लखनऊ : रविवार को हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में लोकसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा के बजाय दूसरे दलों पर चिंतन ज्यादा दिखा. कयास लगाये जा रहे थे कि बैठक में लोकसभा में हुई पराजय की रिपोर्टों से निकले निष्कर्षों पर चर्चा होगी लेकिन मामला इसके उल्ट रहा. भविष्य के लिए कोई ठोस कार्ययोजना के बजाय भाजपा के जनाधार को फिर 2014, 2017, 2019 और 2022 की स्थिति में पहुंचाने के लिए बैठक में शामिल नेताओं द्वारा केवल संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम किया गया. आंकड़ों के मकड़जाल से हार पर परदा डालने की कोशिश रही और लच्छेदार भाषण से काम चलाया गया.