं होगी. 1998 से लगातार गोपन जैसे अहम् विभाग में विशेष सचिव पद की जिम्मेदारी निभाने वाले कृष्ण गोपाल निष्पक्ष कैसे बने रहे. जबकि अफसरशाही कई मौकों पर योगी सरकार में भी उसका सरदर्द बनी रही. योगी पार्ट-I में सत्ताशीर्ष पर बैर्ठे कई अफसरों पर विपक्ष से मिले होने का आरोप भी लगा था. 

प्रदेश में नयी सरकार के बनने पर नए सिरे से अफसरों की स्कैनिंग और तैनाती किये जाने की रवायत वर्षों से चली आ रही है. इसी क्रम में वर्ष 2017 में जब योगी सरकार सत्ता में आयी तो पिछली सरकार में तैनात और सेवाविस्तर/पुनर्नियुक्ति पाए अफसरों की स्कैनिंग शुरू किया और बड़ी संख्या में सेवाविस्तर/पुनर्नियुक्ति पाए अफसरों को पुनः सेवाविस्तर/पुनर्नियुक्ति नहीं दिया. लेकिन विशेष सचिव गोपन कृष्ण गोपाल का विकल्प ढूंढ पाने में सरकार आज तक असफल रही है. सूत्रों के मुताबिक अब एकबार फिर से उनकी पुनर्नियुक्ति किये जाने की तैयारी है.

बताते चलें कि अगस्त-2014 में सेवानिवृत हुए पीसीएस सेवा के अधिकारी कृष्ण गोपाल जनवरी 1998 से विशेष सचिव गोपन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. वह कैबिनेट संबंधी प्रस्तावों के परीक्षण और उससे जुड़ी कार्रवाई के विशेषज्ञ माने जाते हैं. पहले बसपा फिर सपा और अब भाजपा सरकार में इस पद पर तैनात कृष्ण गोपाल का विकल्प अभी तक सरकार को नहीं मिल सका है. भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद उनके विकल्प में दो अफसरों को तैयार करने की कोशिश की थी और इन अफसरों को कुछ दिन उनके साथ रहकर काम सीखने का विकल्प भी दिया गया, लेकिन उन अफसरों ने इस काम में रुचि नहीं दिखाई. इसीलिए कृष्ण गोपाल का कार्यकाल नियमित अवधि के लिए लगातार बढ़ाया जाता रहा है.  

गौरतलब है कि 2017 में सपा सरकार के चहेते अफसरों की योगी सरकार ने लिस्ट तैयार करवाई थी. सेवा में रहकर हुक्मरानों के मन मुताबिक करने की हद तक जाने और बाद में सरकार से उसकी कीमत पुनर्नियुक्ति व सेवा विस्तार के रूप में पाने वाले अफसरों की विदाई के लिए योगी सरकार ने लिस्ट तैयार कराया जिनमें करीब 76 अफसरों के नाम सामने आए थे. 2017 तक पुनर्नियुक्ति वाले प्रमुख अधिकारियों में कृष्ण गोपाल, विशेष सचिव, गोपन विकल्पहीनता की दशा में अभी तक कायम हैं. जबकि योगी सरकार ने बड़ी संख्या में ऐसे अफसरों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है. इनमें पूर्व में तैनात रहे एसपी सिंह, सचिव, नगर विकास, एसएन श्रीवास्तव, विशेष कार्याधिकारी, मुख्यमंत्री, आरडी पालीवाल, विशेष कार्याधिकारी, मुख्यमंत्री, एसके रघुवंशी, सचिव, नागरिक उड्डयन, मुकेश मित्तल, सचिव, वित्त, अजय अग्रवाल, सचिव, वित्त वेतन आयोग, हरिशंकर त्रिपाठी, विधायी विभाग, लहरी यादव, विशेष सचिव, वित्त, मणि प्रसाद मिश्र, सचिव, गृह, उमाशंकर सिंह, ओएसडी, नगर विकास, श्रीचंद द्विवेदी, ओएसडी, वाणिज्य कर विभाग और डॉ. वीएन त्रिपाठी, महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा का नाम शामिल है.        

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