#पीपीएस सेवा के ऐसे 47 आईपीएस अफसरों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से मिलेगा ज्येष्ठता का लाभ
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारियों का प्रयास रंग लाया. 2009 में मायावती के मुख्यमंत्रित्वकाल में इन अधिकारियों के प्रमोशन का नया नियम पारिणामिक ज्येष्ठता का नया नियम बनाया था. जिसका विरोध करते हुए ये अधिकारी उच्चतम न्यायालय गए और उच्चतम न्यायालय ने 2012 में माया सरकार के इस निर्णय को निरस्त करते हुए पुरानी प्रमोशन की व्यवस्था बहाल रखी. इस बीच 2009,2010 और 2011 बैच के अधिकारियों की होने वाली डीपीसी की बैठक नहीं हुई.
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से जहां अगले महीने पीपीएस सेवा से प्रमोट हुए 13 अफसरों को आईपीएस सेवा में डीआईजी रैंक मिल जाएगा तो वहीं पुलिस विभाग में डीआईजी रैंक के अफसरों की कमी भी दूर हो जायेगी. फिलहाल प्रदेश में डीआईजी रैंक के 40 अफसरों के सापेक्ष कुल 19 डीआईजी रैंक के अफसर मौजूद हैं. जिसके चलते कई रेंज में आईजी स्तर के अफसर तैनात किये गए हैं. सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से 2005 और 2006 बैच के प्रमोट हुए पुलिस अफसरों को जल्द ही एक साल ज्येष्ठता का लाभ मिलने जा रहा है. जिनमें 2005 बैच के प्रमोशन पाए 13 आईपीएस अधिकारियों को 2004 बैच और 2006 बैच के 34 आईपीएस अफसरों को अब 2005 बीच का माना जाएगा.
प्रांतीय पुलिस सेवा से प्रोन्नत हुए इन अफसरों में से आगामी मार्च में करीब 13 अफसरों के डीआईजी बनने की संभावना है. 2004 बैच के आईपीएस अधिकारियों का इसी वर्ष प्रमोशन हुआ है इसलिए इनके डीआईजी बनने की संभावना पूरी है. डीआईजी बनने वाले पीपीएस सेवा के इन अफसरों के नाम हैं :- रातान्कांत पाण्डेय, रामबोध,कविन्द्र प्रताप सिंह,सुनील कुमार सक्सेना,सुभाष सिंह बघेल,राकेश शंकर,उमेश श्रीवास्तव,सत्येन्द्र कुमार सिंह,विक्रमादित्य सचान,दिनेश चन्द्र दूबे,मृगेंद्र सिंह,जीतेन्द्र कुमार शुक्ला और पियूष श्रीवास्तव का नाम शामिल है.
दरअसल 2012 में सता परिवर्तन हुआ और बसपा की जगह सूबे में सपा की सरकार अखिलेश यादव के नेतृव में बनी और सीएम अखिलेश यादव ने 2009 से 2012 तक के बैच की डीपीसी एक साथ कर दी थी. इसी बीच केंद्र सरकार ने भी पुलिस सेवा, प्रशासनिक सेवा आदि में प्रमोशन के लिए ज्येष्ठता के नियमों में संशोधन कर दिया और केंद्र सरकार द्वारा प्रमोशन के लिए ज्येष्ठता के इस बदले नियम को भी अखिलेश यादव सरकार द्वारा की गयी 4 बैच की डीपीसी में भी लागू कर दिया गया. चूंकि मायावती शासन में तीन साल डीपीसी को बैठक नहीं हुई जिसके कारण सबसे ज्यादा नुकसान 2005 और 2006 बैच के अफसरों को हुआ. इसके लिए इन अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करते हुए अपील की कि उनकी ज्येष्ठता 2012 से पहले के नियमों के अनुसार किया जाय जिसको न्यायालय ने स्वीकार करते हुए इनके पक्ष में फैसला दिया.