जीवनव्रती खन्ना के खींसे से निकला खानपान का ठेकेदार पार्ट -II
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : संघ के जीवनव्रती और भाजपा सरकार के कद्दावर मंत्री सुरेश खन्ना के कैंटीन प्रेम ने आज विधानसभा में हंगामा मचा दिया. सदन के अन्दर जहां सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के विधायक कैंटीन की अव्यवस्था,ऊँचे दाम, फीके पकवानों पर सरकार को घेरते नजर आये वहीँ विधानसभा की वीवीआईपी कंटीन में घोर लापरवाही के चलते आग भी लग गयी. खन्ना के ख़ास शाहजहाँ पुर के चावल कारोबारी की सर्परस्ती में चल रही विधानसभा की वीवीआईपी कैंटीन में आज शार्ट सर्किट से आग भी लग गयी और दम घोटूं धुएं के चलते खाना खा रहे विधायक और पत्रकारों में भागदद मच गयी.
विधानसभा में खन्ना के ख़ास के संचालन में चल रही कंटीन की बदहाली का मुद्दा खुद सत्ता पक्ष के विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह ने उठाया जिसपर पक्ष विपक्ष की दीवारें तोड़ कर दो सौ से ज्यादा विधायक साथ आ खड़े हुए. दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा की कैंटीन संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना के इशारे पर नियमों को धता बताते हुए उनके खासुलखास शाहजहांपुर के चावल कारोबारी विमल कुमरा को सौंप दी गयी है. प्रदेश की इस वीवीआईपी कैंटीन के संचालन का काम मिलते ही सबसे पहले चावल कारोबारी ने यहाँ मिलने वाले खाने के सामान के दाम मनमाने तरीके से बढाये और विधायकों मंत्रियों को परोसे जाने वाली खाद्य सामग्री की क्वालिटी भी खासी गिरा दी.
वीआईपी कैंटीन का काम पाते ही बेअंदाज चावल कारोबारी इस कदर मदमस्त हुआ कि बीते सत्र में अनुपूरक बजट के दौरान धुत अवस्था में बेपरवाह विधानसभा के गलियारों में डोलने लगा. मदमस्त परम अवस्था को प्राप्त इस कैंटीन संचालक को ऐसी अवस्था में विधानभवन में झूमते देख एक विधायक ने फटकार भी लगाई थी. महंगे दामों पर घटिया खाना पाकर विधायकों, मंत्रियों व् पत्रकारों ने हर सक्षम स्तर पर इसकी शिकायत करनी शुरू कर दी. कैंटीन संचालक अपने ख़ास चावल कारोबारी के प्यार में बेखौफ संसदीय कार्य मंत्री खन्ना ने कारवाई तो दूर उलटे विधानसभा के अधिकारियों पर दुष्प्रचार करने का आरोप भी मढ़ डाला.
खन्ना के रसूख के आगे कुछ सुनवाई न होते देख गुरूवार को यह मुद्दा सदन में उठा दिया. यह भी एक इत्तेफाक रहा कि गुरवार को ही दिनों दिन बदहाली का शिकार होती जा रही विधानसभा की इस कंटीन में शार्ट सर्किट से आग भी लग गयी. सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील समझी जाने वाली इस कंटीन में धुंआ इस कदर भरा कि खांसी से बेहाल हो विधायक और मंत्री आधा खाना छोड़कर भागे.
अफसरनामा इस मुद्दे को पहले ही उठा चुका है.
जीवनव्रती खन्ना के खींसे से निकला खानपान का ठेकेदार
#शाहजहांपुर के अपने खास को थमा दी विधानसभा की कैंटीन
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ :सांसारिक सुखों को तिलांजलि दे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा से प्रेरित हो जीवनव्रती बने नगर विकास व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना खानपान के फेर में फंस गए हैं. संघ कार्य में रमे खन्ना घर गृहस्थी के जंजाल में नही फंसे, पितृ संगठन से भाजपा में पहुंच विधायक मंत्री बने तो भी घर नही बसाया पर योगी सरकार में विधानसभा के कामकाज का जिम्मा पाते ही खानपान के फेर में फंस गए. अपने इन्द्रिय सुखों को वश में कर सादगी का जीवन जीने वाले खन्ना आखिर स्वादेंद्रिय पर नियंत्रण नहीं रख सके.
संसदीय कार्य मंत्री के नाते सारी परंपराओं, मानकों को दरकिनार करते हुए सुरेश खन्ना ने विधानसभा की कैंटीन का ठेका अपने गृह जनपद शाहजहांपुर से आयात कर लाए गए चहेते को थमा दिया है. मंत्री की छत्रछाया पाए इस शाहजहांपुर के ठेकेदार का खाने पीने से कभी कोई वास्ता भी नही रहा. मंत्री की शह पर ठेका हासिल करते ही इस ठेकेदार ने विधानसभा की कैंटीन जहां मंत्री,विधायक, पूर्व विधायक, मान्यता प्राप्त पत्रकार आदि चाय पानी, भोजन करते हैं, के दाम अनाप-शनाप तरीके से बढ़ा दिये हैं. शाहजहांपुर जिले में मंत्री के इस खास-उल-खास को किसी ने मामूली छठी, बरही, मुंडन की दावत का भी इंतजाम संभालते न देखा पर अब वह सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में खास लोगों के खाने का इंतजाम करेगा.
बताते चलें कि रायल इन्डियन फूडिंग के नाम से कैटरिंग का काम करने वाले विमल कुमरा मंत्रीजी के गृह जनपद में ही चावल का व्यवसाय करते थे. अप्रैल 2016 से कैटरिंग का काम शुरू करने वाले कुमरा अपने जुगाड़ और मंत्रीजी की कृपा के चलते विधानसभा कैंटीन का काम हासिल करने में कामयाबी हासिल की. जानकारों की मानें तो खन्ना के कृपा पात्र इस व्यक्ति को कैटरिंग का काम तमाम कायदे कानूनों को ताख पर रखते हुए दिया गया है. अभी तक सीएम आवास,विधानसभा और लोकभवन जैसे टॉप सुरक्षा वाले स्थानों पर खान-पान का काम उसी को दिया जाता रहा है जिसका कैटरिंग के क्षेत्र में पांच साल का अनुभव रहा हो और वह शासन में सूचीबद्ध रहा हो. सूचीबद्धता टेंडर के माध्यम किये जाने का प्रावधान है.
बताते चलें कि इन जगहों के खानपान की व्यवस्था के लिए शासन स्तर पर एक अनुभाग बनाया गया है, जिसको SAD-7 के नाम से जानते हैं. इन जगहों पर सेवायें देने वाली कैटरिंग सर्विस को पहले यहाँ पर सूचीबद्ध होना पड़ता है. फिहाल शासन से सूचीबद्ध कैटरिंग में रॉयल कैफे, ऋचीरिच, रिट्ज कॉन्टिनेंटल और बनारसिया का नाम है. शासन में सूचीबद्ध न होने के बावजूद भी टेंडर और पारदर्शिता की दुहाई देने वाली भाजपा की योगी सरकार के मंत्री की कृपा पर नियमों की अनदेखी करते हुए रॉयल इन्डियन फूडिंग को कैटरिंग का काम दिया गया. चेहेते की चाहत ने खानपान के काम के लिए अनुभव के मानकों को भी दरकिनार किया.
सूबे की योगी सरकार का नए वर्ष में पहले बजट सत्र की शुरुआत 8 फरवरी से हो चुकी है और विधानसभा कैंटीन के खानपान की जिम्मेदारी अब तक इसका जिम्मा संभाल रहे बनारसिया से हटाकर रायल इन्डियन फूडिंग के हवाले कर दिया गया है. गत वर्ष बनारसिया द्वारा संचालित विधानसभा की कैंटीन के खाने और उसकी कीमत व सर्विस को लेकर विधायकों,पत्रकारों आदि ने काफी नाराजगी जतायी थी. और विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने से पहले अध्यक्ष द्वारा बुलाई गयी पत्रकारों की बैठक में भी इसका विरोध भी हुआ था. लेकिन विधानसभा कैंटीन की इस नयी व्यवस्था की कीमत में तो कोई कमी नहीं आयी, हाँ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मंत्री जी मार्शल से यह कहते हुए जरूर दिखे की ज़रा देखना कैंटीन में कोई दिक्कत न होने पाए.